मन्त्रों से करें रोग निवारण

कैंसर रोग ॐ नम: शिवाय शंभवे कर्केशाय नमो नम:। यह मंत्र किसी भी तरह के कैंसर रोग में लाभदायक होता है।

मस्तिष्क रोग
ॐ उमा देवीभ्यां नम:।
यह मंत्र मस्तिष्क संबंधी विभिन्न रोगों जैसे सिरदर्द, हिस्टीरिया, याददाश्त जाने आदि में लाभदायी माना जाता है।

आंखों के रोग ॐ शंखिनीभ्यां नम:।
इस मंत्र से जातक को मोतियाबिंद सहित रतौंधी, नेत्र ज्योति कम होने आदि की परेशानी में लाभ मिलता है।

हृदय रोग
ॐ नम: शिवाय संभवे व्योमेशाय नम:।
हृदय संबंधी रोगों से अधिकांश लोग पीड़ित होते हैं। इसलिए अगर वे इस मंत्र का जप करें, तो उन्हें लाभ मिलता है।

स्नायु रोग
ॐ धं धर्नुधारिभ्यां नम:।

कान संबंधी रोग
ॐ व्हां द्वार वासिनीभ्यां नम:।
कर्ण विकारों को दूर करने में यह मंत्र आश्चर्यजनक भूमिका निभाता है।

कफ संबंधी रोग
ॐ पद्मावतीभ्यां नम:।

श्वास रोग
ॐ नम: शिवाय संभवे श्वासेशाय नमो नम:।

पक्षाघात रोग
ॐ नम: शिवाय शंभवे खगेशाय नमो नम:।

इन मंत्रों की शक्ति से रोग भागते हैं मंत्रों में गजब की शक्ति होती है। इनका नियमित जप न केवल जातक को मानसिक शांति देता है, बल्कि उन्हें होने वाली गंभीर बीमारियों को भी दूर भगा सकता हैं अब आप कितना करते है यह तो आप पर निर्भर करता हैं। इसमे कोई अतिशोक्ति नही यदि कुछ रोग जड से सामाप्त हो जाये।

 

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नाभि का टलना/हटना

🌻 नाभि का टलना/हटना 🌻

नाभी शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। नाभि को शरीर का केंद्र बिंदु भी कहा जाता है। शरीर की अच्छी सेहत के लिए नाभि का अपनी जगह पर बने रहना जरूरी होता है।

नाभि जब अपनी जगह से हट जाती है तब इंसान को कई तरह की परेशानियां जैसे पेट का दर्द, कब्ज, गैस, नाभि के आस-पास भंयकर दर्द होना आदि जैसी समस्याएं होने लगती हैं। नाभि कैसे सरकती है यह भी आपको जानना जरूरी है। नाभि सरकने का मुख्य कारण है किसी झटके के साथ कोई सामान उठाना या कोई भारी सामान उठाना आदि से नाभि अपनी जगह को छोड़ देती है। नाभि का अपनी जगह पर होना बहुत जरूरी होता है।

नाभि या पेट में टुंडी को दबाने से धड़कन सी दबने का अहसास होता है। इसके अलावा ये धड़कने पेट के बांई या दांई ओर होने लगती है। इस को ही नाभि टलना या नाभि का स्थान छोड़ना आदि कहा जाता है।

नाभि ठीक करने के उपाय:
सुबह खाली पेट सरसों के तेल की कुछ बूंदों को नाभि पर टपकाने से नाभि धीरे.धीरे वापस अपनी जगह पर आती है। या आप रूई को सरसों के तेल में भिगों लें और उसे नाभि के उपर रखें।

किसी छोटे कपड़े मे अदरक के रस को डालकर उस कपड़े को नाभि के उपर पंद्रह मिनट के बाद बदलते रहने से नाभि वापस अपने जगह पर बैठ जाती है। साथ इस समस्या से होने वाले दस्त व दर्द में आराम मिलता है।

आप पका हुआ टमाटर लें और उसे बीच में से चीर लें और इसमें भुना हुआ सुहागा की डे़ढ ग्राम की मात्रा को डालकर चूसने से नाभि वापस अपनी जगह पर आ जाती है।

यदि नाभि टल जाए तो चिंता ना करें गुड के साथ पिसी हुई दो चम्मच सौंफ को लगातार पांच दिनों तक खाएं। इस उपचार से नाभि अपनी जगह से खिसकनी बंद हो जाती है। और धीरे-धीरे वापस अपनी असल स्थिति में आ जाती है।

नाभि को सही जगह पर वापस लाने के लिए यदि नाभि दाहिनी तरफ चली गई हो तो र्बांइं ओर की पिंडली को दबाएं। और यदि नाभि बांई ओर चली गई हो तो दांई तरफ दबाने से नाभि वापस अपनी वास्तविक जगह पर आ जाती है।

नाभि बैठाने के बाद ध्यान में रखें ये बातें
एक चम्मच हल्दी के चूर्ण को 250 ग्राम दही के साथ मिलाकर कुछ दिनों तक लगातार खांए। इससे नाभि फिर अपना स्थान दोबारा नहीं छोड़ती है।

नमक को गुड़ के साथ मिलाकर खाने से नाभि अपने स्थान पर बनी रहती है।

नाभि का टलना कोई सामान्य समस्या नहीं है इस वजह से आपको कई तरह के नुकसान हो सकते हैं, इसके हट जाने से बहुत सी बीमारियां घेर लेती हैं, साथ ही कोई दवा काम नही करती।

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फोड़ा या बालतोड़

फोड़ा या बालतोड़ तब होता है जब बालों की जड़ (hair follicle) में बैक्टीरिया का इन्फेक्शन हो जाता हैं। यह छोटी लाल रंग की फुंसी की तरह शुरू होता है और धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है। फोड़ा काफी दर्दनाक होते हैं और कभी-कभी इनके कारण बुखार भी हो जाता है।

बालतोड़ होते ही इसके बारे में हमें पता चल जाता है इसलिए इसका शुरुआत में ही इलाज करके इसको बढ़ने से रोका जा सकता है। ऐसे कई प्राकृतिक पदार्थ उपलब्ध हैं जिनके इस्तेमाल से फोड़े के दर्द को कम किया जा सकता है और इसके ठीक होने की प्रक्रिया को बढ़ाया जा सकता है। यह बालतोड़ के आसपास बैक्टीरिया के इन्फेक्शन को कम करके healing process को बढ़ा देते हैं।

फोड़े को जल्दी ठीक करने में 10 सबसे कारगर प्राकृतिक उपाय नीचे दिए गए हैं

1. नीम

नीम में antiseptic, anti-microbial और anti-bacterial properties मौजूद होती हैं जो फोड़ा को ठीक करने के साथ-साथ कई और skin problems से बचाती हैं।

नीम की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें इसे बालतोड़ पर लगा लें।

आप नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी से घाव को धो सकते हैं।

2. कलौंजी

कलौंजी किसी भी प्रकार के skin infection के लिए काफी प्रचलित औषधि है। इसमें मौजूद medical properties दर्द को भी कम करती हैं।

कलौंजी के कुछ बीजों को पीसकर पेस्ट बना लें। इसे affected area में लगा लें।

आप कलौंजी के तेल को भी बालतोड़ पर लगा सकते हैं।

एक चम्मच कलौंजी के तेल को एक कप hot या cold drink में मिलाएं। कुछ दिनों तक इसे रोज दिन में दो बार पियें।

3. Bread Poultice

Bread को दूध में भिगोकर पेस्ट बनाने को bread poultice कहते हैं। इस पेस्ट को बालतोड़ पर लगाकर कुछ समय के बाद धो लें।

यह बालतोड़ को जल्दी पका देगा और सूजन को कम कर देगा। इसमें मौजूद heat फोड़े में खून के प्रभाव को भी बड़ा देगी जिससे गर्मी आएंगे और यह जल्दी ठीक हो जायेगा। इस उपचार को रोज दो बार करें।

4. Tea Tree Oil

Tea tree oil में antibacterial, antifungal, और antiseptic properties होती हैं। इसके नियमित इस्तेमाल से healing process तेज हो जाती है और दर्द कम होता है।

साफ़ रुई को tea tree oil में भिगोकर बालतोड़ पर रख दें और ऊपर से कपड़ा बांध लें।

हर पांच घंटे में इस रुई को बदलते रहें।

Note – कुछ लोगों को tea tree oil से skin में irritation हो सकती है। इसलिए यदि आपको भी यह समस्या हो रही है तो इसका इस्तेमाल न करें। Tea tree oil का सेवन न करें।

5. हल्दी

एक चम्मच हल्दी के पाउडर को एक गिलास दूध में घोलकर उबाल लें। इस हल्दी के दूध को दिन में तीन-चार बाद सेवन करें।

हल्दी और अदरक को सामान मात्रा में मिलाकर पेस्ट तैयार करें। अब इस पेस्ट को अपने फोड़े पर लगा लें और ऊपर से कपड़ा बांध लें।

6. प्याज

प्याज में antiseptic chemicals होते हैं जो बालतोड़ पर एक प्रभावी रोगाणुरोधी के रूप में कार्य करते हैं।

प्याज के एक मोटे टुकड़े को काटकर फोड़े पर रखकर कपड़े से बांध लें।

प्याज को अपने भोजन में भी नियमित इस्तेमाल करते रहें।

7. लहसुन

लहसुन में मौजूद antibacterial, antimicrobial और anti-inflammatory properties बालतोड़ को ठीक करने में काफी फायदेमंद हैं।

लहसुन की तीन-चार कलियों को; पीसकर पेस्ट बना लें और फोड़ा पर लगा लें।

लहसुन की कली को गर्म करके घाव पर लगाने से भी फायदा होता है। रोज तीन-चार बार एक लहसुन की कली को गर्म करके लगायें।

रोज दो-तीन लहसुन की कलियों का सेवन भी करें।

8. दूध

सदियों से फोड़ों के इलाज में दूध का इस्तेमाल होता चा आ रहा है। यह घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करता है और दर्द को कम करता है।

एक कप दूध और तीन चम्मच नमक को गर्म करके मिला लें। अब इस मिश्रण को गाड़ा करने के लिए थोड़ा सा आटा मिला लें। अब थोड़ा सा पेस्ट अपने फोड़े पर लगा लें। इसे दिन में चार-पांच बार करें।

आप दूध की क्रीम का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। एक चम्मच दूध की क्रीम को थोड़े से सिरका और हल्दी के साथ मिलाकर पेस्ट तैयार करें और फोड़े पर लगायें।

9. मक्का का आटा

मक्के का आटा फोड़े पर natural absorbent की तरह काम करता है इसलिए यह भी इसके इलाज में फायदेमंद है।

आधे कप पानी को गर्म करलें और फिर मक्के का आटा डालकर पेस्ट बना लें।

पेस्ट को फोड़े पर लगा लें और ऊपर से कपड़ा बांध लें।

इसे दिन में तीन-चार बाद करें।

10. Warm Washcloth Compress

Warm Washcloth Compress दर्द को कम करता है और खून के संचार को बढ़ाकर घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करता है।

एक साफ सफेद कपड़े को गर्म पानी में भिगोयें और बालतोड़ पर 10 मिनट के लिए रख दें।

इस प्रक्रिया को दिन में चार-पांच करें।

इन प्राकृतिक उपायों को अपनाकर आपको बालतोड़ के दर्द में बहुत हद तक राहत मिलेगी और जल्दी भर जायेगा। लेकिन इन उपायों को नियमित रूप से अपनाना बेहद जरूरी।

वन्देमातरम !

