युधिष्ठर को पूर्ण आभास था, कि कलयुग में क्या होगा

पूरा अवश्य पढें।
अच्छा लगेगा।

पाण्डवों का अज्ञातवाश समाप्त होने में कुछ समय शेष रह गया था।

पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल मे छूपने का स्थान
ढूंढ रहे थे।

उधर शनिदेव की आकाश मंडल से पाण्डवों पर नजर पड़ी शनिदेव के मन विचार आया कि इन 5 में बुद्धिमान कौन है परीक्षा ली जाय।

शनिदेव ने एक माया का महल बनाया कई योजन दूरी में उस महल के चार कोने थे, पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


अचानक भीम की नजर महल पर पड़ी
और वो आकर्षित हो गया ,

भीम, यधिष्ठिर से बोला- भैया मुझे महल देखना है भाई ने कहा जाओ ।

भीम महल के द्वार पर पहुंचा वहाँ शनिदेव दरबान के रूप में खड़े थे,

भीम बोला- मुझे महल देखना है!

शनिदेव ने कहा- महल की कुछ शर्त है ।

1- शर्त महल में चार कोने हैं आप एक ही कोना देख सकते हैं।
2-शर्त महल में जो देखोगे उसकी सार सहित व्याख्या करोगे।
3-शर्त अगर व्याख्या नहीं कर सके तो कैद कर लिए जाओगे।

भीम ने कहा- मैं स्वीकार करता हूँ ऐसा ही होगा ।

और वह महल के पूर्व छोर की ओर गया ।

वहां जाकर उसने अद्भूत पशु पक्षी और फूलों एवं फलों से लदे वृक्षों का नजारा देखा,

आगे जाकर देखता है कि तीन कुंए है अगल-बगल में छोटे कुंए और बीच में एक बडा कुआ।

बीच वाला बड़े कुंए में पानी का उफान आता है और दोनों छोटे खाली कुओं को पानी से भर देता है। फिर कुछ देर बाद दोनों छोटे कुओं में उफान आता है तो खाली पड़े बड़े कुंए का पानी आधा रह जाता है इस क्रिया को भीम कई बार देखता है पर समझ नहीं पाता और लौटकर दरबान के पास आता है।

दरबान – क्या देखा आपने ?

भीम- महाशय मैंने पेड़ पौधे पशु पक्षी देखा वो मैंने पहले कभी नहीं देखा था जो अजीब थे। एक बात समझ में नहीं आई छोटे कुंए पानी से भर जाते हैं बड़ा क्यों नहीं भर पाता ये समझ में नहीं आया।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


दरबान बोला आप शर्त के अनुसार बंदी हो गये हैं और बंदी घर में बैठा दिया।

अर्जुन आया बोला- मुझे महल देखना है, दरबान ने शर्त बता दी और अर्जुन पश्चिम वाले छोर की तरफ चला गया।

आगे जाकर अर्जुन क्या देखता है। एक खेत में दो फसल उग रही थी एक तरफ बाजरे की फसल दूसरी तरफ मक्का की फसल ।

बाजरे के पौधे से मक्का निकल रही तथा
मक्का के पौधे से बाजरी निकल रही । अजीब लगा कुछ समझ नहीं आया वापिस द्वार पर आ गया।

दरबान ने पूछा क्या देखा,

अर्जुन बोला महाशय सब कुछ देखा पर बाजरा और मक्का की बात समझ में नहीं आई।

शनिदेव ने कहा शर्त के अनुसार आप बंदी हैं ।

नकुल आया बोला
मुझे महल देखना है ।

फिर वह उत्तर दिशा की और गया वहाँ उसने देखा कि बहुत सारी सफेद गायें जब उनको भूख लगती है तो अपनी छोटी बछियों का दूध पीती है उसे कुछ समझ नहीं आया द्वार पर आया ।

शनिदेव ने पूछा क्या देखा ?


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


नकुल बोला महाशय गाय बछियों का दूध पीती है यह समझ नहीं आया तब उसे भी बंदी बना लिया।

सहदेव आया बोला मुझे महल देखना है और वह दक्षिण दिशा की और गया अंतिम कोना देखने के लिए क्या देखता है वहां पर एक सोने की बड़ी शिला एक चांदी के सिक्के पर टिकी हुई डगमग डोले पर गिरे नहीं छूने पर भी वैसे ही रहती है समझ नहीं आया वह वापिस द्वार पर आ गया और बोला सोने की शिला की बात समझ में नहीं आई तब वह भी बंदी हो गया।

चारों भाई बहुत देर से नहीं आये तब युधिष्ठिर को चिंता हुई वह भी द्रोपदी सहित महल में गये।

भाइयों के लिए पूछा तब दरबान ने बताया वो शर्त अनुसार बंदी है।

युधिष्ठिर बोला भीम तुमने क्या देखा ?

भीम ने कुंऐ के बारे में बताया

तब युधिष्ठिर ने कहा- यह कलियुग में होने वाला है एक बाप दो बेटों का पेट तो भर देगा परन्तु दो बेटे मिलकर एक बाप का पेट नहीं भर पायेंगे।

भीम को छोड़ दिया।

अर्जुन से पुछा तुमने क्या देखा ??

उसने फसल के
बारे में बताया


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


युधिष्ठिर ने कहा- यह भी कलियुग में होने वाला है।
वंश परिवर्तन अर्थात ब्राह्मण के घर शूद्र की लड़की और शूद्र के घर बनिए की लड़की ब्याही जायेंगी।

अर्जुन भी छूट गया।

नकुल से पूछा तुमने क्या देखा तब उसने गाय का वृतान्त बताया ।

तब युधिष्ठिर ने कहा- कलियुग में माताऐं अपनी बेटियों के घर में पलेंगी बेटी का दाना खायेंगी और बेटे सेवा नहीं करेंगे ।

तब नकुल भी छूट गया।

सहदेव से पूछा तुमने क्या देखा, उसने सोने की शिला का वृतांत बताया,

तब युधिष्ठिर बोले- कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा परन्तु धर्म फिर भी जिंदा रहेगा खत्म नहीं होगा।। आज के कलयुग में यह
सारी बातें सच
साबित हो रही है ।।

मुझे अच्छा लगा।
आपके समक्ष रखा है ।
मैं आशा करता हूँ
🙏 कि आप इसे और भी लोगों तक पहुचायेंगे !!!!!!!


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


 

सिर्फ एक रात में हुआ था इन मंदिरों का निर्माण, अजीब है इसके पीछे की कहानी

हमारे देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जो किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। इनमें कई तो ऐसे हैं जो सैकड़ों साल पुराने हैं और हर मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक अलग कहानी है। आज हम ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका निर्माण महज एक रात में हुआ था। इनके निर्माण के पीछे की कहानी भी बड़ी ही दिलचस्प है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


उत्तर प्रदेश के वृंदावन में गोविंद देव जी का मंदिर है। यह मंदिर भी करीब से देखने पर अधूरा सा ही लगता है। कहते हैं कि यह मंदिर भी एक रात में ही बनकर तैयार हुआ है। मान्यता है कि भूतों या दिव्य शक्तियों ने मिलकर एक रात में इस मंदिर को बनाया है। कहा जाता है कि सुबह होने से पहले ही किसी ने चक्की चलानी शुरू कर दी, जिसकी आवाज से मंदिर का निर्माण करने वाले काम पूरा किए बिना ही चले गए।

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में शिव जी का एक मंदिर है, जिसे हथिया देवाल के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि एक हाथ वाले शिल्पकार ने एक रात में ही इस मंदिर का निर्माण कर दिया था। हालांकि रात होने और जल्दी बनाने के चक्कर में यहां शिवलिंग का अरघा विपरीत दिशा में बना दिया गया था। इस वजह से यहां शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


मध्यप्रदेश के मुरैना जिले से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर एक प्राचीन शिव मंदिर है, जिसका नाम है ककनमठ। इस मंदिर का निर्माण कच्छवाहा वंश के राजा कीर्ति सिंह के शासनकाल में हुआ था। यह मंदिर भी सिर्फ एक रात में बना है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भोलेनाथ के गण यानी भूतों ने किया था। इस मंदिर की खास बात ये है कि इसका निर्माण पूरी तरह से पत्थरों से हुआ है और ये इस तरीके से रखे गए हैं कि उनके बीच संतुलन बना हुआ है। इन पत्थरों को बड़े से बड़े आंधी-तूफान भी हिला नहीं सकते हैं।

यह है भोजेश्वर मंदिर, जो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर दूर भोजपुर में एक पहाड़ी पर स्थित है। इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के मशहूर राजा भोज द्वारा करवाया गया था। हालांकि यह मंदिर अधूरा ही है, लेकिन इसका निर्माण अधूरा क्यों छोड़ा गया, इस बात का इतिहास में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। ऐसा मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में होना था, लेकिन छत का काम पूरा होने के पहले ही सुबह हो गई, इसलिए काम अधूरा रह गया। इस मंदिर कि विशेषता इसका विशाल शिवलिंग है जो एक ही पत्थर से निर्मित दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है। झारखंड के देवघर में स्थित शिव मंदिर को कौन नहीं जानता है। यह एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने यहां सिर्फ एक रात में मंदिरों का निर्माण किया है। इस मंदिर के प्रांगण में माता पार्वती का मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण कार्य होते-होते सुबह हो गई, जिसकी वजह से मंदिर अधूरा रह गया।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


 

अच्छे लोगो के साथ ही बुरा क्यो होता है..

यह सवाल कई लोगो के मन मे आता होगा। मैंने तो किसी का बुरा नही किया, फिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ। मैं तो सदैव ही धर्म और नीति के मार्ग का पालन करता हूँ, फर मेरे साथ हमेशा बुरा क्यो होता है।

ऐसे कई विचार अधिकांश लोगों के मन मे आते होंगे। ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने दिए हैं।

एक बार अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण से पूछते हैं कि हे वासुदेव! अच्छे और सच्चे बुरे लोगो के साथ ही बुरा क्यो होता है, इस पर भगवान श्री कृष्ण ने एक कहानी सुनाई। इस कहानी में हर मनुष्य के सवालों का जवाब वर्णित है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


श्रीकृष्ण कहते हैं, कि एक नगर में दो पुरूष रहते थे। पहला व्यापारी जो बहुत ही अच्छा इंसान था, धर्म और नीति का पालन करता था, भ गवान की भक्ति करता था और मन्दिर जाता था। वह सभी तरह के गलत कामो से दूर रहता था। वहीं दूसरा व्यक्ति जो कि दुष्ट प्रवत्ति का था, वो हमेशा ही अनीति और अधर्म के काम करता था। वो रोज़ मन्दिर से पैसे और चप्पल चुराता था, झूठ बोलता था और नशा करता था। एक दिन उस नगर में तेज बारिश हो रही थी और मन्दिर में कोई नही था, यह देखकर उस नीच व्यक्ति ने मन्दिर के सारे पैसे चुरा लिए और पुजारी की नज़रों से बचकर वहाँ से भाग निकला, थोड़ी देर बाद जब वो व्यापारी दर्शन करने के उद्देश्य से मन्दिर गया तो उस पर चोरी करने का इल्ज़ाम लग गया। वहाँ मौजूद सभी लोग उसे भला – बुरा कहने लगे, उसका खूब अपमान हुआ। जैसे – तैसे कर के वह व्यक्ति मन्दिर से बाहर निकला और बाहर आते ही एक गाड़ी ने उसे टक्कर मार दी। वो व्यापारी बुरी तरह से चोटिल हो गया।इस वक्त उस दुष्ट को एक नोटो से भरी पोटली हाथ लगी, इतना सारा धन देखकर वह दुष्ट खुशी से पागल हो गया और बोला कि आज तो मज़ा ही आ गया। पहले मन्दिर से इतना धन मिला और फिर ये नोटों से भरी पोटली। दुष्ट की यह बात सुनकर वह व्यापारी दंग रह गया।

उसने घर जाते ही घर मे मौजूद भगवान की सारी तस्वीरे निकाल दी और भगवान से नाराज़ होकर जीवन बिताने लगा। सालो बाद जब उन दोनों की मृत्यु हो गयी और दोनों यमराज के सामने गए तो उस व्यापारी ने नाराज़ स्वर में यमराज से प्रश्न किया कि मैं तो सदैव ही अच्छे कर्म करता था, जिसके बदले मुझे अपमान और दर्द मिला और इस अधर्म करने वाले दुष्ट को नोटो से भरी पोटली…आखिर क्यों?


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


व्यापारी के सवाल पर यमराज बोले जिस दिन तुम्हारे साथ दुर्घटना घटी थी, वो तुम्हारी ज़िन्दगी का आखिरी दिन था, लेकिन तुम्हारे अच्छे कर्मों की वजह से तुम्हारी मृत्यु एक छोटी सी चोट में बदल गयी।

वही इस दुष्ट को जीवन मे राजयुग मिलने की सम्भावनाएं थी, लेकिन इसके बुरे कर्मो के चलते वो राजयोग एक छोटे से धन की पोटली में बदल गया।

श्रीकृष्ण कहते हैं कि भगवान हमे किस रूप में दे रहे हैं, ये समझ पाना बेहद कठिन होता है। अगर आप अच्छे कर्म कर रहे हैं और बुरे कर्मो से दूर हैं, तो भगवान निश्चित ही अपनी कृपा आप पर बनाए रखेंगे।

जीवन मे आने वाले दुखों और परेशानियों से कभी ये न समझे कि भगवान हमारे साथ नही है, हो सकता है आपके साथ और भी बुरा होने का योग हो, लेकिन आपके कर्मों की वजह से आप उनसे बचे हुए हो।

तो दोस्तों ये थी भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताई गई एक रोचक कहानी, जिसमे मनुष्यों के अधिकांश सवालों के उत्तर मौजूद हैं।

जय श्री कृष्ण….🌸💐👏🏼


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


 

“नाम का फल”

संसार का भ्रमण करते हुए गुरु नानक सच्चे पातशाह ओर
मरदाना किसी जंगल से जा रहे थे!

मरदाना ने कहा

महाराज बहुत भूख लगी हैं!

नानक जी नो कहा मरदाना
रोटियां सेंक ले,

मरदाना ने कहा बहुत ठंड हैं,

ना तो कोई चुल्हा हैं और न ही कोई तवा हैं और पानी भी बहुत ठंडा हैं!


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


तालाब छोटा था जैसे ही गुरु नानक जी ने तालाब को
पानी को स्पर्श किया तो पानी उबाल मारने लगा!

नानक देव जी ने कहा मरदाना अब रोटी सेंक ले!

मरदाने ने
आटे की चक्कियां बना कर उस तालाब में डालने लगें,

रोटियां तो सिक्की नहीं आटे की चक्की डूब गई, दुसरी

चक्की डाली वह भी डूब गई फिर एक ओर डाली वह भी डूब गई!

मरदाना नो आकर नानक जी से कहा कि महाराज
आप कहते हो रोटियां सेंक ले,

रोटियां तो कोई सिक्की
नहीं बल्कि सारी चक्कियां डूब गई!

सच्चे पातशाह कहने
लगे मरदाना नाम जप कर रोटियां सेंकी थी,

मरदाना चरणों में गिर गया महाराज गलती हो गई!

नानक देव जी कहने लगे मरदाना नाम जप कर रोटियां सेंक,

मरदाना ने नाम जप कर पानी में चक्की डाली तो चमत्कार हो गया

रोटियां तो सिक्क गई बल्कि डूबीं हुई रोटियां भी तैर कर
ऊपर आ गई और सिक्क गई!


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


मरदाना ने सच्चे पातशाह से
पूछा महाराज ये क्या चमत्कार हैं नानक देव जी ने कहा
मरदाना नाम के अंदर वो शक्ति हैं कि नाम जपने वाला
अपने आप तैरने (भव सागर से पार होना) लगता हैं और
आसपास के माहौल को तार देता हैं!

जहां गुरु नानक देव जी ने तालाब को स्पर्श कर ठंडे पानी
को गरम पानी में उबाल दिया वो आज भी वहीं हैं जिसका नाम “मणिकरण साहिब” हैं!

➰👆➰👆➰👆
: प्यारी अरदास :

हे सच्चे पातशाह !

तू साडे जिस्म ते,
साडी रूह नूं नेक कर दे ।

साडे हर फैसले विच,
तेरी रजा़ शामिल कर दे ।

जो त्वाडा हुकम होवे,
ओ साडा इरादा कर दे ।

ते जो इह अरदास पढ़ के आगे भेजे,
ओदी हर तमन्ना पूरी कर दे …


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


 

शरीर और आत्मा का वार्तालाप

सुबह के 4 बजे

आत्मा- चलो ! आत्मा की साधना का समय हो गया है…उठो, उठो ना…

शरीर- सोने दो ना…! अभी क्यों तंग कर रही हो, रात को बहुत देर से सोया था । थोड़ी देर बाद उठकर साधना करूँगा ।

आत्मा- ठीक है और थोड़ी देर बाद ही सही ।

सुबह के 6 बजे

आत्मा- अब तो उठ जाओ भाई ! सूरज भी अपनी किरणें फैलाता हुआ हमें जगा रहा है, उठो ना ।

शरीर- कितना परेशान करती हो…ठीक है, उठ रहा हूँ, बस 5 मिनट और…


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


थोड़ी देर बाद शरीर उठा और साधना के लिए बैठ गया और 10 मिनट बाद ही उठने लगा । तब…
आत्मा बोली- अरे अरे…! क्या हुआ ? इतनी जल्दी क्या है, अभी तो मुझे शांति मिलना शुरु हुई और तुम उठ गये…

शरीर- अरे…! मुझे घर का और आफिस का कितना काम है तुम्हारी समझ में तो कुछ नहीं आता और अभी नाश्ता भी करना है ।

आत्मा- ठीक है तो शाम को साधना तो करोगे ना…

शरीर(परेशान होते हुए) – हाँ भाई ! हाँ जरूर करूँगा ।

सारा दिन निकल गया । आत्मा दिनभर के काम, राग-द्वेष के परिणामों से आकुलित हुई और शाम को शरीर से बोली – अरे ! शाम हो गई, अब तो फ्री हो गये होंगे । अब तो चलो साधना के लिए…।

शरीर (चिल्लाते हुए)- क्यों सारा दिन तंग करती रहती हो…देखती नहीं अभी आॅफिस में दिन भर काम करके आया हूँ, बहुत थक गया हूँ ।

आत्मा- अरे ! फिर तो बहुत अच्छी बात है, यदि तुम थके हुए हो तो एक बार आत्मा की साधना करोगे तो थकान तुरन्त दूर हो जायेगी ।

शरीर- अभी नहीं ! अभी थोड़ा टीवी देख लूँ । रात को पक्का बैठूँगा…।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


रात को थकान से शरीर की आँखें बंद हो रही हैं । मुश्किल से शरीर स्थिर होकर बैठा और नींद आने लगी । शरीर उठा और सोने के लिए जाने लगा तो…

आत्मा बोल उठी- अरे अरे! क्या हुआ ? अभी-अभी तो बैठे थे, अचानक उठकर कहाँ जाने लगे ?

शरीर- मैं बहुत थक गया हूँ, कल सुबह 4 बजे आत्म साधना के लिए जरूर बैठूँगा ।

आत्मा चुप हो गई तभी शरीर ने मोबाइल पर अपने एक मित्र का मैसेज देखा और सोचा – अरे वाह ! ये तो मेरे दोस्त का मैसेज है । थोड़ी देर चैटिंग कर लूँ फिर सो जाऊँगा और वह चैटिंग करने लगा ।

आत्मा- देखो ! चैटिंग करने के लिए नींद भाग गई और साधना के नाम पर इसे नींद आ रही थी और जिस आत्मा के कारण यह जीवन जी रहा है उसके नाम पर नींद आने लगती है । चलो….! कल देखते हैं ।

दूसरे दिन वही दिनचर्या और जीवन समाप्त।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


 

शर्तों से परे होता है प्रेम

एक दिन फकीर के घर रात चोर घुसे। घर में कुछ भी न था।
सिर्फ एक कंबल था, जो फकीर ओढ़े लेटा हुआ था।
सर्द रात, फकीर रोने लगा, क्योंकि घर में चोर आएं और चुराने को कुछ नहीं है, इस पीड़ा से रोने लगा।

उसकी सिसकियां सुन कर चोरों ने पूछा कि भई क्यों रोते हो?
फकीर बोला कि आप आए थे – जीवन में पहली दफा,
यह सौभाग्य तुमने दिया! मुझ फकीर को भी यह मौका दिया!
लोग फकीरों के यहां चोरी करने नहीं जाते, सम्राटों के यहां जाते हैं।
तुम चोरी करने क्या आए, तुमने मुझे सम्राट बना दिया।

ऐसा सौभाग्य! लेकिन फिर मेरी आंखें आंसुओ से भर गई हैं,
सिसकियां निकल गईं,
क्योंकि घर में कुछ है नहीं।
तुम अगर जरा दो दिन पहले खबर कर देते तो मैं इंतजाम कर रखता
दो—चार दिन का समय होता तो कुछ न कुछ मांग—तूंग कर इकट्ठा कर लेता।
अभी तो यह कंबल भर है मेरे पास, यह तुम ले जाओ। और देखो इनकार मत करना। इनकार करोगे तो मेरे हृदय को बड़ी चोट पहुंचेगी।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


चोर घबरा गए, उनकी कुछ समझ में नहीं आया। ऐसा आदमी उन्हें कभी मिला नहीं था।
चोरी तो जिंदगी भर की थी,
मगर ऐसे आदमी से पहली बार मिलना हुआ था।

भीड़— भाड़ बहुत है, आदमी कहां?
शक्लें हैं आदमी की, आदमी कहां?

पहली बार उनकी आंखों में शर्म आई, और पहली बार किसी के सामने नतमस्तक हुए।

मना करके इसे क्या दुख देना, कंबल तो ले लिया। लेना भी मुश्किल! क्योंकि इस के पास कुछ और है भी नहीं,
कंबल लिया तो पता चला कि फकीर नंगा है। कंबल ही ओढ़े हुए था, वही एकमात्र वस्त्र था— वही ओढ़नी, वही बिछौना।

लेकिन फकीर ने कहा. तुम मेरी फिकर मत करो, मुझे नंगे रहने की आदत है। फिर तुम आए, सर्द रात, कौन घर से निकलता है। कुत्ते भी दुबके पड़े हैं।
तुम चुपचाप ले जाओ और दुबारा जब आओ मुझे खबर कर देना।

चोर तो ऐसे घबरा गए और एकदम निकल कर झोपड़ी से बाहर हो गए।
जब बाहर हो रहे थे तब फकीर चिल्लाया कि सुनो, कम से कम दरवाजा बंद करो और मुझे धन्यवाद दो।
आदमी अजीब है, चोरों ने सोचा।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


कुछ ऐसी कड़कदार उसकी आवाज थी कि उन्होंने उसे धन्यवाद दिया, दरवाजा बंद किया और भागे।
फकीर खिड़की पर खड़े होकर दूर जाते उन चोरों को देखता रहा।
कोई व्यक्ति नहीं है ईश्वर जैसा, लेकिन सभी व्यक्तियों के भीतर जो धड़क रहा है, जो प्राणों का मंदिर बनाए हुए विराजमान है, जो श्वासें ले रहा है, वही तो ईश्वर है।

कुछ समय बाद वो चोर पकड़े गए। अदालत में मुकदमा चला,
वह कंबल भी पकड़ा गया। और वह कंबल तो जाना—माना कंबल था।
वह उस प्रसिद्ध फकीर का कंबल था।

जज तत्क्षण पहचान गया कि यह उस फकीर का कंबल है।
तो तुमने उस फकीर के यहां से भी चोरी की है?
फकीर को बुलाया गया। और जज ने कहा कि अगर फकीर ने कह दिया कि यह कंबल मेरा है और तुमने चुराया है,
तो फिर हमें और किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है।
उस आदमी का एक वक्तव्य, हजार आदमियों के वक्तव्यों से बड़ा है।
फिर जितनी सख्त सजा मैं तुम्हें दे सकता हूं दूंगा।

चोर तो घबरा रहे थे, काँप रहे थे
जब फकीर अदालत में आया।
और फकीर ने आकर जज से कहा कि नहीं, ये लोग चोर नहीं हैं, ये बड़े भले लोग हैं।
मैंने कंबल भेंट किया था और इन्होंने मुझे धन्यवाद दिया था।
और जब धन्यवाद दे दिया,
बात खत्म हो गई।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


मैंने कंबल दिया, इन्होंने धन्यवाद दिया। इतना ही नहीं,
ये इतने भले लोग हैं कि जब बाहर निकले तो दरवाजा भी बंद कर गए थे।
जज ने तो चोरों को छोड़ दिया, क्योंकि फकीर ने कहा. इन्हें मत सताओ, ये प्यारे लोग हैं, अच्छे लोग हैं, भले लोग हैं।

चोर फकीर के पैरों पर गिर पड़े और उन्होंने कहा हमें दीक्षित करो।
वे संन्यस्त हुए।
और फकीर बाद में खूब हंसा।
और उसने कहा कि तुम संन्यास में प्रवेश कर सको इसलिए तो कंबल भेंट दिया था।
इसे तुम पचा थोड़े ही सकते थे। इस कंबल में मेरी सारी प्रार्थनाएं बुनी थी।

🕊झीनी—झीनी बीनी रे चदरिया🕊

उस फकीर ने कहा प्रार्थनाओं से बुना था इसे।
इसी को ओढ़ कर ध्यान किया था। इसमें मेरी समाधि का रंग था,
गंध थी। तुम इससे बच नहीं सकते थे।

यह मुझे पक्का भरोसा था, कंबल ले ही आएगा तुमको
उस दिन चोर की तरह आए थे
आज शिष्य की तरह आए।
मुझे भरोसा था।
क्योंकि बुरा कोई आदमी है ही नहीं।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


 

वृन्दावन के चींटें

एक सच्ची घटना सुनिए एक संत की
वे एक बार वृन्दावन गए वहाँ कुछ दिन घूमे फिरे दर्शन किए
जब वापस लौटने का मन किया तो सोचा भगवान् को भोग लगा कर कुछ प्रसाद लेता चलूँ..
.
संत ने रामदाने के कुछ लड्डू ख़रीदे मंदिर गए.. प्रसाद चढ़ाया और आश्रम में आकर सो गए.. सुबह ट्रेन पकड़नी थी
.
अगले दिन ट्रेन से चले.. सुबह वृन्दावन से चली ट्रेन को मुगलसराय स्टेशन तक आने में शाम हो गयी..
.
संत ने सोचा.. अभी पटना तक जाने में तीन चार घंटे और लगेंगे.. भूख लग रही है.. मुगलसराय में ट्रेन आधे घंटे रूकती है..