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हरीतकी या हरड़

संस्कृत मे हरीतकी, अभया, पथ्या
हिन्दी मे हरड़, हर्र,
बांग्ला, मराठी, गुजराती, पंजाबी और तेलुगू मे भी हरीतकी या हरड़।
English = Myrobalans

दवाई के लिए प्रायः बड़ी हरड़ का प्रयोग होता है। बाजार मे बड़ी हरड़ के टुकड़े मिलते हैं वह न ले। साबुत हरड़ ले जिसमे घुन न लगा हो। उसे तोड़ कर बीज निकाल दे। फिर इसे बारीक पीस ले। जो स्वयम नहीं पीस सकते वह बाजार से हरीतकी चूर्ण बना बनाया ले।


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किसे हरड़ नहीं लेनी चाहिए –
1 *मुंह बार सुख रहा हो और प्यास लग रही हो।
2* नाक मुंह या किसी अन्य अंग से खून बहता हो।
3* वर्षो से किसी ऐसे रोग का शिकार हो जिसमे खून की बहुत अधिक कमी हो गई हो।
4-* जो प्रतिदिन व्यायाम करते हैं या प्रतिदिन लंबा पैदल चलते है।
5* जिसे कभी लकवा, खून की अधिक कमी ( जैसे थेलिसिमिया , परनीसियास एनीमिया, एडिसन्स डीजीज) जैसा रोग हो
6* जिसे Asthma /श्वास, दमा के रोग हो
7* जो प्रतिदिन लम्बे समय तक धूप मे घूमते हों।

सबसे चमत्कारी जन्मघुट्टी
छोटे बच्चो के लिए इसके समान घुट्टी नहीं है । चित्र मे दिखाए अनुसार साबुत बड़ी हरड़ ले उनमे से वह हरड़ चुने जो पानी मे डालने पर पानी मे डूब जाए तैरे नहीं।
इसे पत्थर पर चन्दन की तरह घिस कर दे।
1- बच्चे का पेट फुला हुआ हो रात को रोता हो – घिसी हुई हरड़ मे गुड मिलाकर दे।
2- मुंह मे छले के कारण यदि बच्चा दूध ना पी पा रहा हो- घिसी हुई हरड़ मे मिश्री मिलाकर दे।
3- बच्चे को भूख ना लगे- घिसी हुई हरड़ मे सैंधा नमक मिलाकर दे।
4- दस्त मे-जायफल, हरड़ व काली अतीस दोनों घिस कर मिलाकर दे।
5 जुखाम होने पर – सोंठ भी साथ मे घिस कर मिलाकर दे।


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पेट की गैस के लिए – बड़ी हरड़ की का चूर्ण मे समान गुड मिला ले । फिर इसकी मटर के दाने के बराबर गोली बना ले। यदि गोली बनाने मे दिक्कत हो तो थोड़ा सा पानी मिला कर गोली बना ले और धूप मे सूखा ले। यदि धूप मे न सुखाए तो गोलियों मे फफूंदी लग जाती है । या चूर्ण की तरह रख ले। इसे लगभग 1 ग्राम की मात्रा मे भोजन के बीच मे या भोजन के बाद पानी/ लस्सी से ले। पेट मे किसी भी कारण से गैस बनती हो लाभ जरूर होता है। पेट की गैस मे ये कभी भी असफल नहीं होती। बाजार मे उपलब्ध कोई भी गैस का चूर्ण या गोली इसके समान प्रभावशाली नहीं है। साथ ही यह सुबह खाली पेट पानी से लेने पर भूख को बढ़ाती है, बवासीर मे लाभ दिखाती है
****
अम्लपित्त के लिए – 100 ग्राम मुनक्का (बड़ी किशमिश/ दाख जिसमे बीज होता है) ले। इन्हे गरम पानी से धो ले। फिर बीज निकाल ले। उसके बाद इन्हे कूट ले और इसमे 50 ग्राम हरड़ का चूर्ण मिला ले। इसके बाद मटर के दाने के आकार की गोलीय बना ले। यदि गोली बनाने मे कुछ परेशानी हो तो कुछ बूंद शहद मिला ले। 1-2 गोली भोजन से पहले पानी से लेने से अम्लपित्त और पेट के अल्सर मे बहुत लाभ होता है।
***
चक्कर आने पर – पीपल (जिसे गरम मसाले मे मिलाते है), सौंठ (सुखी अदरक), सौंफ और हरड़ 25-25 ग्राम। गुड 150 ग्राम सबको मिला कर मटर के दाने के आकार की गोली बनाए। 1-2 गोली दिन मे 3 बार ले। चक्कर आना, सिर घूमना बंद हो जाएगा।
*


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बवासीर (Piles ) के लिए
– यह प्रयोग सभी तरह की बवासीर के लिए बहुत ही लाभदायक है। यदि मल मार्ग से खून आता हो तो इसमे 10 ग्राम“कहरवा पिष्टी” जरूर मिलाए। स्नेहा समुह
🌻बड़ी हरड़ (गुठली निकाल के )=60 ग्राम
🌻काली मिर्च -20 ग्राम, पीपल (गरम मसाले मे मिलाने वाला )-40ग्राम
🌻चव्य= 20ग्राम, तालिश पत्र =20 ग्राम, नागकेशर=10ग्राम, पिपलामूल= 40ग्राम,
🌻चित्रक = 20ग्राम, छोटी इलायची =5ग्राम, दालचीनी = 5 ग्राम,
🌻अजवायन =5 ग्राम, जीरा = 5 ग्राम, गुड 400 ग्राम
🌻सभी दवाइया जड़ी बूटी वाले की दुकान से ला कर साफ कर ले। गुड को छोड़ कर बाकी सभी को मिलाकर बारीक कूट ले। अंत मे गुड मिला कर मटर के दाने के आकार की गोली बनाकर धूप मे सूखा ले। यदि गोली बनाने मे परेशानी हो तो 1-2 चम्मच पानी मिला ले। धूप मे जरूर सुखाए। अन्यथा फफूंद लग कर खराब हो जाती है। सभी तरह की बवासीर के लिए बेहद अच्छी है। धीरे धीरे फायदा करती है परंतु 2-3 महीने मे पूरी तरह ठीक हो जाती है।
🌻मात्रा = 2 से 5 ग्राम ठंडे पानी से सुबह खाली पेट व शाम को भोजन से 2 घंटे पहले
🌻परहेज = चाय, लाल मिर्च, उरद की दाल, राजमा, समोसा, पकौड़ा, इमली अमचूर
जिमिकन्द की सब्जी बनाकर खाए। मुली की सब्जी बनाकर खाए बवासीर मे बहुत अच्छी है। भुना हुआ जीरा, काली मिर्च और सैंधा नमक मिला कर प्रतिदिन दहि की लस्सी /छाछ जरूर पिए। आयुर्वेद मे लिखा है “जैसे आग मे भुने हुए अन्न के दाने दोबारा नहीं पैदा होते वैसे छाछ के प्रयोग से नष्ट बवासीर के मस्से दोबारा नहीं पैदा होते।”

🍁पसीने मे बदबू होना- गर्मी मे बहुत से लोगों के पसीने मे बहुत बदबू होती है। बाजार मे मिलने वाले डिओड़ोरडिओड़ोरेंट मे हानिकारक कैमिकल होते हैं। वह बदबू को दबा देते हैं। बगल (काँख ) मे हरड़ को पानी मे घिस कर या हरड़ का बारीक पाउडर पानी मे मिला कर नहाने से 1/2 घण्टा पहले लेप करे। फिर नहा ले
चेहरे के दाग धब्बे – एक पत्थर पर कुछ बूंद दूध डाल कर उसमे हरड़ व जायफल घिसे। यह लेप 1/2 घण्टा तक प्रतिदिन चेहरे पर लगाए। धीरे धीरे दाग धब्बे व झाइयाँ खत्म हो जाएगी।


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🌻मधुमेह मे – आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ चरक संहिता में लिखा है कि तक्र (दहि कि लस्सी/छाछ जिसमे दहि का ¼ भाग पानी मिलाया गया हो) के साथ हरीतकी (हरड़) का चूर्ण लेने से मधुमेह मे बहुत लाभ होता है। यह आयुर्वेद के प्रतिष्ठित ग्रंथ का प्रयोग है और कोई नुकसान नहीं करता इसलिए एकबार दूसरी दवाओ के साथ साथ इसका भी प्रयोग करके देखना चाहिए

गर्भावस्था में खान-पान कैसा होना चाहिए

गर्भावस्था के हर हफ्ते में महिला को चाहिए अलग पोषन

गर्भवती का खान-पान : गर्भावस्था के दौरान आहार संतुलित तो होना ही चाहिए साथ ही आपके खाने मेंप्रोटीन, आयरन और विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होना चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर हमेशा पौष्टिक आहार लेने की सलाह देते हैं। लेकिन गर्भावस्था के दौरान ” आहार का खास ख्याल रखना आवश्यक हो जाता है। जिससे जच्चा-बच्चा दोनों ही हष्ट्-पुष्ट रहें। अक्सर गर्भवती महिलाओं के साथ ये समस्या रहती हैं कि वे गर्भावस्था‍ में क्या खाएं और क्या ना खाएं।
नाश्ते में अनाज, गेहूं का आटा, जई, कॉर्न फ्लैक्‍स, ब्रेड और पास्ता लें।
सूखे फल खासकर अंजीर, खुबानी और किशमिश, अखरोट और बादाम लें।
गर्भावस्‍था मधुमेह से बचने के लिए कम चीनी का सेवन करें।
गर्भावस्‍था की आखिरी तिमाही में पौष्टिक आहार लेना अत्‍यंत महत्त्‍वपूर्ण।
स्वस्थ गर्भावस्था और तंदुरुस्त बच्चे के लिए अपनी आहार योजना बेहद सोच-समझकर बनानी चाहिए। आइए “राज” आपको बताते हैं कि गर्भावस्था के हर पड़ाव पर आपका आहार कैसा होना चाहिए।


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जीरो से आठवें सप्ताह तक

हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, बथुआ, सरसों, मूली के पत्ते और सलाद को अपने भोजन में शामिल करें।
राजमा, चने की दाल, काले चने और सेम जरूर खाए।
खट्टे फल जैसे- खरबूजा, संतरा, मौंसमी भी खाए।
नाश्ता में अनाज, गेहूं का आटा, जई, कॉर्न फ्लैक्स, ब्रेड और पास्ता खा सकती है।
नट्स, विशेष रूप से अखरोट और बादाम जरूर खाए।
कैफीन युक्त पेय से बचें। नारियल पानी पिएं, मिल्‍क शेक, ताजा फलों के रस या नींबू पानी लें।
इससे आपके शरीर में पानी की मात्र बढ़ेगी और निर्जलीकरण की समस्‍या से बचे रहेंगी।
नौं से 16वां सप्‍ताह

हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे- पालक, मूली के पत्ते और सलाद।
लौकी, करेला और चुकंदर के रूप में सब्जियां।
गेहूं से बनीं वस्तुओं और ब्राउन राइस।
काले चने, पीली मसूर, राजमा, और लोभिया जैसी दालें।
सूखे फल खासकर अंजीर, खुबानी और किशमिश, अखरोट और बादाम।
संतरे, मीठा नींबू और सेब आदि फल।
डेयरी उत्पादों विशेष रूप से दूध, दही, मक्खन, मार्जरीन, और पनीर आदि। ये विटामिन डी के मुख्‍य स्रोत हैं।
सीने में जलन और कब्ज रोकने के लिए, दिन में पानी के आठ दस गिलास जरूर पिएं।


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17वें से 24वें सप्‍ताह तक

सूखे मेवे जैसे बादाम, अंजीर, काजू, अखरोट।
नारियल पानी, ताजा फलों का रस, छाछ और पर्याप्त मात्रा में पानी।
राजमा, सोयाबीन, पनीर, पनीर, टोफू, दही आपकी कैल्शियम की जरूरतों को पूरा करेगा।स्नेहा समुह
टोन्ड दूध (सोया दूध)।
हरी सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकोली, मेथी, सहजन की पत्तियां, गोभी, शिमला मिर्च, टमाटर, आंवला और मटर।
विटामिन सी के लिए संतरे, स्ट्रॉबेरी, चुकंदर, अंगूर, नींबू, टमाटर, आम और नींबू पानी का सेवन बढ़ाएं।
स्नैक्स में – भुना बंगाली चना, उपमा, सब्जी इडली या पोहा।

25वें से 32वें सप्‍ताह तक

गर्भावस्था के 25 सप्ताह से अपने चयापचय (मेटाबॉलिक) दर 20 प्रतिशत बढ़ जाती है, इसलिए आपके कैलोरी बर्न करने की गति बढ़ जाती है और नतीजतन आपको अधिक थकान और गर्मी महसूस होगी। इसलिए आपको अपने भोजन में तरल पदार्थो की मात्रा बढ़ानी चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि आप निर्जलीकरण से भी दूर रहेंगी और साथ ही आपको कब्‍ज भी नहीं होगा। वात रोग से बचने के लिए छोटे-छोटे अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा भोजन करती रहें।
एक दिन में 10-12 गिलास पानी पिएं।
दही के साथ एक या दो पराठें।
प्रचुर मात्रा में बादाम और काजू का सेवन करें।
फलों का रस पीने से अच्‍छा है कि ताजा फल खाए जाएं।
भोजन के साथ सलाद जरूर लें।
प्याज, आलू, और राई आदि का सेवन करें।
सेब, नाशपाती, केले, जामुन, फलियां और हरी पत्तेदार सब्जियां।


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33वें से 40वें सप्‍ताह तक

गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में पौष्टिक आहार लेना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस दौरान भ्रूण पूरी तरह तैयार हो चुका होता है। वह जन्‍म लेने को तैयार होता है। पौष्टिक आहार जैसे, फल और सब्जियां बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करती हैं।स्नेहा समुह
गर्भावस्था मधुमेह से बचने के लिए कम चीनी का सेवन करें।
शुगर फ्री बिस्किट, एल्‍कोहल रहित पेय पदार्थ का सेवन करें।
गाजर, मूली और हरी पत्तेदार सब्जियां।
विटामिन सी के लिए स्‍ट्राबैरी, नींबू, मौसमी, ब्रोकली, आंवला का रस, संतरा या आम को अपने भोजन में शामिल करें।
सूखे मेवे जैसे, खजूर, अंजीर, बादाम, अखरोट, खुमानी और किशमिश का रोजाना सेवन करें। वहीं तैलीय, मसालेदार और जंक फूड का परहेज करें।
प्रसव का समय निकट आ चुका है। और ऐसे में मां को अपने बच्‍चे के लिए प्रचुर मात्रा में दूध की जरूरत होती है। तो, अपने भोजन में बैंगन, दालें आदि की मात्रा बढ़ा दें। चाय कॉफी और चीनी वाली चीजों से जरा दूरी रखें।

गर्भवती का खान-पान के लिए इन्हें भी आज़मा सकती हैं…

गर्भावस्था के दौरान आहार संतुलित तो होना ही चाहिए साथ ही आपके खाने में प्रोटीन, आयरन और विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होना चाहिए। साथ ही गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में आयरन और फोलिक एसिड की गोली लेना भी जरूरी होता है।
सामान्य महिला को अपने दैनिक आहार में 2100 कैलोरी की जरूरत होती है, जबकि गर्भवती महिला को 2500 कैलोरी की जरूरत होती है। 10 प्रतिशत कैलोरी प्रोटीन से तथा 35 प्रतिशत कैलोरी फैट यानी तेल, घी और मक्खन से तथा 55 प्रतिशत कैलोरी कार्बोहाइड्रेट से मिलनी चाहिए।
नाश्ता अधिक देर से न करें, सुबह उठने के कुछ समय पश्चात ही नाश्‍ता कर लें। साथ ही दाल, चावल, सब्जियां, रोटी और फलों को अपने दैनिक आहार में शामिल करें।
दैनिक आहार में हरी सब्जि़यां, दूध, उबला भोजन, अंकुरित चना, अंडे को जरूर शामिल करना चाहिए क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु को मां के आहार से ही पोषण मिलता है। जब मां पौष्टिक खाना खाएगी तभी तो बच्चा भी स्वस्थ होगा।
गर्भवती महिलाओं को खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में अजवाइन अवश्य लेना चाहिए। इससे मिचली नहीं आती और खाना जल्दी हजम होता है।
यदि गर्भधारण के दौरान सुबह अक्सर आपका जी मिचलाता है तो आपको खूब पानी पीना चाहिए। खाना थोड़ा-थोड़ा कई बार खाएं साथ ही अच्छी नींद लें जिससे मां और होने वाला शिशु दोनों ही स्वस्थ रहें।
दलिया या साबुत अनाज से बनी रोटियां भी अपने आहार में शामिल करना चाहिए। मैदे का उपयोग कम से कम करें।
गर्भावस्था में छाछ पीना लाभकारी हो सकता है। लेकिन आपको दही के उत्‍पादों से एलर्जी है तो छाछ न लें।
गर्भवती महिलाओं को बादाम, अखरोट जैसे कुछ मेवे अवश्य लेना चाहिए। ये न सिर्फ कमजोरी दूर करते हैं बल्कि इनके सेवन से मां और होने वाले बच्चे दोनों का मस्तिष्क भी तेज होता है।
सब्जियों को मेथी का तड़का देकर बनाएं। मेथी के सेवन से गर्भाशय शुद्ध रहता है और भूख अधिक लगती है।
बढ़ता हुए गर्भस्‍थ शिशु अपनी सभी जरूरतें मां द्वारा लिए आहार से पूरी करता है। क्‍योंकि आहार से गर्भवती महिला की लौह तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती, इसलिए आयरन फोलिक एसिड की गोलियां खाना जरूरी होता है। साथ ही फोलिक एसिड कई तरह के आहार में विटामिन बी के रूप में विद्यमान होता है।
दूध में मुनक्का उबालकर पहले मुनक्का खायें फिर दूध पी जायें। इससे कब्ज की शिकायत नहीं होगी साथ ही हीमोग्लोबीन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
पत्तागोभी खायें क्‍योंकि इसमें क्षारीय तत्व होते हैं जो रक्त शोधन करते हैं। इसकी सब्जी या कच्चा सलाद अवश्य लें।
गर्भवती महिलाओं को नमक कम से कम खाना चाहिए इससे रक्तचाप नॉर्मल रहता है।
इसके अलावा डॉक्टर से खाने-पीने की उचित जानकारी ले लेना बेहतर होता है जिससे मां और बच्चे दोनों में किसी तरह की कोई बीमारी या कमजोरी न पनप पाएं।


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गर्भावस्था में फलो के फायदे
अनार

अनार में एंटी ऑक्सीडैंट्स तथा विटामिन्स भरपूर मात्रा में पाएं जाते हैं। अनार का जूस गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है।स्नेहा समुह
सेब

विटामिन ,कैल्शियम , आयरन , प्रोटीन से भरपूर होता है गर्भावस्था में अनिद्रा जैसे रोग में काफी लाभकारी होता है
केला

पोटैशियम , सोडियम , फास्फोरस ,विटामिन ए ,बी 1, और सी होते है
अंगूर

कैल्शियम , आयरन , क्लोरिन होते है
संतरा

कैल्शियम ,क्लोरिन , कापर ,लोहा , विटामिन बी 1, और सी भरपूर होते है
नासपाती

फास्फोरस ,विटामिन ए , बी 1, बी 2 और पोटैशियम पाया जाता है
पालक

पालक में आयरन सबसे ज्‍यादा होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह काफी उपयोगी है।
चुकंदर

यह विटामिन ए, विटामिन बी कॉम्पलेक्स, कैरोटिनाइड्स और फ्लेवोनाइड्स का अच्छा स्रोत है। इसमें आयरन भरपूर होता है, जो गर्भवती महिलाओं में बच्चे के विकास में सहायक होता है।
अंकुरित आहार
गर्भवती महिला को संतुलित मात्रा में अंकुरित आहार भी मिलना चाहिए। इसके लिए अंकुरित सोयाबीन , मूंग, चने , गेहू का सेवन करना चाहिए बीजों के अंकुरित होने के पश्चात् इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है |नवजात शिशु में मानसिक, शारीरिक दुर्बलताओं को दूर किया जा सकता है यदि गर्भवस्था के दौरान महिला अंकुरित अनाज का सेवन करती है।


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रूसी से छुटाकारा पाने के सबसे असान घरेलू उपाय

बालों में डैंड्रफ होना भले ही हर-एक की आम समस्या बन चुकी है लेकिन इस समस्या के होने से बालों को काफी नुकसान पहुचता है जिससे झुटकारा पाने के लिये तरह तरह के उपाय भी करते है लेकिन इसका असर ना के बराबर ही देखने को मिलता है आज हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारें में बता रहे है जिसे अजमाने के बाद आपके बालों को रूसी से झुटकारा तो मिलेगा ही साथ ही में आपके बाल सुंदर घने मजबूत होने के साथ चमकदार भी दिखेगें। तो जाने ऐसे प्राकृतिक घरेलू नुस्खे के बारें में..