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


.
चलो हाथ पैर धोकर संध्या वंदन करके कुछ पा लिया जाय..
.
संत ने हाथ पैर धोया और लड्डू खाने के लिए डिब्बा खोला..
.
उन्होंने देखा लड्डू में चींटे लगे हुए थे.. उन्होंने चींटों को हटाकर एक दो लड्डू खा लिए
.
बाकी बचे लड्डू प्रसाद बाँट दूंगा ये सोच कर छोड़ दिए
.
पर कहते हैं न संत ह्रदय नवनीत समाना
.
बेचारे को लड्डुओं से अधिक उन चींटों की चिंता सताने लगी..
.
सोचने लगे.. ये चींटें वृन्दावन से इस मिठाई के डिब्बे में आए हैं..
.
बेचारे इतनी दूर तक ट्रेन में मुगलसराय तक आ गए
.
कितने भाग्यशाली थे.. इनका जन्म वृन्दावन में हुआ था,


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


.
अब इतनी दूर से पता नहीं कितने दिन या कितने जन्म लग जाएँगे इनको वापस पहुंचने में..!
.
पता नहीं ब्रज की धूल इनको फिर कभी मिल भी पाएगी या नहीं..!!
.
मैंने कितना बड़ा पाप कर दिया.. इनका वृन्दावन छुड़वा दिया
.
नहीं मुझे वापस जाना होगा..
.
और संत ने उन चींटों को वापस उसी मिठाई के डिब्बे में सावधानी से रखा.. और वृन्दावन की ट्रेन पकड़ ली।
.
उसी मिठाई की दूकान के पास गए डिब्बा धरती पर रखा.. और हाथ जोड़ लिए
.
मेरे भाग्य में नहीं कि तेरे ब्रज में रह सकूँ तो मुझे कोई अधिकार भी नहीं कि जिसके भाग्य में ब्रज की धूल लिखी है उसे दूर कर सकूँ
.
दूकानदार ने देखा तो आया..
.
महाराज चीटें लग गए तो कोई बात नहीं आप दूसरी मिठाई तौलवा लो..


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


.
संत ने कहा.. भईया मिठाई में कोई कमी नहीं थी
.
इन हाथों से पाप होते होते रह गया उसी का प्रायश्चित कर रहा हूँ..!
.
दुकानदार ने जब सारी बात जानी तो उस संत के पैरों के पास बैठ गया.. भावुक हो गया
.
इधर दुकानदार रो रहा था… उधर संत की आँखें गीली हो रही थीं!!
.
बात भाव की है.. बात उस निर्मल मन की है.. बात ब्रज की है.. बात मेरे वृन्दावन की है..
.
बात मेरे नटवर नागर और उनकी राधारानी की है.. बात मेरे कृष्ण की राजधानी की है।

बूझो तो बहुत कुछ है.. नहीं तो बस पागलपन है.. बस एक कहानी


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


घर से जब भी बाहर जाये
तो घर में विराजमान अपने प्रभु से जरूर
मिलकर जाएं
और
जब लौट कर आए तो उनसे जरूर मिले
क्योंकि
उनको भी आपके घर लौटने का इंतजार
रहता है
“घर” में यह नियम बनाइए की जब भी आप घर से बाहर निकले तो घर में मंदिर के पास दो घड़ी खड़े रह कर कहें
“प्रभु चलिए..
आपको साथ में रहना हैं”..!
ऐसा बोल कर ही घर से निकले
क्यूँकिआप भले ही
“लाखों की घड़ी” हाथ में क्यूँ ना पहने हो
पर
“समय” तो “प्रभु के ही हाथ” में हैं न
🥀

🙏🌹जय जय श्री राधेश्याम🌹🙏


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

अजामिल का पतन

बाहर.. कुटिया के बाहर एक अलख जगी भिक्षाम देहि! भिक्षाम देहि! कलावती ने सुना तो हैरान सी हुई कि हम तो स्वयं भिखारियों से बदत्तर है फिर हमसे भिक्षा कौन मांग रहा है? बाहर आकर देखा तो वही साधुजन उसकी दहलीज़ पर खड़े अलख जगा रहे थे।

कलावती की सब कलाएं तो रूप ढलने के साथ ही ढल चुकी थी, अब तो वह छह बच्चों की माँ भर रह चुकी थी, अकड़ खो चुकी थी, अदा खो चुकी थी बस बची थी तो अपने ही हाथो से कालिख पुती जिंदगी। अब तो कोई अभिमान भी नही था। जब साधुओं को अपने द्वार पर भिक्षा मांगते पाया तो उसे लगा कि शायद उसका भाग्य ही उसका परिहास कर रहा है क्योंकि पहली बात तो यह है कि वह उधम इस लायक कहां कि अपनी अपवित्र हाथो से उन पवित्र आत्माओं को भोजन कराए। दूसरा उसके पास इतना अनाज भी कहाँ था जो उन्हें वह खिलाती।

फ़टी सी साड़ी का पल्लु अपने हाथों से खिंचती हुई वह बोली क्षमा करें महाराज इतना भोजन मेरे यहाँ कहां कि आप सबको तृप्त कर सकूँ? साधु मुस्कुराए- माते! हम साधुओ का क्या जितना मिल जाये उसी में सब्र कर लेगें।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


कलावती ने सोचा कि शायद प्रभु ने उसे उसके पास इन साधुओं को पाप धोने के लिए एक अवसर के रूप में भेजा है सो जैसे तैसे उसने यथा योग्य अन्न से साधुओं को तृप्त कराया तभी अजामिल भी कुटिया में पहुंच गया और साधुओं को देख इतना क्रोधित हुआ कि साधुओं का दिल भर के अपमान किया प्रतिक्रिया स्वरूप साधु केवल मुस्कुराये और अजामिल से भोजन के बाद दक्षिणा के मांग की।

अजामिल बोला- ये जो आपके पास आसन, दण्ड, कमण्डलु और चिमटा है उसे तुम दक्षिणा समझ लो मेरी तरफ से, मैंने तुम्हारे प्राण लेकर ये छिना नही यही दक्षिणा है, फिर भी साधुओं के आग्रह पर दक्षिणास्वरूप में अपने पुत्र का नाम नारायण रखने के लिए अजामिल ने हामी भरी साधु चले गए।

समय आया कलावती को पुत्र हुआ और अजामिल ने पत्नी के दबाव में आकर बेटे का नाम नारायण रखा। पता नही यह क्या लीला थी कि अजामिल अपने इस सातवे पुत्र को इतना प्यार करता था कि दिन भर हर बात पर उसे ही पुकारता नारायण ओ नारायण लेकिन विषयो का ग्रास बना अजामिल का तन खोखला तो हो ही चुका था और इस खोखले तन को अब बीमारी भर रही थी।

दिन दिन खत्म होते अजामिल का आखिरी दिन भी आ गया परलोक से उसे लेने यमदूत चल पड़े। लेकिन जब मृत्यु भय से तड़पती अजामिल ने फिर से अपने पुत्र नारायण को नारायण ओ नारायण कहकर पुकारा तो साधुओं के आशीर्वाद से उसके पुराने संस्कार पुनः जागृत हो उठे।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


अंतकाल में उसकी आंखों के सामने गुरुदेव का वही दिव्य आश्रम घुमने लगा जहां कभी वह शिक्षित दीक्षित हुआ था और फिर सामने आ गया वही मुस्कुराता सा अलौकिक चेहरा जिसे छोड़कर वह किसी और के मुस्कुराहट के पीछे लग गया था। गुरुदेव का दर्शन होते ही अजामिल को श्वास-श्वास में रमण करने वाले नारायण का स्मरण हो उठा।

अजामिल के यूँ सुमिरन करते ही यमदुत पीछे हट गए और विष्णु लोक से देवदूत सामने उपस्थित हो उठे। अजामिल को यमदूत स्पर्श तक न कर सके। अकाल मृत्यु टल गई और अजामिल की जीवन अवधि बढ़ गई।

परन्तु अब अजामिल के नेत्र पूर्णतः खुल चुके थे वह अपना शेष जीवन तपस्या पूर्ण व्यतीत करते हुए उच्च गति का अधिकारी बना। लेकिन यह सारी घटना के पीछे फिर उसी सत्ता की शास्वत करुणा दिखी जिसे सद्गुरु कहकर संबोधित करते है। अजामिल बेहद ही अधमता तक गया, अत्यंत पाप की पराकाष्ठा तक गया लेकिन उसके गुरुदेव उसे तब भी न भूले औऱ सन्तो को निमित्त बनाकर उसे नारायण शब्द से ऐसा जोड़ा कि अंतिम क्षणों में इसी नारायण शब्द के बहाने वह अंदर के नारायण से जुड़ा। यह भी गुरु का ही संकल्प है कि मेरे शिष्य का कल्याण हो फिर निमित्त कुछ भी हो।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


एक कल्पित कथा है कहते हैं कि एक बार एक व्यक्ति दूध लेने दुकान पर गया दूध लेकर हंसी खुशी वापस लौटा।उसकी पत्नी ने उस दुध को गर्म किया औऱ फिर अपने पति को पीने के लिए दे दिया। दूध पीने के कुछ ही देर बाद पति की मृत्यु हो गई। पत्नी जोर- जोर से रोने चिल्लाने लगी अड़ोसी-पड़ोसी सब इकठ्ठे हुए। मृत्यु का कारण पता चलने पर सभी डंडे लेकर दुकानदार के पास चले गए उसे खूब मारा पीटा। इधर यमदूत उस व्यक्ति की आत्मा को लेकर यमराज के पास पहुंचा और कहा कि हे यमदेव इसके मृत्यु का दोषी किसे ठहराया जाय? क्या उस दुकानदार को जिसने उसे जहर भरा दूध दिया।

यमराज ने कहा- उस बेचारे का क्या दोष उसे तो पता भी नही था कि दूध में जहर है वह जहर तो सांप के मुँह से उस दूध में गिरा था। यमदूत ने कहा- फिर सांप इस व्यक्ति के मृत्यु का दोषी हुआ यमराज ने कहा- नही सांप तो चील के पंजो में दबा था। उसने जानकर तो विष को दूध में घोला नही।

यमदूत बोला- फिर तो चील इसकी दोषी है, नही.. चील तो अपना शिकार ले जा रही थी विष और दूध से उसका क्या लेना देना। तो देव फिर दोषी कौन है? यमराज ने कहा- इस व्यक्ति के स्वयं के कर्म इसके कर्म की गठरी ने ही इसकी मृत्यु के लिए यह मंच रचा दुकानदार, सर्प, चील आदि तो सब केवल निमित्त मात्र बने।

ठीक इसी तरह आज यदि हमारे जीवन मे भी कोई दुख,संकट है तो उसका कारण हमारे कर्म संस्कार है और इन कर्म संस्कारो को नष्ट किये बिना दुख नष्ट नही हो सकते शास्त्र कहते है कि-
ज्ञान अग्नि सर्वकर्माणि भस्मस्यात कुरुते अर्जुनह
अर्थात केवल सद्गुरु के ज्ञान की अग्नि ही ऐसी अग्नि है जो कर्मो के बीज को नाश कर सकती है अन्यत्र कुछ नही।

अजामिल की कथा हमें यह अमर सन्देश छोड़ गई कि हम सभी शिष्यो के लिए वह एक भूल, जो कभी शिष्य को भूलकर भी नही करनी है वह है गुरु आज्ञा की अवहेलना।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/
https://www.facebook.com/Keshav-Creations-735662023496221/


 

चार मोमबत्तियां

एक सेवक ने अपने गुरू को अरदास की, जी मैं सत्सँग भी सुनता हूँ, सेवा भी करता हूँ, मग़र फिर भी मुझे कोई फल नहीं मिला
सतगुरु ने प्यार से पूछा, बेटा तुम्हे क्या चाहिए ?
सेवक बोला
मैं तो बहुत ही ग़रीब हूँ दाता 👏👏
सतगुरु ने हँस कर पूछा, बेटा तुम्हें कितने पैसों की ज़रूरत है ?