• रूसी के प्रकार
• स्कैल्प का सूखापन
• स्कैल्प पर तेल की अधिकता
• फंगल डैंड्रफ
• रोग से संबंधित डैंड्रफ
• रूसी होने के कारण


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रूसी
रूसी होने के कारण
• बालों में तेल का उपयोग ना करना
• गलत तरीके से कंघी करना
• बालों में पौषण की कमी
• शैंपू का ज्यादा प्रयोग करना
• अत्याधिक तनाव
• त्वचा संबंधी बीमारी

रूसी (डैंड्रफ) हटाने के घरेलू उपाय
आपको डैंड्रफ से छुटकारा दिलाने वाले कई आधुनिक तेल या शैंपू बाजार में देखने को मिल सकते है लेकिन इनसे होने वाले नाकारात्मक प्रभाव आपके बालों की समस्या को और अधिक बढ़ा देते हैं। यदि आप इन समस्या से बचना चाहते हैं, तो नीचे बताए जा रहे घरेलू नुस्खों को अपनाये। इसका उपयोग करने से आपके बालो में मजबूती के साथ प्राकृतिक निखर भी देखने को मिलेगा।


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1. नीम

सामग्री:
• नीम के 8-10 सूखे पत्ते
• 4से 5 चम्मच जैतून का तेल

उपयोग करने का तरीका:
विधि-1
• सूखे नीम के पत्तों का पीसकर बारीक पाउडर बना लें।
• एक बाउल में नीम से बने पाउडर को डालकर उसमें जैतून का तेल मिला लें।
• इस मिश्रण को अच्छी तरह मिलाकर बालों की जड़ों पर लगाएं।
• इस पेस्ट को करीब एक घंटे तक ला रहने दें। इसका बाद शैंपू और कंडीशनर से बालों को धो लें।
• इस मिश्रण का उपयोग आप नहाने से पहले ही करें।
• इसके अलावा आप नीम की पत्तियों को उबालकर उसके पानी से भी बालों को धो सकते है।

फायदे
नीम एक गुणकारी औषधिय पेड़ है, इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीफंगल के गुण पाए जाते हैं, जो शरीर एंव त्वचा में होने वाले रोगों को दूर करने में मदद करते है। नीम का उपयोग स्कैल्प के संक्रमण और डैंड्रफ से छुटकारा पाने का एक सटीक घरेलू उपाय है।


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2. नींबू

सामग्री:
• 5 चम्मच नारियल का तेल, 1 चम्मच नींबू का रस

उपयोग करने का तरीका:
• नींबू के रस को नारियल के तेल के साथ मिला लें।
• अब इस मिश्रण को नहाने से पहले बालों की जड़ों पर अच्छी तरह से लगाएं।
• आधे घंटे बाद बालों को हर्बल शैंपू से धो लें।

फायदे
स्कैल्प में अचानक हो रहे पीएच स्तर में असंतुलन से बालों में डैंड्रफ की समस्या बढ़ जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिये नींबू के रस में मौजूद अम्ल स्कैल्प के पीएच स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। रूसी की समस्या से निजात पाने के लिए आप नींबू के रस को इस प्रकार इस्तेमाल कर सकती हैं


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3. मैथी

सामग्री
• एक चम्मच मैथी के दाने
• 2 कप गर्म पानी

उपयोग करने का तरीका:
• मैथी के बीजों को दो कप पानी में डालकर रात भर के लिए भिगोकर रख दें।
• सुबह इस पानी को छान लें।
• नहाने से 15 मिनट पहले इस मैथी के पानी को बालों पर लगाकर कुछ समय के लिये छोड़ दें।
• करीब 30 मिनिट के बाद बालों को हर्बल शैंपू से धो लें।

फायदे
मैथी में जरूरी न्यूट्रिएंट और मिनरल्स (मैग्नीशियम व पोटेशियम) का भरपूर मात्रा पाई जाती हैं, जो सिर से रूसी को हटाने में मदद करती है साथ ही इसका पयोग करने से आपके बालों स्वस्थ रहते है इसलिये मैथी का उपयोग करना आपके बालों के लिये काफी अच्छा उपाय है।


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4. विनेगर

सामग्री:
• 2 कप विनेगर
• एक कप पानी

उपयोग करने का तरीका:
• सबसे पहले विनेगर को गर्म कर लें।
• एक कप पानी में इसे मिला लें।
• नहाने से 15 मिनट पहले इस पानी से स्कैल्प की अच्छी तरह मसाज करें।
• करीब 20 मिनिट बाद बालों को शैंपू से धो लें।

फायदे
विनेगर सूखी त्वता को मुलायम बनाने का काम करता है। साथ ही स्कैल्प में मौजूद फंगस और बैक्टीरिया को आसानी से खत्म करने में मदद करता है। इसके साथ ही विनेगर में मौजूद एसिड सिर में होने वाली खुजली को भी कम करते है।


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5. दही

सामग्री:
• एक कप दही

उपयोग करने का तरीका:
• सबसे पहले दही को बालों की जड़ों पर अच्छी तरह से लगाए।
• अब दही लगाने के बाद 15 मिनट के लिए छोड़ दें।
• इसके बाद शैंपू से अपने बालों को धो लें।

फायदे
स्कैल्प में मौजूद बैक्टीरिया फंगस को दूर करने का सबसे कारगर तरीका है दही का इस्तेमाल। दही ‘प्रोबायोटिक्स’ गुण से भरपूर होता है इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी के गुण भी मौजूद होते है जो स्कैल्प के जीवाणुओं को साफ कर बालों को स्वस्थ बनाने मदद करते है।


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6. सेब का सिरका

सामग्री:
• 2-4 चम्मच सेब का सिरका
• 2-4 चम्मच पानी

उपयोग करने का तरीका:
• एक बाउल में सेब के सिरके और पानी को मिला लें।
• फिर बालों को शैंपू से धोने के बाद सिरके वाला पानी बालों और स्कैल्प पर लगाएं।
• करीब 15 मिनट बाद साफ पानी से बालों को धो लें।
• यह प्रक्रिया नहाने से पहले करें।

फायदे
सेब के सिरके का डैंड्रफ हटाने के सबस् अच्छा घरेलू उपाय हैं। सेब के सिरके में मौजूद एसिड स्कैल्प के पीएच स्तर को संतुलित करने में मदद करता है जिससे आप रूसी की समस्या से निजात पा सकते हैं


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8. एलोवेरा

उपयोग करने का तरीका:
• नहाने से पहले एलोवेरा जेल को स्कैल्प और बालों पर अच्छी तरह लगाएं।
• इसके करीब 15 मिनट बाद सिर को शैंपू से धो लें।

फायदे
प्राकृतिक गुणों से भरपूर एलोवेरा का उपयोग त्वचा एंव बालों में निखार लाने के लिये किय जाता है इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण बालों की जड़ों को मजबूत बनाकर झड़ने से रोकते है साथ ही डैंड्रफ की समस्या से निजात दिलाकर बालों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं

9. संतरे का छिलका

सामग्री:
• संतरे के सूखे छिलके
• 5-6 चम्मच नींबू का रस

उपयोग करने का तरीका:
• संतरे के सूखे छिलकों को सबसे पहले पीसकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को एक बाउल में डालकर उसमें नींबू के रस 4 से 5 बूदं डालकर मिला लें।

• अब इस पेस्ट को स्कैल्प और बालों की जड़ों पर लगाते हुये 25से 30 मिनट के लिए छोड़ दें।

• 30 मिनट बाद बालों को शैंपू से धो लें।

फायदे
अम्लीय गुणों से भरपूर संतरे का छिलका में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल के गुए पाये जाते है जो रूसी की समस्या से निजात पाने में मदद करते है।


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आखिर क्यों दी जाती है बादाम भिगोकर खाने की सलाह…!!

आपके घर के बड़े बुज़ुर्गों ने कभी न कभी आपको ये बात ज़रूर बताई होगी, कि बादाम भिगोकर खाने से बहुत फायदे होते हैं। हालांकि, शायद ही आपको इसके फायदे विस्तार से बताए गए हों। इसलिए हम आपके लिए लाए हैं ऐसे 6 कारण जिनकी वजह से भीगे हुए बादाम खाने से आपके पूरे शरीर को फायदा पहुंचेगा। लेकिन उससे पहले हम आपको बताएंगे भीगे बादाम में ऐसा क्या ख़ास होता है।

भीगे बादाम क्‍यों बेहतर हैं?

बादाम अपने असीम स्‍वास्‍थ्‍य लाभों के लिए जाना जाता है। और सबसे ज्‍यादा यह याद्दाश्‍त को बढ़ने में मदद के लिए जाना जाता है। बादाम आवश्‍यक विटामिन और मिनरल जैसे विटामिन ई, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम और ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होता है। लेकिन इन सभी पोषक तत्‍वों को अवशोषित करने के लिए, बादाम को खाने से पहले रात भर पानी में भिगोना चाहिए। ऐसा इसलिए क्‍योंकि बादाम के भूरे रंग के छिलके में टनीन होता है जो पोषक तत्‍वों के अवशोषण को रोकता है। एक बाद बादाम को पानी में भिगोने से छिलका आसानी से उतर जाता है और नट्स को पोषक तत्‍वों को रिहा करने की अनुमति देता है। भीगा हुआ बादाम पाचन में भी मदद करता है। यह लाइपेज नामक एंजाइम की विज्ञप्ति करता है जो वसा के पाचन के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा भीगे हुए बादाम आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अन्‍य कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है…!!


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1.वजन घटाने में मददगार

बादाम वजन घटाने में भी मददगार होते हैं। इसमें मोनोअनसेचुरेटेड फैट आपकी भूख को रोकने और पूरा महसूस करने में मदद करता है। भीगा हुआ बादाम एंटीऑक्‍सीडेंट का भी अच्‍छा स्रोत हैं। यह मुक्‍त कणों के नुकसान से बचाकर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को रोकता है। भीगे बादाम में विटामिन B17 और फोलिक एसिड कैंसर से लड़ने और जन्‍म दोष को दूर करने के लिए महत्‍वपूर्ण होता हैं।

2.दिल को स्वस्थ रखें

जर्नल ऑफ न्‍यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्‍ययन के अनुसार, बादाम एक बहुत ही शक्तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट एजेंट हैं, जो एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल के ऑक्‍सीकरण को रोकने में मदद करता है। बादाम के ये गुण दिल को स्‍वस्‍थ रखने और पूरे हृदय प्रणाली को नुकसान और ऑक्सीडेटिव स्‍ट्रेस से बचाने में मदद करता है। अगर आप दिल की बीमारी के किसी भी रूप से पीड़ि‍त हैं तो स्‍वस्‍थ रहने के लिए अपने आहार में भीगे हुए बादाम को शामिल करें।


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3.हाई ब्‍लड प्रेशर को नियंत्रित करें

बादाम ब्‍लड प्रेशर के लिए भी अच्‍छे होते हैं। जर्नल फ्री रेडिकल रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने पाया कि बादाम का सेवन करने से ब्‍लड में अल्‍फा टोकोफेरॉल की मात्रा बढ़ जाती है, जो किसी के भी रक्‍तचाप को बनाये रखने के लिए महत्‍वपूर्ण होता है। अध्‍ययन से यह भी पता चला कि नियमित रूप से बादाम खाने से एक व्‍यक्ति का ब्‍लड प्रेशर नीचे लाया जाता है। और यह 30 से 70 वर्ष की उम्र के बीच के पुरुषों में विशेष रूप से प्रभावी था…!!