सेवक ने अर्ज की, सच्चे पातशाह, बस इतना बख्श दो, कि सिर पर छत हो, समाज में पत हो 🙏

गुरु ने पूछा और ज़्यादा की भूख तो नहीं है बेटा ?

सेवक हाथ जोड़ के बोला नहीं जी, बस इतना ही बहुत है ।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


गुरु ने उसे चार मोमबत्तियां दीं और कहा मोमबत्ती जला के पूरब दिशा में जाओ, जहाँ ये बुझ जाये, वहाँ खुदाई करके खूब सारा धन निकाल लेना

अगर कोई इच्छा बाकी हो तो दूसरी मोमबत्ती जला कर पश्चिम में जाना

और चाहिए तो उत्तर दिशा में जाना,

लेकिन सावधान, दक्षिण दिशा में कभी मत जाना, वर्ना बहुत भारी मुसीबत में फँस जाओगे ।
सेवक बहुत खुश हो कर चल पड़ा
जहाँ मोमबत्ती बुझ गई, वहाँ खोदा, तो सोने का भरा हुआ घड़ा मिला
बहुत खुश हुआ और सतगुरु का शुक्राना करने लगा

थोड़ी देर बाद, सोचा, थोड़ा और धन माल मिल जाये, फिर आराम से घर जा कर ऐश करूँगा
मोमबत्ती जलाई पश्चिम की ओर चल पड़ा हीरे मोती मिल गये ।
खुशी बहुत बढ़ गई, मग़र मन की भूख भी बढ़ गई ।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


तीसरी मोमबत्ती जलाई और उत्तर दिशा में चला वहाँ से भी बेशुमार धन मिल गया।

सोचने लगा के चौथी मोमबत्ती और दक्षिण दिशा के लिये गुरू ने मना किया था,
सोचा, शायद वहाँ से भी क़ोई अनमोल चीज़ मिलेगी ।

मोमबत्ती जलाई और चला दक्षिण दिशा की ओर, जैसे ही मोमबत्ती बुझी वो जल्दी से ख़ुदाई करने लगा

खुदाई की तो एक दरवाजा दिखाई दिया, दरवाजा खोल के अंदर चला गया

अंदर इक और दरवाजा दिखाई दिया उसे खोल के अन्दर चला गया।

अँधेरे कमरे में उसने देखा, एक आदमी चक्की चला रहा है 😳😳😳😳
सेवक ने पूछा भाई तुम कौन हो ?
चक्की चलाने वाला बहुत खुश हो कर बोला, ओह ! आप आ गये ?
यह कह कर उसने वो चक्की गुरू के सेवक के आगे कर दी
सेवक कुछ समझ नहीं पाया,

सेवक चक्की चलाने लगा,


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


सेवक ने पूछा भाई तुम कहाँ जा रहे हो ?
अपनी चक्की सम्भालो,

आदमी ने केहा,
मैने भी अपने सतगुरु का हुक्म नहीं माना था, और लालच के मारे यहाँ फँस गया था, बहुत रोया, गिड़गिड़ाया, तब मेरे सतगुरु ने मुझे दर्शन दिये और कहा था, बेटा जब कोई तुमसे भी बड़ा लालची यहाँ आयेगा, तभी तुम्हारी जान छूटेगी
आज तुमने भी अपने गुरु की हुक्म अदूली की है, अब भुगतो 😡

सेवक बहुत शर्मसार हुआ और रोते रोते चक्की चलाने लगा

वो आज भी इंतज़ार कर रहा है, कि कोई उससे भी बड़ा लालची, पैसे का भूखा आयेगा, तभी उसकी मुक्ति होगी 😭😭😭😭


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


हमेशा सतगुरु की रज़ा में राज़ी रहना चाहिए, सतगुरू को सब कुछ पता है, कि उनके बच्चों को, कब और क्या चाहिए 👏

जितना भी सतगुरु ने हमें बख्शा है, हमारी औकात से भी ज़्यादा है, बस अब सब्र करो और प्रेम से भजन करो 👏🌹🙏👏
कल तो क्या एक पल का भी भरोसा नहीं है जी, आज मौका है, कुछ कर लो, नहीं तो बहुत पछताओगे, लेकिन कुछ नहीं होगा
यही घड़ी, यही वेला साधो, यही घड़ी, यही वेल्ला, लाख खरच, फिर हाथ ना आवे, माणस जनम दुहेला, साधो, यही घड़ी, यही वेल्ला

इस सन्देश को पढ़ कर यदि हम कुछ देर भी सिमरन पर बैठ गये, जप माला करने लगे तो हमारी सेवा सफल होगी जी
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हरि हरि बोल 🙏🌹🙏


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

नियम का महत्व

एक संत थे। एक दिन वे एक जाट के घर गए। जाट ने उनकी बड़ी सेवा की। सन्त ने उसे कहा कि रोजाना नाम -जप करने का कुछ नियम ले लो जाट ने कहा बाबा, हमारे को वक्त नहीं मिलता। सन्त ने कहा कि अच्छा, रोजाना ठाकुर जी की मूर्ति के दर्शन कर आया करो जाट ने कहा मैं तो खेत में रहता हूं और ठाकुर जी की मूर्ति गांव के मंदिर में है, कैसे करूँ ?

संत ने उसे कई साधन बताये, कि वह कुछ -न-कुछ नियम ले लें। पर वह यही कहता रहा कि मेरे से यह बनेगा नहीं, मैं खेत में काम करू या माला लेकर जप करूँ। इतना समय मेरे पास कहाँ है ? बाल -बच्चों का पालन पोषण करना है। आपके जैसे बाबा जी थोड़े ही हूँ। कि बैठकर भजन करूँ।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


संत ने कहा कि अच्छा तू क्या कर सकता है ? जाट बोला कि पड़ोस में एक कुम्हार रहता है। उसके साथ मेरी मित्रता है। उसके और मेरे खेत भी पास -पास है। और घर भी पास -पास है। रोजाना एक बार उसको देख लिया करूगाँ। सन्त ने कहा कि ठीक है। उसको देखे बिना भोजन मत करना। जाट ने स्वीकार कर लिया। जब उसकी पत्नी कहती कि भोजन कर लो। तो वह चट बाड़ पर चढ़कर कुम्हार को देख लेता। और भोजन कर लेता। इस नियम में वह पक्का रहा।

एक दिन जाट को खेत में जल्दी जाना था। इसलिए भोजन जल्दी तैयार कर लिया।.उसने बाड पर चढ़कर देखा तो कुम्हार दीखा नहीं। पूछने पर पता लगा कि वह तो मिट्टी खोदने बाहर गया है। जाट बोला कि कहां मर गया, कम से कम देख तो लेता।.अब जाट उसको देखने के लिए तेजी से भागा। उधर कुम्हार को मिट्टी खोदते -खोदते एक हाँडी मिल गई। जिसमें तरह -तरह के रत्न, अशर्फियाँ भरी हुई थी। उसके मन में आया कि कोई देख लेगा तो मुश्किल हो जायेगी।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


अतः वह देखने के लिए ऊपर चढा तो सामने वह जाट आ गया। कुम्हार को देखते ही जाट वापस भागा। तो कुम्हार ने समझा कि उसने वह हाँडी देख ली। और अब वह आफत पैदा करेगा। कुम्हार ने उसे रूकने के लिए आवाज लगाई। जाट बोला कि बस देख लिया, देख लिया। कुम्हार बोला कि अच्छा, देख लिया तो आधा तेरा आधा मेरा, पर किसी से कहना मत। जाट वापस आया तो उसको धन मिल गया।

उसके मन में विचार आया कि संत से अपना मनचाहा नियम लेने में इतनी बात है। अगर सदा उनकी आज्ञा का पालन करू तो कितना लाभ है। ऐसा विचार करके वह जाट और उसका मित्र कुम्हार दोनों ही भगवान् के भक्त बन गए। तात्पर्य यह है कि हम दृढता से अपना एक उद्देश्य बना ले, नियम ले ले

मेरे सतगुरू जी मुझे मेरे करमो पर भरोसा नहीं पर तेरी रहमतो पर भरोसा है मेरे करमों में कमी रह सकती है लेकिन तेरी रहमतों में नही.


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

मक्खन के पेढ़े

गाँव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता था..
एक दिन बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया वो उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुआ..
वो मक्खन गोल पेढ़ो की शकल मे बना हुआ था और हर पेढ़े का वज़न 1 kg था..
शहर मे किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह एक दुकानदार को बेच दिया,और दुकानदार से चायपत्ती, चीनी, तेल और साबुन वगैरह खरीदकर वापस अपने गाँव को रवाना हो गया..

किसान के जाने के बाद –
…दुकानदार ने मक्खन को फ्रिज़र मे रखना शुरू किया…..उसे खयाल आया के क्यूँ ना एक पेढ़े का वज़न किया जाए, वज़न करने पर पेढ़ा सिर्फ 900 gm. का निकला, हैरत और निराशा से उसने सारे पेढ़े तोल डाले मगर किसान के लाए हुए सभी पेढ़े 900-900 gm.के ही निकले।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


अगले हफ्ते फिर किसान हमेशा की तरह मक्खन लेकर जैसे ही दुकानदार की दहलीज़ पर चढ़ा..
दुकानदार ने किसान से चिल्लाते हुए कहा: दफा हो जा, किसी बे-ईमान और धोखेबाज़ शख्स से कारोबार करना.. पर मुझसे नही।

900 gm.मक्खन को पूरा एक kg.कहकर बेचने वाले शख्स की वो शक्ल भी देखना गवारा नही करता..

किसान ने बड़ी ही “विनम्रता” से दुकानदार से कहा “मेरे भाई मुझसे नाराज ना हो हम तो गरीब और बेचारे लोग है,
हमारी माल तोलने के लिए बाट (वज़न) खरीदने की हैसियत कहाँ” आपसे जो एक किलो चीनी लेकर जाता हूँ उसी को तराज़ू के एक पलड़े मे रखकर दूसरे पलड़े मे उतने ही वज़न का मक्खन तोलकर ले आता हूँ।

👍👍👍👍👍👍👍👍👍
जो हम दुसरो को देंगे, वही लौट कर आयेगा…
चाहे वो इज्जत, सम्मान हो, या फिर धोखा…!!
शेयर जरूर करें


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


चमत्कार

मासूम गुड़िया बिस्तर से उठी और अपना गुल्लक ढूँढने लगी…

अपनी तोतली आवाज़ में उसने माँ से पूछा, “माँ, मेला गुल्लक कहाँ गया?”

माँ ने आलमारी से गुल्लक उतार कर दे दिया और अपने काम में व्यस्त हो गयी.

मौका देखकर गुड़िया चुपके से बाहर निकली और पड़ोस के मंदिर जा पहुंची.

सुबह-सुबह मंदिर में भीड़ अधिक थी…. हाथ में गुल्लक थामे वह किसी तरह से बाल-गोपाल के सामने पहुंची और पंडित जी से कहा, “बाबा, जला कान्हा को बाहल बुलाना!”


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


“अरे बेटा कान्हा अभी सो रहे हैं… बाद में आना..”,पंडित जी ने मजाक में कहा.

“कान्हा उठो.. जल्दी कलो … बाहल आओ…”, गुड़िया चिल्ला कर बोली.

हर कोई गुड़िया को देखने लगा.

“पंडित जी, प्लीज… प्लीज कान्हा को उठा दीजिये…”

“क्या चाहिए तुमको कान्हा से?”

“मुझे चमत्काल चाहिए… और इसके बदले में मैं कान्हा को अपना ये गुल्लक भी दूँगी… इसमें 100 लूपये हैं …कान्हा इससे अपने लिए माखन खरीद सकता है. प्लीज उठाइए न उसे…इतने देल तक कोई छोता है क्या???”