4.गर्भस्थ शिशु के विकास में मदद –

भीगे हुए बादाम में फॉलिक एसिड काफी होता है, ये पोषक तत्व गर्भ के शिशु के मस्तिष्क और न्यूरोलॉजिकल सिस्टम के विकास में मददगार साबित होता है। इसके अलावा, जब बादाम को भिगा दिया जाता है तो उन्हें खाना आसान हो जाता है, गर्भवती महिलाओं की कमज़ोर पाचन क्रिया के लिए ये खाना अच्छा होता है।


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5.पाचन क्रिया बनाएं बेहतर –

भीगे हुए बादाम पाचन क्रिया को मज़बूत और स्वस्थ बनाता है। जर्नल ऑफ फूड साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन में ये पाया गया कि भीगे कच्चे बादाम खाने से पेट जल्दी साफ होता है और प्रोटीन पचाना आसान हो जाता है। बादाम का छिलका निकल जाने से उसके छिलते में मौजूद एंजाइम अलग हो जाते हैं और इस वजह से फैट तोड़ने में आसानी होती है। ऐसे में पाचन क्रिया और पोषक तत्वों का अवशोषण आसान हो जाता है।

6.बैड’ कॉलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण –

उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या हमारे देश में सबसे आम बीमारियों में से एक होती जा रही है। उच्च कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग और दिल की धमनियों में रुकावट समेत कई प्रकार के रोगों का एक बड़ा कारण है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए बादाम आपकी मदद कर सकता है। बादाम शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाने में ‘खराब’ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में बहुत मदद करता है।

रात में पानी में भिगोकर सुबह छिलका उतार कर खाना से पढ़ने वाले बच्चों के लिए तो यह बहुत ही फायदेमंद सिद्ध होता हैं। बादाम खाना खाने के बाद शुगर और इंसुलिन का लेवल बढ़ने से रोकता है। जिससे डायबिटीज से बचा जा सकता है। तो फिर किस बात की देरी है, रोज सुबह भीगे बादाम खाकर आप भी अपने शरीर को पोषण से भरपूर करे..!!


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गैलरी

पिता जिद कर रहा था कि उसकी चारपाई गैलरी में डाल दी जाये।
बेटा परेशान था।

बहू बड़बड़ा रही थी….. कोई बुजुर्गों को अलग कमरा नही देता। हमने दूसरी मंजिल पर कमरा दिया…. सब सुविधाएं हैं, नौकरानी भी दे रखी है। पता नहीं, सत्तर की उम्र में सठिया गए हैं?

पिता कमजोर और बीमार हैं….
जिद कर रहे हैं, तो उनकी चारपाई गैलरी में डलवा ही देता हूँ। निकित ने सोचा। पिता की इच्छा की पू्री करना उसका स्वभाव था।

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अब पिता की चारपाई गैलरी में आ गई थी।
हर समय चारपाई पर पडे रहने वाले पिता
अब टहलते टहलते गेट तक पहुंच जाते ।
कुछ देर लान में टहलते । लान में खेलते
नाती – पोतों से बातें करते ,
हंसते , बोलते और मुस्कुराते ।
कभी-कभी बेटे से मनपसंद खाने की चीजें
लाने की फरमाईश भी करते ।
खुद खाते , बहू – बटे और बच्चों को भी खिलाते ….
धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य अच्छा होने लगा था।

दादा ! मेरी बाल फेंको… गेट में प्रवेश करते हुए निकित ने अपने पाँच वर्षीय बेटे की आवाज सुनी,
तो बेटा अपने बेटे को डांटने लगा…:
अंशुल बाबा बुजुर्ग हैं, उन्हें ऐसे कामों के लिए मत बोला करो।

पापा ! दादा रोज हमारी बॉल उठाकर फेंकते हैं….
अंशुल भोलेपन से बोला।

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क्या… “निकित ने आश्चर्य से पिता की तरफ देखा?
पिता ! हां बेटा तुमने ऊपर वाले कमरे में सुविधाएं तो बहुत दी थीं। लेकिन अपनों का साथ नहीं था। तुम लोगों से बातें नहीं हो पाती थी। जब से गैलरी मे चारपाई पड़ी है, निकलते बैठते तुम लोगों से बातें हो जाती है। शाम को अंशुल -पाशी का साथ मिल जाता है।

पिता कहे जा रहे थे और निकित सोच रहा था…..

बुजुर्गों को शायद भौतिक सुख सुविधाऔं से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है

बुज़ुर्गों का सम्मान करें ।
यह हमारी धरोहर है …!

यह वो पेड़ हैं, जो थोड़े कड़वे है, लेकिन इनके फल बहुत मीठे है, और इनकी छांव का कोई मुक़ाबला नहीं !

लेख को पढ़ने के उपरांत अन्य समूहों में साझा अवश्य करें…!!

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पौष्टिक तत्वों से भरपूर टमाटर

पौष्टिक तत्वों से भरपूर टमाटर हर मौसम में सेवनीय है| इसमें सेव व संतरा दोनों के गुण पाए जाते हैं| आप चाहे इसे सब्जी में डालें ,सलाद के रूप में खाएं या किसी अन्य तरीके से सेवन करें इसमें भरपूर मात्रा में केल्शियम,फास्फोरस व विटामिन सी पाए जाते हैं |इसमें कार्बोहाईड्रेट की मात्रा बहुत कम होती है|इससे कई रोगों का निदान होता है| टमाटर इतने पौष्टिक होते हैं कि सुबह नाश्ते में सिर्फ दो टमाटर सम्पूर्ण भोजन के बराबर होते हैं|

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केंसर रोधी- टमाटर प्राकृतिक तौर पर केंसर से लड़ने का काम करता है इसका नियमित सेवन तमाम तरह के केंसर से बचाव में मदद करता है| जैसे गर्भाशय का केंसर,मुख का केंसर,खाने की नली,गला पेट,कोलन,रेक्टल,प्रोस्टेट,ओवेरियन आदि के केंसर| टमाटर में पाया जाने वाला लायकोपिन तत्त्व केंसर विरोधी गुण युक्त होता है| टमाटर में मौजूद एंटीआक्सीडेंट उन फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मददगार होता है जो हमारी कोशिकाओं को नष्ट करते हैं

हड्डियों की मजबूती- टमाटर के सेवन से हड्डियां मजबूत बनती हैं| इसमें पाया जाने वाला विटामिन के और केल्शियम हड्डियों की मजबूती और रिपेयर दोनों काम करता है| इसमें मौजूद लायकोपिन से अस्थियों का घनत्व बढ़ता है|

ब्लड शूगर नियंत्रण में उपयोगी- टमाटर में पाया जाने वाला क्रोमियम ब्लड शूगर को नियंत्रित और नियमित रखने सहायक है डायबीटीज और दिल के रोगों में भी टमाटर की अहम उपयोगिता है सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये एक पका टमाटर खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अच्छा है

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आँखों की रोशनी बढाता है- इसमें पाया जाने वाला विटामिन ऐ नेत्रों की ज्योति बढाने के अलावा रतौंधी रोग की रोकथाम करता है| एक रिसर्च के अनुसार टमाटर के उपयोग से आँखों में होने वाले गंभीर रोग मेक्युलर डिजनरेशन की रिस्क काफी कम हो जाती है

दमा रोग में सेवनीय -श्वास रोगियों को नियमित रूप से टमाटर खाना चाहिए| इससे श्वास नली की सूजन और संक्रमण कम हो जाता है | प्राकृतिक चिकित्सकों का मत है कि टमाटर खाने से फेफड़ों का अति संकुचन दूर होता है और खांसी तथा बलगम से भी राहत मिल जाती है|

वजन घटाने में सहायक- जो लोग अपना वजन घटाना चाहते हैं उनके लिए टमाटर बेहद लाभप्रद है टमाटर में बहुत कम केलोरी होती है|

झुर्रिया कम करता है- टमाटर के गूदे में नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है और झुर्रिया मिटती हैं| टमाटर और शहद के मिश्रण वाला फेस पेक भी बहुत उपयोगी है|

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हस्त – मुद्रा – चिकित्सा

मानव-शरीर अनन्त रहस्योंसे भरा हुआ है ।
शरीरकी अपनी एक मुद्रामयी भाषा है ।
जिसे करनेसे शारीरिक स्वास्थ्य-लाभ में सहयोग होता है ।
यह शरीर पंचतत्त्वोंके योगसे बना है ।

पाँच तत्त्व ये हैं
〰〰〰〰
(1) पृथ्वी,(2) जल,(3) अग्नि,(4) वायु,एवं
(5) आकाश।

हस्त-मुद्रा-चिकित्साके अनुसार हाथ तथा हाथोंकी अँगुलियों और अँगुलियोंसे बननेवाली मुद्राओंमें आरोग्यका राज छिपा हुआ है ।
हाथकी अँगुलियोंमें पंचतत्त्व प्रतिष्ठित हैं ।

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ऋषि-मुनियोंने हजारों साल पहले इसकी खोज कर ली थी एवं इसे उपयोगमें बराबर प्रतिदिन लाते रहे, इसीलिये वे लोग स्वस्थ रहते थे ।

ये शरीरमें चैतन्यको अभिव्यक्ति देनेवाली कुंजियाँ हैं ।

अँगुली में पंच तत्व
〰〰〰〰〰〰
हाथों की 10 अँगुलियों से विशेष प्रकार की आकृतियाँ बनाना ही हस्त मुद्रा कही गई है।

हाथों की सारी अँगुलियों में पाँचों तत्व मौजूद होते
हैं जैसे अँगूठे में अग्नि तत्व,तर्जनी अँगुली में वायु तत्व,मध्यमा अँगुली में आकाश तत्व,अनामिका अँगुली में पृथ्वी तत्व और कनिष्का अँगुली में
जल तत्व।

अँगुलियों के पाँचों वर्ग से अलग-अलग विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
इसलिए मुद्रा विज्ञान में जब अँगुलियों का रोगानुसार आपसी स्पर्श करते हैं,तब रुकी हुई या असंतुलित विद्युत बहकर शरीर की शक्ति को पुन: जगा देती है और हमारा शरीर निरोग होने लगता है। ये अद्भुत मुद्राएँ करते ही यह अपना असर दिखाना शुरू कर देती हैं।

किसी भी मुद्राको करते समय जिन अँगुलियोंका कोई काम न हो उन्हें सीधी रखे।

वैसे तो मुद्राएँ बहुत हैं पर कुछ मुख्य मुद्राओंका वर्णन यहाँ किया जा रहा है, जैसे-