“ चमत्कार!, किसने कहा कि कान्हा तुम्हे चमत्कार दे सकता है?”

“मम्मा-पापा बात कह लहे थे कि भैया के ऑपरेछन के लिए 10 लाख लूपये चाहिए… पल हम पहले ही अपना गहना… जमीन सब बेच चुके हैं…और नाते-रिश्तेदारों ने भी फ़ोन उठाना छोड़ दिया है…अब कान्हा का कोई चमत्काल ही भैया को बचा सकता है…”


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


पास ही खड़ा एक व्यक्ति गुड़िया की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था, उसने पूछा, “बेटा क्या हुआ है तुम्हारे भैया को?”

“ भैया को ब्लेन ट्यूमल है…”

“ब्रेन ट्यूमर???”

“जी अंकल, बहुत खतल्नाक बिमाली होती है…”

व्यक्ति मुस्कुराते हुए बाल-गोपाल की मूर्ती निहारने लगा…उसकी आँखों में श्रद्धा के आंसूं बह निकले…रुंधे गले से वह बोला, “अच्छा-अच्छा तो तुम वही लड़की हो… कान्हा ने बताया था कि तुम आज सुबह यहाँ मिलोगी… मेरा नाम ही चम्त्कार है… लाओ ये गुल्लक मुझे दे दो और मुझे अपने घर ले चलो…”

वह व्यक्ति लन्दन का एक प्रसिद्द न्यूरो सर्जन था और अपने माँ-बाप से मिलने भारत आया हुआ था. उसने गुल्लक में पड़े मात्र सौ रुपयों में ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन कर दिया और गुड़िया के भैया को ठीक कर दिया.


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


प्यार बांटा तो रामायण लिखी गई और सम्पत्ति बांटी तो महाभारत।।।

कल भी यही सत्य था आज भी यही सत्य है!!

🙏🙏
: 🌹🙏
✍ भाव बिना बाजार में,
वस्तु मिले ना मोल,,,,
तो भाव बिना “हरी ” कैसे मिले,
जो है अनमोल…
इस संसार में
भूलों को माफ करने की क्षमता
सिर्फ तीन में है
माँ… महात्मा…और परमात्मा…


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

आत्मसम्मान

उस दिन ट्रेन लेट होकर रात्रि 12 बजे पहुँची।
बाहर एक
वृद्ध रिक्शावाला ही दिखा जिसे कई
यात्री जान बूझकर
छोड़ गए थे। एक बार मेरे मन में भी आया, इससे
चलना पाप
होगा,फिर मजबूरी में उसी को बुलाया, वह
भी बिना कुछ पूछे
चल दिया।
कुछ दूर चलने के बाद ओवरब्रिज की चढ़ाई थी, तब
जाकर पता चला, उसका एक ही हाथ था। मैंने
सहानुभूतिवश पूछा, ‘‘एक
हाथ से रिक्शा चलाने में बहुत
ही परेशानी होती होगी?’’


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


‘‘बिल्कुल नहीं बाबूजी, शुरू में कुछ दिन हुई थी।’’
रात के सन्नाटे में वह एक ही हाथ से
रिक्शा खींचते हुए पसीने–
पसीने हो रहा था । मैंने पूछा, ‘एक हाथ
की क्या कहानी है?’’
थोड़ी देर की चुप्पी के बाद वह बोला, ‘‘गाँव में
खेत के बँटवारे में रंजिश हो गई, वे लोग दबंग और
अपराधी स्वभाव के थे,
मुकदमा उठाने के लिए दबाव डालने लगे।’’
वह कुछ गम्भीर हो गया और आगे की बात बताने से
कतराने
लगा, किन्तु मेरी उत्सुकता के आगे वह विवश
हो गया और
बताया, ‘‘एक रात जब मैं खलिहान में सो रहा था,
जान मारने
की नीयत से मुझ पर वार किया गया। संयोग से
वह गड़ासा गर्दन पर गिरने के बजाए हाथ पर
गिरा और वह कट
गया।’’


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


‘‘क्या दिन की मजदूरी से काम नहीं चलता जो इस
उम्र में रात
में रिक्शा चला रहे हो?’’ मुझे उस पर दया आई।
‘‘रात्रि में भीड़ कम होती है जिससे
रिक्शा चलाने में
आसानी होती है।’’ उसने धीरे से कहा।
उसकी विवशता समझकर घर पर मैंने पाँच रूपए के
बजाए दस रुपए
दिए। सीढि़याँ चढ़कर
दरवाजा खुलवा ही रहा था कि वह
भी हाँफते हुए पहुँचा और पाँच रुपए का नोट वापस
करते हुए
बोला, ‘‘आपने ज्यादा दे दिया था।’’
‘‘आपकी अवस्था देखकर और रात की मेहनत सोचकर
कोई
अधिक नहीं है, मैं खुशी से दे रहा हूँ।’’ उसने जवाब
दिया,
‘‘मेरी प्रतिज्ञा है एक हाथ के रहते हुए भी दया की भीख नहीं लूँगा, तन ही बूढ़ा हुआ है मन नहीं।’’
मुझे लगा पाँच रुपए अधिक देकर मैंने उसका अपमान
कर दिया है।

आत्मसम्मान एक सफल सुखी जीवन का आधारभूत तत्व है। व्यक्ति आत्मसम्मान के अभाव में सफल तो हो सकता है, बाह्य उपलब्धियों भरा जीवन भी सकता है, किंतु वहvi अंदर से भी सुखी, संतुष्ट और संतृप्त होगा, यह संभव नहीं है।

सदैव प्रसन्न रहिये
जो प्राप्त है-पर्याप्त है


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

कृष्ण कन्हैया को कहते हैं लड्डू गोपाल, कैसे पड़ा ये नाम, इसके पीछे है ये कहानी

ब्रज भूमि में बहुत समय पहले श्रीकृष्ण के परम भक्त रहते थे.. कुम्भनदास जी । उनका एक पुत्र था रघुनंदन । कुंम्भनदास जी के पास बाँसुरी बजाते हुए श्रीकृष्ण जी का एक विग्रह था, वे हर समय प्रभु भक्ति में लीन रहते और पूरे नियम से श्रीकृष्ण की सेवा करते। वे उन्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाते थे, जिससे उनकी सेवा में कोई विघ्न ना हो।

एक दिन वृन्दावन से उनके लिए भागवत कथा करने का न्योता आया। पहले तो उन्होंने मना किया, परन्तु लोगों के ज़ोर देने पर वे जाने के लिए तैयार हो गए कि भगवान की सेवा की तैयारी करके वे कथा करके रोज वापिस लौट आया करेंगे व भगवान का सेवा नियम भी नहीं छूटेगा। अपने पुत्र को उन्होंने समझा दिया कि भोग मैंने बना दिया है, तुम ठाकुर जी को समय पर भोग लगा देना और वे चले गए।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


रघुनंदन ने भोजन की थाली ठाकुर जी के सामने रखी और सरल मन से आग्रह किया कि ठाकुर जी आओ भोग लगाओ । उसके बाल मन में यह छवि थी कि वे आकर अपने हाथों से भोजन करेगें जैसे हम खाते हैं। उसने बार-बार आग्रह किया, लेकिन भोजन तो वैसे ही रखा था.. अब उदास हो गया और रोते हुए पुकारा की ठाकुरजी आओ भोग लगाओ। ठाकुरजी ने बालक का रूप धारण किया और भोजन करने बैठ गए और रघुनंदन भी प्रसन्न हो गया।

रात को कुंम्भनदास जी ने लौट कर पूछा कि भोग लगाया था बेटा, तो रघुनंदन ने कहा हाँ। उन्होंने प्रसाद मांगा तो पुत्र ने कहा कि ठाकुरजी ने सारा भोजन खा लिया। उन्होंने सोचा बच्चे को भूख लगी होगी तो उसने ही खुद खा लिया होगा। अब तो ये रोज का नियम हो गया कि कुंम्भनदास जी भोजन की थाली लगाकर जाते और रघुनंदन ठाकुरजी को भोग लगाते। जब प्रसाद मांगते तो एक ही जवाब मिलता कि सारा भोजन उन्होंने खा लिया।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


कुंम्भनदास जी को अब लगने लगा कि पुत्र झूठ बोलने लगा है, लेकिन क्यों..?? उन्होंने उस दिन लड्डू बनाकर थाली में सजा दिये और छुप कर देखने लगे कि बच्चा क्या करता है। रघुनंदन ने रोज की तरह ही ठाकुरजी को पुकारा तो ठाकुरजी बालक के रूप में प्रकट हो कर लड्डू खाने लगे। यह देख कर कुंम्भनदास जी दौड़ते हुए आये और प्रभु के चरणों में गिरकर विनती करने लगे। उस समय ठाकुरजी के एक हाथ मे लड्डू और दूसरे हाथ का लड्डू मुख में जाने को ही था कि वे जड़ हो गये । उसके बाद से उनकी इसी रूप में पूजा की जाती है और वे ‘लड्डू गोपाल’ कहलाये जाने लगे..!!


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


हरीतकी या हरड़

संस्कृत मे हरीतकी, अभया, पथ्या
हिन्दी मे हरड़, हर्र,
बांग्ला, मराठी, गुजराती, पंजाबी और तेलुगू मे भी हरीतकी या हरड़।
English = Myrobalans

दवाई के लिए प्रायः बड़ी हरड़ का प्रयोग होता है। बाजार मे बड़ी हरड़ के टुकड़े मिलते हैं वह न ले। साबुत हरड़ ले जिसमे घुन न लगा हो। उसे तोड़ कर बीज निकाल दे। फिर इसे बारीक पीस ले। जो स्वयम नहीं पीस सकते वह बाजार से हरीतकी चूर्ण बना बनाया ले।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


किसे हरड़ नहीं लेनी चाहिए –
1 *मुंह बार सुख रहा हो और प्यास लग रही हो।
2* नाक मुंह या किसी अन्य अंग से खून बहता हो।
3* वर्षो से किसी ऐसे रोग का शिकार हो जिसमे खून की बहुत अधिक कमी हो गई हो।
4-* जो प्रतिदिन व्यायाम करते हैं या प्रतिदिन लंबा पैदल चलते है।
5* जिसे कभी लकवा, खून की अधिक कमी ( जैसे थेलिसिमिया , परनीसियास एनीमिया, एडिसन्स डीजीज) जैसा रोग हो
6* जिसे Asthma /श्वास, दमा के रोग हो
7* जो प्रतिदिन लम्बे समय तक धूप मे घूमते हों।

सबसे चमत्कारी जन्मघुट्टी
छोटे बच्चो के लिए इसके समान घुट्टी नहीं है । चित्र मे दिखाए अनुसार साबुत बड़ी हरड़ ले उनमे से वह हरड़ चुने जो पानी मे डालने पर पानी मे डूब जाए तैरे नहीं।
इसे पत्थर पर चन्दन की तरह घिस कर दे।
1- बच्चे का पेट फुला हुआ हो रात को रोता हो – घिसी हुई हरड़ मे गुड मिलाकर दे।
2- मुंह मे छले के कारण यदि बच्चा दूध ना पी पा रहा हो- घिसी हुई हरड़ मे मिश्री मिलाकर दे।
3- बच्चे को भूख ना लगे- घिसी हुई हरड़ मे सैंधा नमक मिलाकर दे।
4- दस्त मे-जायफल, हरड़ व काली अतीस दोनों घिस कर मिलाकर दे।
5 जुखाम होने पर – सोंठ भी साथ मे घिस कर मिलाकर दे।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


**
पेट की गैस के लिए – बड़ी हरड़ की का चूर्ण मे समान गुड मिला ले । फिर इसकी मटर के दाने के बराबर गोली बना ले। यदि गोली बनाने मे दिक्कत हो तो थोड़ा सा पानी मिला कर गोली बना ले और धूप मे सूखा ले। यदि धूप मे न सुखाए तो गोलियों मे फफूंदी लग जाती है । या चूर्ण की तरह रख ले। इसे लगभग 1 ग्राम की मात्रा मे भोजन के बीच मे या भोजन के बाद पानी/ लस्सी से ले। पेट मे किसी भी कारण से गैस बनती हो लाभ जरूर होता है। पेट की गैस मे ये कभी भी असफल नहीं होती। बाजार मे उपलब्ध कोई भी गैस का चूर्ण या गोली इसके समान प्रभावशाली नहीं है। साथ ही यह सुबह खाली पेट पानी से लेने पर भूख को बढ़ाती है, बवासीर मे लाभ दिखाती है
****
अम्लपित्त के लिए – 100 ग्राम मुनक्का (बड़ी किशमिश/ दाख जिसमे बीज होता है) ले। इन्हे गरम पानी से धो ले। फिर बीज निकाल ले। उसके बाद इन्हे कूट ले और इसमे 50 ग्राम हरड़ का चूर्ण मिला ले। इसके बाद मटर के दाने के आकार की गोलीय बना ले। यदि गोली बनाने मे कुछ परेशानी हो तो कुछ बूंद शहद मिला ले। 1-2 गोली भोजन से पहले पानी से लेने से अम्लपित्त और पेट के अल्सर मे बहुत लाभ होता है।
***
चक्कर आने पर – पीपल (जिसे गरम मसाले मे मिलाते है), सौंठ (सुखी अदरक), सौंफ और हरड़ 25-25 ग्राम। गुड 150 ग्राम सबको मिला कर मटर के दाने के आकार की गोली बनाए। 1-2 गोली दिन मे 3 बार ले। चक्कर आना, सिर घूमना बंद हो जाएगा।
*