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(1) ज्ञान-मुद्रा
〰〰〰〰〰
विधि:- अँगूठेको तर्जनी अँगुलीके सिरेपर लगा दे।

शेष तीनों अँगुलियाँ चित्रके अनुसार सीधी रहेंगी।

लाभ:- स्मरण-शक्तिका विकास होता है और ज्ञानकी वृद्धि होती है,पढ़नेमें मन लगता है तथा अनिद्राका नाश,स्वभावमें परिवर्तन,अध्यात्म-शक्तिका विकास और क्रोधका नाश होता है ।

सावधानी:- खान-पान सात्त्विक रखना चाहिये,पान-पराग, सुपारी,जर्दा इत्यादि का सेवन न करे। अति उष्ण और अति शीतल पेय पदार्थोंका सेवन न करे।

(2) वायु-मुद्रा
〰〰〰〰
विधि:- तर्जनी अँगुलीको मोड़कर अँगूठेके मूलमें लगाकर हलका दबाये।शेष अँगुलियाँ सीधी रखे।

लाभ:- वायु शान्त होती है। लकवा, साइटिका, गठिया,संधिवात,घुटनेके दर्द ठीक होते हैं।
गर्दनके दर्द,रीढ़के दर्द आदि विभिन्न रोगोंमें फायदा होता है।

विशेष- इस मुद्रासे लाभ न होनेपर प्राण-मुद्रा
(संख्या 10)-के अनुसार प्रयोग करे।

सावधानी:- लाभ हो जानेतक ही करे इस मुद्रा को।

(3) आकाश-मुद्रा
〰〰〰〰〰
विधि:- मध्यमा अँगुलीको अँगूठेके अग्र भाग से मिलाये। शेष तीनों अँगुलियाँ सीधी रहें।

लाभ:‌- कानके सब प्रकारके रोग जैसे बहरापन आदि,हड्डियोंकी कमजोरी तथा हृदय-रोग ठीक
होता है।

सावधानी:- भोजन करते समय एवं चलते-फिरते
यह मुद्रा न करे। हाथोंको सीधा रखे। लाभ हो जानेतक ही करे।

(4) शून्य-मुद्रा
〰〰〰〰
विधि:- मध्यमा अँगुलीको मोड़कर अँगुष्ठके मूलमें लगाये एवं अँगूठेसे दबाये।

लाभ:- कानके सब प्रकारके रोग जैसे बहरापन आदि दूर होकर शब्द साफ सुनायी देता है,
मसूढ़े की पकड़ मजबूत होती है तथा गलेके रोग एवं थायरायड रोगमें फायदा होता है।

(5) पृथ्वी-मुद्रा
〰〰〰〰〰
विधि:- अनामिका अँगुलीको अँगूठेसे लगाकर रखे।

लाभ:- शरीरमें स्फूर्ति,कान्ति एवं तेजस्विता
आती है।

दुर्बल व्यक्ति मोटा बन सकता है,वजन बढ़ता है, जीवनी शक्तिका विकास होता है। यह मुद्रा पाचन-क्रिया ठीक करती है,सात्त्विक गुणोंका विकास करती है,दिमागमें शान्ति लाती है तथा विटामिनकी कमीको दूर करती है।

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(6) सूर्य‌‌-मुद्रा
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विधि:- अनामिका अँगुलीको अँगूठेके मूलपर लगाकर अँगूठेसे दबाये।

लाभ:- शरीर संतुलित होता है,वजन घटता है, मोटापा कम होता है।
शरीरमें उष्णताकी वृद्धि,तनावमें कमी,शक्तिका विकास, खूनका कोलस्ट्रॉल कम होता है। यह मुद्रा मधुमेह, यकृत्‌ (जिगर)- के दोषोंको दूर करती है।

सावधानी:- दुर्बल व्यक्ति इसे न करे। गर्मी में ज्यादा समय तक न कर।

(7) वरुण-मुद्रा
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विधि:- कनिष्ठा अँगुलीको अँगूठेसे लगाकर मिलाये।

लाभ:- यह मुद्रा शरीरमें रूखापन नष्ट करके चिकनाई बढ़ाती है,चमड़ी चमकीली तथा मुलायम बनाती है। चर्म-रोग,रक्त-विकार एवं जल-तत्त्वकी कमी से उत्पन्न व्याधियोंको दूर करती है। मुँहासों को नष्ट करती और चेहरेको सुन्दर बनाती है।

सावधानी‌:- कफ-प्रकृतिवाले इस मुद्राका प्रयोग अधिक न करें।

(8) अपान-मुद्रा
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विधि:- मध्यमा तथा अनामिका अँगुलियोंको अँगूठेके अग्रभागसे लगा दें।

लाभ:- शरीर और नाड़ी की शुद्धि तथा कब्ज दूर
होता है। मल-दोष नष्ट होते हैं, बवासीर ठीक होता है। वायु-विकार,मधुमेह,मूत्रावरोध,गुर्दोंके दोष,दाँतोंके दोष दूर होते हैं। पेटके लिये उपयोगी है,हृदय-रोगमें फायदा होता है तथा यह पसीना लाती है।

सावधानी:- इस मुद्रासे मूत्र अधिक होगा।

(9) अपान वायु या हृदय-रोग-मुद्रा
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विधि:- तर्जनी अँगुलीको अँगूठेके मूलमें लगाये तथा मध्यमा और अनामिका अँगुलियोंको अँगूठे के अग्र भागसे लगा दे।

लाभ:- जिनका दिल कमजोर है,उन्हें इसे प्रतिदिन करना चाहिये। दिल का दौरा पड़ते ही यह मुद्रा करानेपर आराम होता है। पेट में गैस होनेपर यह उसे निकाल देती है। सिर-दर्द होने तथा दमेकी शिकायत होनेपर लाभ होता है।
सीढ़ी चढ़नेसे पाँच-दस मिनट पहले यह मुद्रा करके चढ़े। इससे उच्च रक्तचाप में फायदा होता है।

सावधानी:- हृदयका दौरा आते ही इस मुद्राका आकस्मिक तौरपर उपयोग करे।

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(10) प्राण-मुद्रा
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विधि:- कनिष्ठा तथा अनामिका अँगुलियोंके अग्रभागको अँगूठेके अग्रभागसे मिलायें।

लाभ:- यह मुद्रा शारीरिक दुर्बलता दूर करती है, मनको शान्त करती है,आँखोंके दोषों को दूर करके ज्योति बढ़ाती है,शारीरकी रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है, विटामिनोंकी कमीको दूर करती है तथा थकान दूर करके नवशक्तिका संचार करती है। लंबे उपवास-कालके दौरान भूख-प्यास नहीं सताती तथा चेहरे और आँखों एवं शरीर को चमकदार बनाती है। अनिद्रामें इसे ज्ञान-मुद्रा के साथ करे।

(11) लिङ्ग-मुद्रा
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विधि:- मुठ्ठी बाँधे तथा बायें हाथके अँगूठेको खड़ा रखे,अन्य अँगुलियाँ बँधी हुई रखे।

लाभ:- शरीरमें गर्मी बढ़ाती है सर्दी, जुकाम, दमा, खाँसी, साइनस, लकवा तथा निम्न रक्तचापमें लाभप्रद है,कफको सुखाती है।

सावधानी‌:- इस मुद्रा का प्रयोग करने पर जल,फल, फलों का रस,घी और दूध का सेवन अधिक मात्रामें करे।

इस मुद्राको अधिक लम्बे समयतक न करे।

संकलित📚🖍🙏🙌
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बढ़ती तोंद से निजात पाने के आसान उपाय

आजकल की दौड़ती-भागती जिंदगी में हमारे लिए अपनी सेहत का ध्यान रखना मुश्किल होता जा रहा है, वहीं रोजाना घंटों ऑफिस में बैठे रहकर काम करने से पेट निकलना आम बात हो गई है।

हमारी जीवनशैली से सेहत पर सीधा असर पड़ता है और सही खानपान से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। ऐसे में अपने काम के साथ इन आसान घरेलू उपायों से अपनी तोंद से निजात पा सकते हैं।

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क्या खाएं? : पेट कम करने में उचित खानपान बहुत अहम भूमिका निभाता है। रिसर्च से पता चला है की ओमेगा-3 एसिड से युक्त खाना आपके इस समस्या को काम कर सकता है। साथ ही ओमेगा 6 फैटी एसिड की कम मात्रा इसमें और कारगर साबित हो सकती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड अखरोट, अलसी और मछली में पाया जाता है। इसके साथ ही लहसुन खाने से भी पेट काम करने में मदद मिलती है। लहसुन एक एंटीबायोटिक, ब्लड सर्कुलेशन और पाचन को बनाये रखने में सहायक होता है। इसके अलावा ब्लड शुगर, इन्सुलिन स्तर और ज्यादा फैट जलाने की क्षमता आपके पेट को कम करने का रामबाण उपाय है।

क्या पीएं ? : अगर आप अपनी रोज की चाय की जगह ग्रीन टी पीते है तो बढ़ी तोंद से काफी हद तक छुटकारा पा सकते हैं। ग्रीन टी में मौजूद तत्त्व बॉडी के फैट को कम करने में सहायक होते है। इतना ही नहीं ग्रीन टी आपकी कमर को भी कम करती है और पेट की ज्वलनशीलता को भी कम करने में कारगर है। इसमें मौजूद फ्लेवोनॉयड्स में प्राकृतिक जलनरोधात्मक तत्व होते हैं इसलिए इसका रोजाना सेवन आपको अच्छे परिणाम दे सकता है।

कौन से मसाले है फायदेमंद? : पेट कम करने की प्रक्रिया में सही मसाले भी आपको फायदा पंहुचा सकते है। इस में दालचीनी एक्स्ट्रा फैट को जलाने में उपयोगी है। इसके लिए आधा चम्मच दालचीनी को 1 ग्लास पानी में 1 चम्मच शहद मिलकर 5 मिनट रखे। फिर इस नाश्ते के पहले और सोने से पहले पीना आपके बढे पेट को कम कर देगा। ऐसे ही पुदीने के पत्ते को 1 ग्लास गरम पानी में आधा चम्मच काली मिर्च डालकर इसका घोल पीना भी बेहद फायदेमंद है।

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कौन से फल खाए? : वैसे तो फल खाना अच्छी सेहत के लिए जरुरी है। कुछ फल पेट कम करने में अधिक फायदा दे सकते है। तरबूज में 83 फीसदी पानी पाया जाता है साथ ही इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है जो सेहत के लिए लाभदायक है। इसके अलावा सुबह नाश्ते में सेब खाना फायदेमंद है। इसमें मौजूद पोटैशियम और विटामिन्स से आपका पेट भरा रहता है जो बढ़ती तोंद कम करने में सहायक है। ऐसे ही केला भी आपकी फ़ास्ट फ़ूड की भूख को कम करता है। साथ ही केला पाचन प्रक्रिया को बढ़ता है जिससे पेट की चर्बी कम होती है।