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


बवासीर (Piles ) के लिए
– यह प्रयोग सभी तरह की बवासीर के लिए बहुत ही लाभदायक है। यदि मल मार्ग से खून आता हो तो इसमे 10 ग्राम“कहरवा पिष्टी” जरूर मिलाए। स्नेहा समुह
🌻बड़ी हरड़ (गुठली निकाल के )=60 ग्राम
🌻काली मिर्च -20 ग्राम, पीपल (गरम मसाले मे मिलाने वाला )-40ग्राम
🌻चव्य= 20ग्राम, तालिश पत्र =20 ग्राम, नागकेशर=10ग्राम, पिपलामूल= 40ग्राम,
🌻चित्रक = 20ग्राम, छोटी इलायची =5ग्राम, दालचीनी = 5 ग्राम,
🌻अजवायन =5 ग्राम, जीरा = 5 ग्राम, गुड 400 ग्राम
🌻सभी दवाइया जड़ी बूटी वाले की दुकान से ला कर साफ कर ले। गुड को छोड़ कर बाकी सभी को मिलाकर बारीक कूट ले। अंत मे गुड मिला कर मटर के दाने के आकार की गोली बनाकर धूप मे सूखा ले। यदि गोली बनाने मे परेशानी हो तो 1-2 चम्मच पानी मिला ले। धूप मे जरूर सुखाए। अन्यथा फफूंद लग कर खराब हो जाती है। सभी तरह की बवासीर के लिए बेहद अच्छी है। धीरे धीरे फायदा करती है परंतु 2-3 महीने मे पूरी तरह ठीक हो जाती है।
🌻मात्रा = 2 से 5 ग्राम ठंडे पानी से सुबह खाली पेट व शाम को भोजन से 2 घंटे पहले
🌻परहेज = चाय, लाल मिर्च, उरद की दाल, राजमा, समोसा, पकौड़ा, इमली अमचूर
जिमिकन्द की सब्जी बनाकर खाए। मुली की सब्जी बनाकर खाए बवासीर मे बहुत अच्छी है। भुना हुआ जीरा, काली मिर्च और सैंधा नमक मिला कर प्रतिदिन दहि की लस्सी /छाछ जरूर पिए। आयुर्वेद मे लिखा है “जैसे आग मे भुने हुए अन्न के दाने दोबारा नहीं पैदा होते वैसे छाछ के प्रयोग से नष्ट बवासीर के मस्से दोबारा नहीं पैदा होते।”

🍁पसीने मे बदबू होना- गर्मी मे बहुत से लोगों के पसीने मे बहुत बदबू होती है। बाजार मे मिलने वाले डिओड़ोरडिओड़ोरेंट मे हानिकारक कैमिकल होते हैं। वह बदबू को दबा देते हैं। बगल (काँख ) मे हरड़ को पानी मे घिस कर या हरड़ का बारीक पाउडर पानी मे मिला कर नहाने से 1/2 घण्टा पहले लेप करे। फिर नहा ले
चेहरे के दाग धब्बे – एक पत्थर पर कुछ बूंद दूध डाल कर उसमे हरड़ व जायफल घिसे। यह लेप 1/2 घण्टा तक प्रतिदिन चेहरे पर लगाए। धीरे धीरे दाग धब्बे व झाइयाँ खत्म हो जाएगी।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


🌻मधुमेह मे – आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ चरक संहिता में लिखा है कि तक्र (दहि कि लस्सी/छाछ जिसमे दहि का ¼ भाग पानी मिलाया गया हो) के साथ हरीतकी (हरड़) का चूर्ण लेने से मधुमेह मे बहुत लाभ होता है। यह आयुर्वेद के प्रतिष्ठित ग्रंथ का प्रयोग है और कोई नुकसान नहीं करता इसलिए एकबार दूसरी दवाओ के साथ साथ इसका भी प्रयोग करके देखना चाहिए

कांटैक्ट और कनेक्शन (सम्पर्क और जुड़ाव)

विश्व धर्म सभा शिकागो में अंग्रेज विवेकानंद जी का मजाक उड़ाते थे। उन्हीं में से एक पत्रकार ने उनसे मजाक उड़ाने के दृष्टिकोण से प्रश्न पूछाः-_

पत्रकार- “महोदय, आपके आखिरी व्याख्यान में, आपने हमे कांटैक्ट और कनेक्शन ( सम्पर्क और जुड़ाव) के बारे में बताया। यह वास्तव में उलझा हुआ है। क्या आप समझा सकते हैं?”

विवेकानंद जी मुस्कुराये और पत्रकार से पूछा:-

“क्या आप न्यूयॉर्क से हो?”
पत्रकार- “हाँ …”
विवेकानंद जी- “घर पर कौन हैं?”


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


पत्रकार ने महसूश किया कि भिक्षु अपने प्रश्न का उत्तर देने से बचने की कोशिश कर रहा था क्योंकि यह एक बहुत ही व्यक्तिगत और अनचाहा सवाल था। फिर भी पत्रकार ने कहा: “मां की मृत्यु हो गई है। पिताजी हैं। तीन भाई और एक बहन। सभी विवाहित …”

विवेकानंद जी ने उसके चेहरे पर एक मुस्कान के साथ फिरसे पूछा:-“क्या आप अपने पिता से बात करते हैं?”

पत्रकार स्पष्ट रूप से नाराज लग रहा था …

स्वामीजी- “तुमने आख़िरी बार उनसे बात कब की?”

पत्रकार ने अपनी परेशानियों को दबाते हुए कहा:- “एक महीने पहले हो सकता है।”

साधु- “क्या आप भाई और बहन से अक्सर मिलते हैं?आप पारिवारिक सभा के रूप में आखिरी बार कब मिले?”

इस बिंदु पर पत्रकार के माथे पर पसीना दिखाई दिया।

अब स्वामी जी पत्रकार का साक्षात्कार कर रहे थे।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


एक शोक के साथ पत्रकार ने कहा- “हम दो साल पहले क्रिसमस में मिले थे।”

स्वामी जी- “आप सभी कितने दिन एक साथ रहते थे?”

पत्रकार (पसीने पर पसीना पोंछते हुए) ने कहा: “तीन दिन …”

स्वामीजी:- “आपने अपने पिता के साथ कब समय बिताया, उनकी बगल में कब बैठे?”

पत्रकार परेशान और शर्मिंदा दिख रहा था और एक पेपर पर कुछ लिखना शुरू कर दिया …!

स्वामी जी- “क्या आपने उनके साथ नाश्ते, दोपहर का भोजन या रात का खाना खाया था? क्या तुमने पूछा कि वे कैसे थे? क्या तुमने पूछा कि उसकी मां की मृत्यु के बाद उनके दिन कैसे गुज़र रहे हैं?”

आंसू की बूंदें पत्रकार की आंखों से बहने लगीं।

keshav

विवेकानंद ने पत्रकार का हाथ पकड़ लिया और कहा:- “शर्मिंदा मत हो, परेशान या उदास मत हो। मुझे खेद है अगर मैंने आपको अनजाने में चोट पहुंचाई है …!

लेकिन यह मूल रूप से “कांटैक्ट और कनेक्शन (सम्पर्क और जुड़ाव)” के बारे में आपके प्रश्न का उत्तर है। आपका पिता के साथ ‘कांटैक्ट’ है लेकिन आपका उनके साथ ‘कनेक्शन’ नहीं है। आप उनसे जुड़े नहीं हैं। कनेक्शन दिल और दिल के बीच है … एक साथ बैठकर भोजन साझा करना और एक-दूसरे की देखभाल करना; स्पर्श करना, हाथ मिलाकर, आंखों से संपर्क करना, कुछ समय बिताएं … आप भाइयों और बहनों के पास ‘कांटैक्ट’ है लेकिन आपके पास एक दूसरे के साथ ‘कनेक्शन’ नहीं है …. ”

पत्रकार ने अपनी आंखों को पोंछ दिया और कहा:- “मुझे एक अच्छा और अविस्मरणीय सबक सिखाने के लिए धन्यवाद”

वर्तमान समय की यही वास्तविकता है। चाहे घर पर या समाज में सभी के पास बहुत सारे संपर्क/कांटैक्ट हैं लेकिन कोई कनेक्शन नहीं है। कोई जुड़ाव नहीं..है! हर कोई अपनी दुनिया में मशगूल है।

आइए हम “लगाव/जुड़ाव” बनाए रखें, हम “कनेक्ट” रहें; देखभाल, बातें साझा करना और हमारे सभी प्रियजनों के साथ समय बिताना।

आइए हम इससे सीखें और अपने जीवन में सुधार करें!🙏🙏✍✍


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


गर्भावस्था में खान-पान कैसा होना चाहिए

गर्भावस्था के हर हफ्ते में महिला को चाहिए अलग पोषन

गर्भवती का खान-पान : गर्भावस्था के दौरान आहार संतुलित तो होना ही चाहिए साथ ही आपके खाने मेंप्रोटीन, आयरन और विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होना चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर हमेशा पौष्टिक आहार लेने की सलाह देते हैं। लेकिन गर्भावस्था के दौरान ” आहार का खास ख्याल रखना आवश्यक हो जाता है। जिससे जच्चा-बच्चा दोनों ही हष्ट्-पुष्ट रहें। अक्सर गर्भवती महिलाओं के साथ ये समस्या रहती हैं कि वे गर्भावस्था‍ में क्या खाएं और क्या ना खाएं।
नाश्ते में अनाज, गेहूं का आटा, जई, कॉर्न फ्लैक्‍स, ब्रेड और पास्ता लें।
सूखे फल खासकर अंजीर, खुबानी और किशमिश, अखरोट और बादाम लें।
गर्भावस्‍था मधुमेह से बचने के लिए कम चीनी का सेवन करें।
गर्भावस्‍था की आखिरी तिमाही में पौष्टिक आहार लेना अत्‍यंत महत्त्‍वपूर्ण।
स्वस्थ गर्भावस्था और तंदुरुस्त बच्चे के लिए अपनी आहार योजना बेहद सोच-समझकर बनानी चाहिए। आइए “राज” आपको बताते हैं कि गर्भावस्था के हर पड़ाव पर आपका आहार कैसा होना चाहिए।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


जीरो से आठवें सप्ताह तक

हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, बथुआ, सरसों, मूली के पत्ते और सलाद को अपने भोजन में शामिल करें।
राजमा, चने की दाल, काले चने और सेम जरूर खाए।
खट्टे फल जैसे- खरबूजा, संतरा, मौंसमी भी खाए।
नाश्ता में अनाज, गेहूं का आटा, जई, कॉर्न फ्लैक्स, ब्रेड और पास्ता खा सकती है।
नट्स, विशेष रूप से अखरोट और बादाम जरूर खाए।
कैफीन युक्त पेय से बचें। नारियल पानी पिएं, मिल्‍क शेक, ताजा फलों के रस या नींबू पानी लें।
इससे आपके शरीर में पानी की मात्र बढ़ेगी और निर्जलीकरण की समस्‍या से बचे रहेंगी।
नौं से 16वां सप्‍ताह

हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे- पालक, मूली के पत्ते और सलाद।
लौकी, करेला और चुकंदर के रूप में सब्जियां।
गेहूं से बनीं वस्तुओं और ब्राउन राइस।
काले चने, पीली मसूर, राजमा, और लोभिया जैसी दालें।
सूखे फल खासकर अंजीर, खुबानी और किशमिश, अखरोट और बादाम।
संतरे, मीठा नींबू और सेब आदि फल।
डेयरी उत्पादों विशेष रूप से दूध, दही, मक्खन, मार्जरीन, और पनीर आदि। ये विटामिन डी के मुख्‍य स्रोत हैं।
सीने में जलन और कब्ज रोकने के लिए, दिन में पानी के आठ दस गिलास जरूर पिएं।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


17वें से 24वें सप्‍ताह तक

सूखे मेवे जैसे बादाम, अंजीर, काजू, अखरोट।
नारियल पानी, ताजा फलों का रस, छाछ और पर्याप्त मात्रा में पानी।
राजमा, सोयाबीन, पनीर, पनीर, टोफू, दही आपकी कैल्शियम की जरूरतों को पूरा करेगा।स्नेहा समुह
टोन्ड दूध (सोया दूध)।
हरी सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकोली, मेथी, सहजन की पत्तियां, गोभी, शिमला मिर्च, टमाटर, आंवला और मटर।
विटामिन सी के लिए संतरे, स्ट्रॉबेरी, चुकंदर, अंगूर, नींबू, टमाटर, आम और नींबू पानी का सेवन बढ़ाएं।
स्नैक्स में – भुना बंगाली चना, उपमा, सब्जी इडली या पोहा।

25वें से 32वें सप्‍ताह तक

गर्भावस्था के 25 सप्ताह से अपने चयापचय (मेटाबॉलिक) दर 20 प्रतिशत बढ़ जाती है, इसलिए आपके कैलोरी बर्न करने की गति बढ़ जाती है और नतीजतन आपको अधिक थकान और गर्मी महसूस होगी। इसलिए आपको अपने भोजन में तरल पदार्थो की मात्रा बढ़ानी चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि आप निर्जलीकरण से भी दूर रहेंगी और साथ ही आपको कब्‍ज भी नहीं होगा। वात रोग से बचने के लिए छोटे-छोटे अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा भोजन करती रहें।
एक दिन में 10-12 गिलास पानी पिएं।
दही के साथ एक या दो पराठें।
प्रचुर मात्रा में बादाम और काजू का सेवन करें।
फलों का रस पीने से अच्‍छा है कि ताजा फल खाए जाएं।
भोजन के साथ सलाद जरूर लें।
प्याज, आलू, और राई आदि का सेवन करें।
सेब, नाशपाती, केले, जामुन, फलियां और हरी पत्तेदार सब्जियां।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


33वें से 40वें सप्‍ताह तक

गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में पौष्टिक आहार लेना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस दौरान भ्रूण पूरी तरह तैयार हो चुका होता है। वह जन्‍म लेने को तैयार होता है। पौष्टिक आहार जैसे, फल और सब्जियां बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करती हैं।स्नेहा समुह
गर्भावस्था मधुमेह से बचने के लिए कम चीनी का सेवन करें।
शुगर फ्री बिस्किट, एल्‍कोहल रहित पेय पदार्थ का सेवन करें।
गाजर, मूली और हरी पत्तेदार सब्जियां।
विटामिन सी के लिए स्‍ट्राबैरी, नींबू, मौसमी, ब्रोकली, आंवला का रस, संतरा या आम को अपने भोजन में शामिल करें।
सूखे मेवे जैसे, खजूर, अंजीर, बादाम, अखरोट, खुमानी और किशमिश का रोजाना सेवन करें। वहीं तैलीय, मसालेदार और जंक फूड का परहेज करें।
प्रसव का समय निकट आ चुका है। और ऐसे में मां को अपने बच्‍चे के लिए प्रचुर मात्रा में दूध की जरूरत होती है। तो, अपने भोजन में बैंगन, दालें आदि की मात्रा बढ़ा दें। चाय कॉफी और चीनी वाली चीजों से जरा दूरी रखें।

गर्भवती का खान-पान के लिए इन्हें भी आज़मा सकती हैं…

गर्भावस्था के दौरान आहार संतुलित तो होना ही चाहिए साथ ही आपके खाने में प्रोटीन, आयरन और विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होना चाहिए। साथ ही गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में आयरन और फोलिक एसिड की गोली लेना भी जरूरी होता है।
सामान्य महिला को अपने दैनिक आहार में 2100 कैलोरी की जरूरत होती है, जबकि गर्भवती महिला को 2500 कैलोरी की जरूरत होती है। 10 प्रतिशत कैलोरी प्रोटीन से तथा 35 प्रतिशत कैलोरी फैट यानी तेल, घी और मक्खन से तथा 55 प्रतिशत कैलोरी कार्बोहाइड्रेट से मिलनी चाहिए।
नाश्ता अधिक देर से न करें, सुबह उठने के कुछ समय पश्चात ही नाश्‍ता कर लें। साथ ही दाल, चावल, सब्जियां, रोटी और फलों को अपने दैनिक आहार में शामिल करें।
दैनिक आहार में हरी सब्जि़यां, दूध, उबला भोजन, अंकुरित चना, अंडे को जरूर शामिल करना चाहिए क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु को मां के आहार से ही पोषण मिलता है। जब मां पौष्टिक खाना खाएगी तभी तो बच्चा भी स्वस्थ होगा।
गर्भवती महिलाओं को खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में अजवाइन अवश्य लेना चाहिए। इससे मिचली नहीं आती और खाना जल्दी हजम होता है।
यदि गर्भधारण के दौरान सुबह अक्सर आपका जी मिचलाता है तो आपको खूब पानी पीना चाहिए। खाना थोड़ा-थोड़ा कई बार खाएं साथ ही अच्छी नींद लें जिससे मां और होने वाला शिशु दोनों ही स्वस्थ रहें।
दलिया या साबुत अनाज से बनी रोटियां भी अपने आहार में शामिल करना चाहिए। मैदे का उपयोग कम से कम करें।
गर्भावस्था में छाछ पीना लाभकारी हो सकता है। लेकिन आपको दही के उत्‍पादों से एलर्जी है तो छाछ न लें।
गर्भवती महिलाओं को बादाम, अखरोट जैसे कुछ मेवे अवश्य लेना चाहिए। ये न सिर्फ कमजोरी दूर करते हैं बल्कि इनके सेवन से मां और होने वाले बच्चे दोनों का मस्तिष्क भी तेज होता है।
सब्जियों को मेथी का तड़का देकर बनाएं। मेथी के सेवन से गर्भाशय शुद्ध रहता है और भूख अधिक लगती है।
बढ़ता हुए गर्भस्‍थ शिशु अपनी सभी जरूरतें मां द्वारा लिए आहार से पूरी करता है। क्‍योंकि आहार से गर्भवती महिला की लौह तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती, इसलिए आयरन फोलिक एसिड की गोलियां खाना जरूरी होता है। साथ ही फोलिक एसिड कई तरह के आहार में विटामिन बी के रूप में विद्यमान होता है।
दूध में मुनक्का उबालकर पहले मुनक्का खायें फिर दूध पी जायें। इससे कब्ज की शिकायत नहीं होगी साथ ही हीमोग्लोबीन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
पत्तागोभी खायें क्‍योंकि इसमें क्षारीय तत्व होते हैं जो रक्त शोधन करते हैं। इसकी सब्जी या कच्चा सलाद अवश्य लें।
गर्भवती महिलाओं को नमक कम से कम खाना चाहिए इससे रक्तचाप नॉर्मल रहता है।
इसके अलावा डॉक्टर से खाने-पीने की उचित जानकारी ले लेना बेहतर होता है जिससे मां और बच्चे दोनों में किसी तरह की कोई बीमारी या कमजोरी न पनप पाएं।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


गर्भावस्था में फलो के फायदे
अनार

अनार में एंटी ऑक्सीडैंट्स तथा विटामिन्स भरपूर मात्रा में पाएं जाते हैं। अनार का जूस गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है।स्नेहा समुह
सेब

विटामिन ,कैल्शियम , आयरन , प्रोटीन से भरपूर होता है गर्भावस्था में अनिद्रा जैसे रोग में काफी लाभकारी होता है
केला

पोटैशियम , सोडियम , फास्फोरस ,विटामिन ए ,बी 1, और सी होते है
अंगूर

कैल्शियम , आयरन , क्लोरिन होते है
संतरा

कैल्शियम ,क्लोरिन , कापर ,लोहा , विटामिन बी 1, और सी भरपूर होते है
नासपाती

फास्फोरस ,विटामिन ए , बी 1, बी 2 और पोटैशियम पाया जाता है
पालक

पालक में आयरन सबसे ज्‍यादा होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह काफी उपयोगी है।
चुकंदर

यह विटामिन ए, विटामिन बी कॉम्पलेक्स, कैरोटिनाइड्स और फ्लेवोनाइड्स का अच्छा स्रोत है। इसमें आयरन भरपूर होता है, जो गर्भवती महिलाओं में बच्चे के विकास में सहायक होता है।
अंकुरित आहार
गर्भवती महिला को संतुलित मात्रा में अंकुरित आहार भी मिलना चाहिए। इसके लिए अंकुरित सोयाबीन , मूंग, चने , गेहू का सेवन करना चाहिए बीजों के अंकुरित होने के पश्चात् इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है |नवजात शिशु में मानसिक, शारीरिक दुर्बलताओं को दूर किया जा सकता है यदि गर्भवस्था के दौरान महिला अंकुरित अनाज का सेवन करती है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

नियति बहुत क्रूर होती है….

18 दिन के युद्ध ने, द्रोपदी की उम्र को
80 वर्ष जैसा कर दिया था… शारीरिक रूप से भी और मानसिक रूप से भी !

शहर में चारों तरफ विधवाओं का बाहुल्य था.. पुरुष इक्का-दुक्का ही दिखाई पड़ता था अनाथ बच्चे घूमते दिखाई पड़ते थे और, उन सबकी वह महारानी द्रौपदी हस्तिनापुर के महल में निश्चेष्ट बैठी हुई शून्य को ताक रही थी ।

तभी,  श्रीकृष्ण कक्ष में दाखिल होते है !

द्रौपदी कृष्ण को देखते ही दौड़कर उनसे लिपट जाती है … कृष्ण उसके सर को सहलाते रहते हैं और रोने देते हैं !
थोड़ी देर में, उसे खुद से अलग करके समीप के पलंग पर बिठा देते हैं ।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


द्रोपती : यह क्या हो गया सखा ??
ऐसा तो मैंने नहीं सोचा था ।

कृष्ण : नियति बहुत क्रूर होती है पांचाली..
वह हमारे सोचने के अनुरूप नहीं चलती !
हमारे कर्मों को परिणामों में बदल देती है..
तुम प्रतिशोध लेना चाहती थी और, तुम सफल हुई, द्रौपदी !

तुम्हारा प्रतिशोध पूरा हुआ… सिर्फ दुर्योधन और दुशासन ही नहीं, सारे कौरव समाप्त हो गए !
तुम्हें तो प्रसन्न होना चाहिए !

द्रोपती: सखा, तुम मेरे घावों को सहलाने आए हो या, उन पर नमक छिड़कने के लिए ?

कृष्ण : नहीं द्रौपदी, मैं तो तुम्हें वास्तविकता से अवगत कराने के लिए आया हूं ।
हमारे कर्मों के परिणाम को हम, दूर तक नहीं देख पाते हैं और जब वे समक्ष होते हैं.. तो, हमारे हाथ मे कुछ नहीं रहता ।

द्रोपती : तो क्या, इस युद्ध के लिए पूर्ण रूप से मैं ही उत्तरदाई हूं कृष्ण ?


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


कृष्ण : नहीं द्रौपदी तुम स्वयं को इतना महत्वपूर्ण मत समझो…
लेकिन, तुम अपने कर्मों में थोड़ी सी भी दूरदर्शिता रखती तो, स्वयं इतना कष्ट कभी नहीं पाती।

द्रोपती : मैं क्या कर सकती थी कृष्ण ?

कृष्ण:- जब तुम्हारा स्वयंबर हुआ…
तब तुम कर्ण को अपमानित नहीं करती
और उसे प्रतियोगिता में भाग लेने का
एक अवसर देती तो, शायद परिणाम
कुछ और होते !

इसके बाद जब कुंती ने तुम्हें पांच पतियों की पत्नी बनने का आदेश दिया…
तब तुम उसे स्वीकार नहीं करती
तो भी, परिणाम कुछ और होते ।
और
उसके बाद तुमने अपने महल में दुर्योधन को अपमानित किया… वह नहीं करती तो, तुम्हारा चीर हरण नहीं होता… तब भी शायद, परिस्थितियां कुछ और होती ।

हमारे शब्द भी हमारे कर्म होते हैं द्रोपदी…

और, हमें अपने हर शब्द को बोलने से पहले तोलना बहुत जरूरी होता है… अन्यथा, उसके दुष्परिणाम सिर्फ स्वयं को ही नहीं… अपने पूरे परिवेश को दुखी करते रहते हैं ।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


संसार में केवल मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है… जिसका ” जहर ” उसके ” दांतों ” में नही, “शब्दों ” में है…

इसलिए शब्दों का प्रयोग सोच समझकर करिये।
ऐसे शब्द का प्रयोग करिये… जिससे, किसी की भावना को ठेस ना पहुंचे।

रूसी से छुटाकारा पाने के सबसे असान घरेलू उपाय

बालों में डैंड्रफ होना भले ही हर-एक की आम समस्या बन चुकी है लेकिन इस समस्या के होने से बालों को काफी नुकसान पहुचता है जिससे झुटकारा पाने के लिये तरह तरह के उपाय भी करते है लेकिन इसका असर ना के बराबर ही देखने को मिलता है आज हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारें में बता रहे है जिसे अजमाने के बाद आपके बालों को रूसी से झुटकारा तो मिलेगा ही साथ ही में आपके बाल सुंदर घने मजबूत होने के साथ चमकदार भी दिखेगें। तो जाने ऐसे प्राकृतिक घरेलू नुस्खे के बारें में..