तो फिर देर किस बात की अब बढ़ी तोंद से छुटकारा पाना मुश्किल नहीं है। बस रोजमर्रा के जीवन में सही खानपान से आप भी फिट और तंदरुस्त रह सकते है।

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तेजी से वजन घटाना चाहते हैं, तो ट्राय कीजिए लेमन कॉफी

जी हां, लेमन कॉफी भी आपका वजन कम कर सकती है, वह भी तेजी से। अगर आपको यकीन न भी हो, तो एक बार तो आप इसे ट्राय कर ही सकते हैं।दरअसल कॉफी का काम है एनर्जी पैदा करना। और इसके कारण इसमें मौजूद कैफीन, थियोब्रोमाइन, थियोफाइलिन और क्लोरोजेनिक एसिड, जो कि वजन कम करने में मददगार होते हैं, तेजी से आपको वजन कम करने का काम करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं यह आपके शरीर से विषैले तत्वों को बाहर करके बॉडी को डिटॉक्सीफाई करने में भी सहायक होता है। वैसे तो इसके और भी फायदे हैं लेकिन सबसे बड़ा फायदा वजन कम करने को लेकर ही है। मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के साथ ही यह तेजी से बजन कम करेगा।
अगर आप इसे ट्राय करने का सोच रहे हैं, तो ये जरूर जान लीजिए कि इसे लेना कैसे है।

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आपको बस इतना करना है कि एक कप में गर्म पानी लेकर इसमें कॉफी मिक्स करें और उसके बाद इसमें नींबू का रस मिलाएं। बस ये बनकर तैयार है। अब आप इसे सुबह के समय खालीपेट या फिर एक्सरसाइज के पहले या फिर बाद में पिएं। रोजाना इसका सेवन करने से आपका वजन तेजी से घटने लगेगा।लेकिन इसे ट्राय करने से पहले अपने डायटीशियन से जरूर बात करें। अगर नींबू या कॉफी आपको सूट नहीं करती, तो इसका प्रयोग न करना ही आपके लिए बेहतर होगा।

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स्वाइन फ्लू से बचने के 5 उपाय, अपने किचन से ही पाएं, जरूर आजमाएं

तुलसी – तुलसी आपको इस संक्रमण से बचा सकती है, अत: रोजाना किसी भी रूप में इसका सेवन करें ताकि आप स्वाइन फ्लू के साथ-साथ अन्य संक्रमण से बच सकें।

कपूर – किसी भी प्रकार के संक्रमण से निजात दिलाने के लिए कपूर एक औषधि की तरह काम करता है। श्वसन संबंधी संक्रमण में इसे सूंघना फायदेमंद है, इसलिए आपने सुना होगा कि इलायची और कपूर को सूंघने से स्वाइन फ्लू से बचा जा सकता है। आप इसे खा भी सकते हैं लेकिन इसकी मात्रा गेहूं के दाने बराबर या इससे भी कम रखें।

नीम– प्राकृतिक एंटीबायोटिक, एंटीइंफ्लेमेटरी के तौर पर नीम का प्रयोग सदियों से किया जाता रहा है, और स्वाइन फ्लू से बचने के लिए भी आप इसकी मदद ले सकते हैं। रोजाना नीम की कुछ पत्त‍ियां चबाकर आप न सिर्फ स्वाइन फ्लू से बच सकते हैं, बल्कि रक्त को भी शुद्ध कर सकते हैं।

गिलोय – गिलोय का प्रयोग करना अमृत के समान फायदेमंद होगा। इसे तुलसी की पत्त‍ियों के साथ उबालकर इस पानी में काली मिर्च, काला नमक व मिश्री के साथ सेवन करें। इससे स्वाइन फ्लू के अलावा कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभ होगा।

लहसुन – लहसुन का प्रयोग यूं तो आप खाने में करते ही हैं, लेकिन अगर कच्चे लहसुन का सेवन करेंगे तो यह बेहद लाभकारी होगा और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा करेगा।

ठंड में इनसे मिलती है शरीर को गर्मी

ठंड के मौसम में सर्दी के असर से बचने के लिए लोग गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन शरीर को चाहे कितने ही गर्म कपड़ों से ढक लिया जाए ठंड से लड़ने के लिए बॉडी में अंदरूनी गर्मी होनी चाहिए। शरीर में यदि अंदर से खुद को मौसम के हिसाब से ढालने की क्षमता हो तो ठंड कम लगेगी और कई बीमारियां भी नहीं होंगी। यही कारण है कि ठंड में खानपान पर विशेष रूप से ध्यान देने को आयुर्वेद में बहुत महत्व दिया गया है। सर्दियों में यदि खानपान पर विशेष ध्यान दिया जाए तो शरीर संतुलित रहता है और सर्दी कम लगती है।

1. बाजरा

कुछ अनाज शरीर को सबसे ज्यादा गर्मी देते है। बाजरा एक ऐसा ही अनाज है। सर्दी के दिनों में बाजरे की रोटी बनाकर खाएं। छोटे बच्चों को बाजरा की रोटी जरूर खाना चाहिए। इसमें कई स्वास्थ्यवर्धक गुण भी होते है। दूसरे अनाजों की अपेक्षा बाजरा में सबसे ज्यादा प्रोटीन की मात्रा होती है। इसमें वह सभी गुण होते हैं, जिस से स्वास्थ्य ठीक रहता है। ग्रामीण इलाकों में बाजरा से बनी रोटी व टिक्की को सबसे ज्यादा जाड़ो में पसंद किया जाता है। बाजरा में शरीर के लिए आवश्यक तत्व जैसे मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैग्नीज, ट्रिप्टोफेन, फाइबर, विटामिन-बी, एंटीऑक्सीडेंट आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

2. बादाम

बादाम कई गुणों से भरपूर होते हैं। इसका नियमित सेवन अनेक बीमारियों से बचाव में मददगार है। अक्सर माना जाता है कि बादाम खाने से याददाश्त बढ़ती है, लेकिन यह ड्राय फ्रूट अन्य कई रोगों से हमारी रक्षा भी करता है। इसके सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है, जो सर्दियों में सबसे बड़ी दिक्कत होती है। बादाम में डायबिटीज को निंयत्रित करने का गुण होता है। इसमें विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है।

3. अदरक

क्या आप जानते हैं कि रोजाना के खाने में अदरक शामिल कर बहुत सी छोटी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है। सर्दियों में इसका किसी भी तरह से सेवन करने पर बहुत लाभ मिलता हैै। इससे शरीर को गर्मी मिलती है और डाइजेशन भी सही रहता है।

4. शहद

शरीर को स्वस्थ, निरोग और उर्जावान बनाए रखने के लिए शहद को आयुर्वेद में अमृत भी कहा गया है। यूं तो सभी मौसमों में शहद का सेवन लाभकारी है, लेकिन सर्दियों में तो शहद का उपयोग विशेष लाभकारी होता है। इन दिनों में अपने भोजन में शहद को जरूर शामिल करें। इससे पाचन क्रिया में सुधार होगा और इम्यून सिस्टम पर भी असर पड़ेगा।

5. रसीले फल न खाएं

सर्दियों के दिनों में रसीले फलों का सेवन न करें। संतरा, रसभरी या मौसमी आपके शरीर को ठंडक देते है। जिससे आपको सर्दी या जुकाम जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

6. मूंगफली

100 ग्राम मूंगफली के भीतर ये तत्व मौजूद होते हैं : प्रोटीन- 25.3 ग्राम, नमी- 3 ग्राम, फैट्स- 40.1 ग्राम, मिनरल्स- 2.4 ग्राम, फाइबर- 3.1 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट- 26.1 ग्राम, ऊर्जा- 567 कैलोरी, कैल्शियम – 90 मिलीग्राम, फॉस्फोरस 350 मिलीग्राम, आयरन-2.5 मिलीग्राम, कैरोटीन- 37 मिलीग्राम, थाइमिन- 0.90 मिलीग्राम, फोलिक एसिड- 20मिलीग्राम। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन, मिनिरल्स आदि तत्व इसे बेहद फायदेमंद बनाते हैं। यकीनन इसके गुणों को जानने के बाद आप कम से कम इस सर्दियों में मूंगफली से टाइमपास करने का टाइम तो निकाल ही लेंगे।

7. सब्जियां

अपनी खुराक में हरी सब्जियों का सेवन करें। सब्जियां, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और गर्मी प्रदान करती है। सर्दियों के दिनों में मेथी, गाजर, चुकंदर, पालक, लहसुन बथुआ आदि का सेवन करें। इनसे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।

8. तिल

सर्दियों के मौसम में तिल खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। तिल के तेल की मालिश करने से ठंड से बचाव होता है। तिल और मिश्री का काढ़ा बनाकर खांसी में पीने से जमा हुआ कफ निकल जाता है। तिल में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे, प्रोटीन, कैल्शियम, बी-कॉम्प्लेक्स और कार्बोहाइट्रेड आदि। प्राचीन समय से खूबसूरती बनाए रखने के लिए तिल का उपयोग किया जाता रहा है।

 

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माघ मास – माघ स्नान से बढ़कर पवित्र पाप नाशक दूसरा कोई व्रत नही है

🌷🙏🏻 22 जनवरी से लेकर 19 फरवरी तक (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार माघ मास दिनांक 5 फरवरी से) माघ महिना रहेगा | माघ स्नान से बढ़कर पवित्र पाप नाशक दूसरा कोई व्रत नही है | एकादशी के व्रत की महिमा है, गंगा स्नान की महिमा है, लेकिन माघ मास में सभी तिथियाँ पर्व हैं, सभी तिथियाँ पूनम हैं | और माघ मास में सूर्योदय से थोड़ी देर पहले स्नान करना पाप नाशक और आरोग्य प्रद और प्रभाव बढ़ाने वाला है | पाप नाशनी उर्जा मिलने से बुद्धि शुद्ध होती है, इरादे सुंदर होते हैं |

🙏🏻 पद्म पुराण में ब्रह्म ऋषि भृगु कहते हैं कि –
तप परम ध्यानं त्रेता याम जन्म तथाह |
द्वापरे व् कलो दानं |
माघ सर्व युगे शुच ||

🙏🏻 सत युग में तपस्या से उत्तम पद की प्राप्ति होती है, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में भगवत पूजा से और कलियुग में दान सर्वोपरी माना गया है | दानं केवलं कलि युगे || परन्तु माघ स्नान तो सभी युगों में श्रेष्ठ माना गया है |

🙏🏻 सतयुग में सत्य की प्रधानता थी, त्रेता में तप की, द्वापर में यज्ञकी, कलयुग में दान की लेकिन माघ मास में स्नान की चारो युग में बड़ी भारी महिमा है | सभी दिन माघ मास में स्नान कर सकें तो बहुत अच्छा नहीं तो 3 दिन तो लगातार करना चाहिए | बीच में तो करें लेकिन आखरी 3 दिन तो जरूर करना चाहिए | माघ मास का इतना प्रभाव है कि सभी जल गंगा जल के तीर्थ पर्व के समान हैं |

🙏🏻 पुष्कर, कुरुक्षेत्र, काशी, प्रयाग में 10 वर्ष पवित्र शौच, संतोष आदि नियम पलने से जो फल मिलता है माघ मास में ३ दिन स्नान करने से वो मिल जाता है, खाली 3 दिन | माघ मास प्रात: स्नान सब कुछ देता है | आयु, आरोग्य, रूप, बल, सौभाग्य, सदाचरण देता है |

🙏🏻 जिनके बच्चे सदाचरण से गिर गए हैं उनको भी पुचकार के, इनाम देकर भी बच्चो को स्नान कराओ तो बच्चों को समझाने से, मारने-पिटने से या और कुछ करने से उतना नहीं सुधर सकते हैं, घर से निकाल देने से भी इतना नहीं सुधरेंगे जितना माघ मास के स्नान से |

🙏🏻 तो सदआचरण, संतान वृद्धि, सत्संग, सत्य और उदार भाव आदि का प्रादितय होता है | व्यक्ति की सुरता उतम गुण, सुरता माना समझ, उतम गुण से सम्पन होती है | नर्क का डर उसके लिए सदा के लिए खत्म हो जाता है | मरने के बाद फिर वो नर्क में नही जायेगा |

🙏🏻 दरिद्रता और पाप दूर हो जायेंगे | दुर्भाग्य का कीचड नाश हो जायेगा |

चेहरे पर निखार लाने के लिए घरेलू उबटन कैसे बनाए

🌸 एक कटोरी बेसन, चार चम्मच हल्दी, 2 चम्मच सरसों का तेल, इसे दूध में मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस उबटन को शरीर पर मलें। इसे तब तक मलें जब तक कि यह सूखकर खुद ही झड़ने न लगे। इस उबटन से चेहरे की त्वचा मुलायम होती है।
🌼हल्दी को बादाम की गिरी के साथ मिलाकर उसमें एक चम्मच ज्वार का आटा, 1 चम्मच दूध मिलाकर लेप तैयार कीजिए। नहाने से एक घंटा पहले लगाएं व गरम पानी से नहायें ।
🌾चंदन को हल्दी की गांठों के साथ गुलाब जल के साथ पीसें। त्वचा पर इसका लेप लगाकर सूखने दें। फिर ठंडे पानी से नहा लें । इस उबटन का प्रयोग गर्मियों में ही करें। इससे चेहरे पर निखार आ जायेगा |
🌸 बड़े चम्मच दूध में चंदन घिसकर संतरे का रस और बेसन मिलाएं। आधे घंटे तक सूखने तक चेहरे पर लगा कर रखें । सूखने पर ठंडे पानी से धोएं, ये दोनों उबटन त्वचा को ठंडक देने वाले होते हैं। इसके अलावा कुछ फेस पैक हैं जिनका प्रयोग आप आसानी से कर सकते हैं।
🍂चेहरे के दाग-धब्बे दूर करने के लिए चंदन पाउडर में कपूर घिसकर मिलाएं। फिर शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। आधे घंटे बाद चेहरा धो लें। इस उबटन के नियमित प्रयोग से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ हो जाएगा।
🌾छने हुए चोकर में दूध मिलाकर चेहरे पर लगाकर चेहरा धो लें। यदि आपकी त्वचा रूखी है तो मलाई मिलाकर लगाएं। यदि चेहरे पर बारीक-बारीक गड्ढे हों तो चावल के आटे में कच्चा दूध मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। एक माह तक लगातार इस उबटन का प्रयोग करें, चेहरे के ये अनाकर्षक गड्ढे कुछ ही दिनों में भर जाएंगे।
🌼नींबू और संतरे के सूखे छिलकों की बारीक पीसकर एक चम्मच चूर्ण में चुटकी भर हल्दी, थोड़ा-सा बेसन और गुलाब जल की दो बूंद कच्चे दूध के साथ मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार कर लें। यदि त्वचा रूखी है तो थोड़ी-सी मलाई भी मिला लें। नियमित प्रयोग करने पर आपका चेहरा गुलाब की तरह खिल उठेगा।
🌻सॉफ्ट स्किन के लिए दो चम्मच शहद, दो चम्मच नींबू का रस, दो चम्मच ग्लिसरीन और आधा कप पानी मिलाकर त्वचा पर मिलाकर लगाएं। एक घंटे बाद कुनकुने पानी से चेहरा धो लें।
🌸प्रतिदिन सुबह-शाम कच्चा दूध लेकर रुई के फोहे से चेहरा साफ करें। ऐसा करने से चेहरे में नमी भी बनी रहेगी और ताजगी भी नजर आएगी।
🌻काले तिल और पीली सरसों को दूध में पीसकर चेहरे पर दस मिनट लगाएं। इस प्रकार के नियमित प्रयोग से चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाएंगे।
🌼चहरे पर मुंहासे हटाने के लिए लौंग को पीसकर सुबह-शाम मुंहासों पर नियमित रूप से मलें। कुछ ही दिनों में चेहरा बेदाग हो जाएगा।

खांसी में स्टेरॉयड का भी बाप है कॉफ़ी का ये प्रयोग

क्या आपको अक्सर ही खांसी लगी रहती है ? क्या आप की खांसी बहुत पुरानी हो चुकी है ?
क्या बार बार दवा लेने के बाद भी आपकी खांसी नहीं जा रही ?

⚫और आप दवा ले ले कर परेशान हो गए हो तो अभी ये जो फार्मूला हम बताने जा रहें हैं ये खांसी के मामले में स्टेरॉयड का भी बाप है. स्टेरॉयड कोई दवा नहीं होती ये डॉक्टर तब दिए जाते हैं जब कोई दवा असर ना करे. और स्टेरॉयड शरीर के लिए बेहद हानिकारक है. इस नुस्खे के बारे में हम ये भी बताना चाहते हैं के अनेक आधुनिक डॉक्टर भी इस का रिजल्ट देख कर चकित हो गए हैं. तो आइये जाने ये बेहतरीन नुस्खा.

इस प्रयोग में आवश्यक सामग्री:

▪ एक कप बनी हुयी फीकी काली कॉफ़ी (बिना दूध और चीनी के)
▪ दो चम्मच शहद
▪ दालचीनी – एक चुटकी (इच्छा अनुसार)

⚫इसके उपयोग की विधि

⚫एक कप गर्म कॉफ़ी में दो चम्मच शहद अच्छे से मिला लीजिये. अब इस कॉफ़ी को धीरे धीरे घूँट घूँट कर पीजिये. यह प्रयोग दिन में दो बार कीजिये. सुबह और शाम को. पुराने से पुरानी और किसी भी प्रकार की खांसी इस प्रयोग के कुछ दिन करने से छू मंतर हो जाती है.

⚫कफ की समस्या वाले 97 रोगियों पर यह प्रयोग किया गया जिसमे इतना चौंकाने वाले रिजल्ट मिले के कई मल्टी नेशनल फार्मा कंपनियों की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ गया. इस ड्रिंक को और शक्तिशाली बनाने के लिए आप इसमें चुटकी भर दालचीनी का पाउडर भी डाल सकते हैं.

⚫आपके सु स्वास्थ्य की कामना रखते हैं. आप जब भी ये प्रयोग करें तो हमको अपने रिजल्ट एक हफ्ते के बाद ज़रूर बताएं. वैसे तो आप पहले ही बता देंगे क्यूंकि ये रिजल्ट ही इतना जल्दी देता है.

विशेष जब भी खांसी हो तो ये प्रयोग आजमा लिया कीजिये. आज के बाद कभी खांसी की कोई दवा तुरंत ना लें. पहले ये प्रयोग कर के देख ले.

Source: WhatsApp

शक्ति संकलन संकल्प 

1. अपने आपको छोटा और बेचारा नहीं मानें। आप ईश्वर की अनमोल कृति हैं और उस सर्व शक्तिमान ईश्वर ने एक निश्चित उद्देश्य के लिये आपको यह सुन्दर जीवन दिया है और उस निश्चित लक्ष्य, उद्देश्य को आप ही पूरा करेंगे यह विश्वास सदैव बनाए रखें।

2. दूसरों की आलोचना से आपकी स्वयं की शक्ति का ह्रास होता है, दूसरों की कमियों की व्याख्या में अपना समय व्यर्थ न गंवाएं अन्यथा आप स्वयं नकारात्मक भाव पकड़ने लग जाएंगे।

3. जीवन में जिन कार्यों और परिस्थितियों पर आपका वश नहीं है, उनके प्रति स्वयं को सकारात्मक रखें। अच्छा ही होगा – अच्छा ही होगा – अच्छा ही होगा, ऐसा विचार करने से नये-नये मार्ग अवश्य दृष्टिगत होंगे।

4. अपनी शक्ति के चिन्तन में स्वयं को लगाएं, ध्यान के साधन द्वारा जैसा आप स्वयं चाहते हैं वैसा शक्ति सम्पन्न बनने का मानसिक संकल्प दोहराते रहें।

5. अतीत की सोच और भविष्य की सोच दोनों से दूरी बना लें, क्योंकि आपको वर्तमान में कर्म करना है। ‘ वर्तमान के ही कर्म का चिन्तन करें’।

6. अतीत के दुःख औरभविष्य के भय को सकारात्मक सोच दें। उन्हें कष्ट का कारण न मानें क्योंकि अतीत और भविष्य दोनों ही प्रश्नवाचक हैं।

7. स्वयं को समयबद्ध तरीके से कार्य में लगाएं, समय-समय पर अपना स्वयं का आंकलन करते रहें और उसी के अनुसार अपनी कार्यशैली, कृतित्व (creation) आदि मेंपरिवर्तन करते हैं। यदि कोई नया आदर्श स्थापित करना है तो उसे भी स्थापित करते रहें।

8. मनुष्य के पास समय कम है और कामनाएं अनन्त हैं। ऐसे में अपने मन और मस्तिष्क पर पूर्ण नियन्त्रण करते हुए उसे अपने संकल्प की ओर ही दिशा देते रहें और अपने संकल्प का आंकलन करते रहें।

9. हर सुन्दर और मूल्यवान वस्तु हमारी हो, हर ज्ञान,सुन्दरता, बल, तप, यश में हम ही श्रेष्ठ हों। यह दौड़ छोड़ दें। बल्कि यह आंकलन करें कि हमारे अन्दर भी अनन्त गुण हैं और इन गुणों के द्वारा ही हम सर्वश्रेष्ठहोंगे।अपने लक्ष्यों को बिल्कुल साफ और स्पष्ट रखें। जैसेही आप अपने लक्ष्य से हटे तो आपका जीवन स्वयं हार मान लेगा। इस कारण अपने लक्ष्य निश्चित, स्पष्ट रखें।

10. आपका सत् संकल्प, आपके भीतर का नम्रता का भाव ही आपकी शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत है और इसी का विकास करना है और यहीं सेआपके शक्ति सम्पन्न होने का अध्याय शुरू हो सकता है।

🙏