• रूसी के प्रकार
• स्कैल्प का सूखापन
• स्कैल्प पर तेल की अधिकता
• फंगल डैंड्रफ
• रोग से संबंधित डैंड्रफ
• रूसी होने के कारण


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

रूसी
रूसी होने के कारण
• बालों में तेल का उपयोग ना करना
• गलत तरीके से कंघी करना
• बालों में पौषण की कमी
• शैंपू का ज्यादा प्रयोग करना
• अत्याधिक तनाव
• त्वचा संबंधी बीमारी

रूसी (डैंड्रफ) हटाने के घरेलू उपाय
आपको डैंड्रफ से छुटकारा दिलाने वाले कई आधुनिक तेल या शैंपू बाजार में देखने को मिल सकते है लेकिन इनसे होने वाले नाकारात्मक प्रभाव आपके बालों की समस्या को और अधिक बढ़ा देते हैं। यदि आप इन समस्या से बचना चाहते हैं, तो नीचे बताए जा रहे घरेलू नुस्खों को अपनाये। इसका उपयोग करने से आपके बालो में मजबूती के साथ प्राकृतिक निखर भी देखने को मिलेगा।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

1. नीम

सामग्री:
• नीम के 8-10 सूखे पत्ते
• 4से 5 चम्मच जैतून का तेल

उपयोग करने का तरीका:
विधि-1
• सूखे नीम के पत्तों का पीसकर बारीक पाउडर बना लें।
• एक बाउल में नीम से बने पाउडर को डालकर उसमें जैतून का तेल मिला लें।
• इस मिश्रण को अच्छी तरह मिलाकर बालों की जड़ों पर लगाएं।
• इस पेस्ट को करीब एक घंटे तक ला रहने दें। इसका बाद शैंपू और कंडीशनर से बालों को धो लें।
• इस मिश्रण का उपयोग आप नहाने से पहले ही करें।
• इसके अलावा आप नीम की पत्तियों को उबालकर उसके पानी से भी बालों को धो सकते है।

फायदे
नीम एक गुणकारी औषधिय पेड़ है, इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीफंगल के गुण पाए जाते हैं, जो शरीर एंव त्वचा में होने वाले रोगों को दूर करने में मदद करते है। नीम का उपयोग स्कैल्प के संक्रमण और डैंड्रफ से छुटकारा पाने का एक सटीक घरेलू उपाय है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

2. नींबू

सामग्री:
• 5 चम्मच नारियल का तेल, 1 चम्मच नींबू का रस

उपयोग करने का तरीका:
• नींबू के रस को नारियल के तेल के साथ मिला लें।
• अब इस मिश्रण को नहाने से पहले बालों की जड़ों पर अच्छी तरह से लगाएं।
• आधे घंटे बाद बालों को हर्बल शैंपू से धो लें।

फायदे
स्कैल्प में अचानक हो रहे पीएच स्तर में असंतुलन से बालों में डैंड्रफ की समस्या बढ़ जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिये नींबू के रस में मौजूद अम्ल स्कैल्प के पीएच स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। रूसी की समस्या से निजात पाने के लिए आप नींबू के रस को इस प्रकार इस्तेमाल कर सकती हैं


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

3. मैथी

सामग्री
• एक चम्मच मैथी के दाने
• 2 कप गर्म पानी

उपयोग करने का तरीका:
• मैथी के बीजों को दो कप पानी में डालकर रात भर के लिए भिगोकर रख दें।
• सुबह इस पानी को छान लें।
• नहाने से 15 मिनट पहले इस मैथी के पानी को बालों पर लगाकर कुछ समय के लिये छोड़ दें।
• करीब 30 मिनिट के बाद बालों को हर्बल शैंपू से धो लें।

फायदे
मैथी में जरूरी न्यूट्रिएंट और मिनरल्स (मैग्नीशियम व पोटेशियम) का भरपूर मात्रा पाई जाती हैं, जो सिर से रूसी को हटाने में मदद करती है साथ ही इसका पयोग करने से आपके बालों स्वस्थ रहते है इसलिये मैथी का उपयोग करना आपके बालों के लिये काफी अच्छा उपाय है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

4. विनेगर

सामग्री:
• 2 कप विनेगर
• एक कप पानी

उपयोग करने का तरीका:
• सबसे पहले विनेगर को गर्म कर लें।
• एक कप पानी में इसे मिला लें।
• नहाने से 15 मिनट पहले इस पानी से स्कैल्प की अच्छी तरह मसाज करें।
• करीब 20 मिनिट बाद बालों को शैंपू से धो लें।

फायदे
विनेगर सूखी त्वता को मुलायम बनाने का काम करता है। साथ ही स्कैल्प में मौजूद फंगस और बैक्टीरिया को आसानी से खत्म करने में मदद करता है। इसके साथ ही विनेगर में मौजूद एसिड सिर में होने वाली खुजली को भी कम करते है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

5. दही

सामग्री:
• एक कप दही

उपयोग करने का तरीका:
• सबसे पहले दही को बालों की जड़ों पर अच्छी तरह से लगाए।
• अब दही लगाने के बाद 15 मिनट के लिए छोड़ दें।
• इसके बाद शैंपू से अपने बालों को धो लें।

फायदे
स्कैल्प में मौजूद बैक्टीरिया फंगस को दूर करने का सबसे कारगर तरीका है दही का इस्तेमाल। दही ‘प्रोबायोटिक्स’ गुण से भरपूर होता है इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी के गुण भी मौजूद होते है जो स्कैल्प के जीवाणुओं को साफ कर बालों को स्वस्थ बनाने मदद करते है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

6. सेब का सिरका

सामग्री:
• 2-4 चम्मच सेब का सिरका
• 2-4 चम्मच पानी

उपयोग करने का तरीका:
• एक बाउल में सेब के सिरके और पानी को मिला लें।
• फिर बालों को शैंपू से धोने के बाद सिरके वाला पानी बालों और स्कैल्प पर लगाएं।
• करीब 15 मिनट बाद साफ पानी से बालों को धो लें।
• यह प्रक्रिया नहाने से पहले करें।

फायदे
सेब के सिरके का डैंड्रफ हटाने के सबस् अच्छा घरेलू उपाय हैं। सेब के सिरके में मौजूद एसिड स्कैल्प के पीएच स्तर को संतुलित करने में मदद करता है जिससे आप रूसी की समस्या से निजात पा सकते हैं


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

8. एलोवेरा

उपयोग करने का तरीका:
• नहाने से पहले एलोवेरा जेल को स्कैल्प और बालों पर अच्छी तरह लगाएं।
• इसके करीब 15 मिनट बाद सिर को शैंपू से धो लें।

फायदे
प्राकृतिक गुणों से भरपूर एलोवेरा का उपयोग त्वचा एंव बालों में निखार लाने के लिये किय जाता है इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण बालों की जड़ों को मजबूत बनाकर झड़ने से रोकते है साथ ही डैंड्रफ की समस्या से निजात दिलाकर बालों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं

9. संतरे का छिलका

सामग्री:
• संतरे के सूखे छिलके
• 5-6 चम्मच नींबू का रस

उपयोग करने का तरीका:
• संतरे के सूखे छिलकों को सबसे पहले पीसकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को एक बाउल में डालकर उसमें नींबू के रस 4 से 5 बूदं डालकर मिला लें।

• अब इस पेस्ट को स्कैल्प और बालों की जड़ों पर लगाते हुये 25से 30 मिनट के लिए छोड़ दें।

• 30 मिनट बाद बालों को शैंपू से धो लें।

फायदे
अम्लीय गुणों से भरपूर संतरे का छिलका में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल के गुए पाये जाते है जो रूसी की समस्या से निजात पाने में मदद करते है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

जड़भरत की कथा

राजर्षि भरत ने जब मृग शरीर का त्याग किया, तो उन्हें ब्राह्मण का शरीर प्राप्त हुआ। ब्राह्मण का शरीर प्राप्त होने पर भी उन्हें अपने पूर्व-जन्म का ज्ञान पहले की ही भांति बना रहा। उन्होंने सोचा। इस जन्म में कोई विघ्न-बाधा उपस्थित न हो, इसलिए उन्हें सजग हो जाना चाहिए। वे अपने कुटुंबियों के साथ पागलों सा व्यवहार करने लगे अर्थात ऐसा व्यवहार करने लगे कि जिससे उनके कुटुंबी यह समझे कि इसके मस्तिष्क में विकार उत्पन्न हो गया है। जड़भरत के पिता उन्हें पंडित बनाना चाहते थे, किंतु बहुत प्रयत्न करने पर भी वे एक भी श्लोक याद न कर सके। उनके पिता ने उन्हें जड़ समझ लिया। पिता की मृत्यु के पश्चात मां भी चल बसी। कुटुंब में रह गये भाई और भाभियां, जड़भरत के साथ बहुत बुरा व्यवहार करती थीं। जड़भरत इधर-उधर मज़दूरी करते थे। जो कुछ मिल जाता था, खा लिया करते थे और जहां जगह मिलती थी, सो जाया करते थे। सुख-दुख और मान-सम्मान को एक समान समझते थे। भाईयों ने जब देखा कि उनके छोटे भाई के कारण उनकी अप्रतिष्ठा हो रही है, तो उन्होंने उन्हें खेती के काम में लगा दिया। जड़भरत रात-दिन खेतों की मेड़ों पर बैठकर खेतों की रखवाली करने लगे। वे शरीर से बड़े स्वस्थ और हट्टे-कट्टे थे। उन्हीं दिनों एक डाकू संतान प्राप्ति के लिए एक मनुष्य की भद्र काली को बलि देने जा रहा था, किंतु जब बलि का समय आया तो वह भाग गया। डाकू ने अपने आदमियों से कहा कि बलि के लिए किसी दूसरे मनुष्य को पकड़कर लाएं। डाकू के साथी किसी दूसरे मनुष्य की खोज में निकल पड़े। उनकी दृष्टि खेत की मेड़ पर बैठे हुए जड़भरत पर पड़ी। वे शरीर से स्वस्थ और हट्टे-कट्टे तो थे ही, डाकू के साथी उन्हें पकड़कर ले गए। डाकू सरदार ने जड़भरत को सुस्वादु भोजन खिलाया। फिर उन्हें माला पहनाकर बलि के लिए भद्रकाली के सामने बैठा दिया। ज्यों ही डाकू ने उन पर खड्ग चलाया, त्यों ही हुंकार के साथ देवी प्रकट हो गईं। उन्होंने डाकू के हाथों से खड्ग छीनकर, उसी खड्ग से उसका मस्तक काटकर फेंक दिया। यह देख डाकू के दूसरे साथी भाग गए। जड़भरत पुनः खेत की मेड़ पर जाकर बैठ गए और पहले की भांति ही रखवाली करने लगे।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


एक दिन राजा रहूगण पालकी पर बैठकर, आत्मज्ञान की शिक्षा लेने के लिए कपिल मुनि के पास जा रहे थे। मार्ग में पालकी के एक कहार की मृत्यु हो गई। राजा रहूगण ने अपने सेवकों से कहा कि वे कोई दूसरा कहार खोजकर लाएं। रहूगण के सेवक किसी दूसरे कहार की खोज में निकल पड़े। उनकी दृष्टि खेत की मेड़ पर बैठे हुए जड़भरत पर पड़ी। सेवक उन्हें पकड़कर ले गए। जड़भरत ने बिना कुछ आपत्ति किए हुए, कहारों के साथ पालकी कंधे पर रख ली और बहुत संभल-संभल कर चलने लगे। उनके पैरों के नीचे कोई जीव दब न जाए इसलिए उनके पैर डगमगा उठते थे। इससे राजा रहूगण को झटका लगता था, उन्हें कष्ट होता था। राजा रहूगण ने कहारों से कहा, ‘क्यों जी, तुम लोग किस तरह चल रहे हो? संभलकर, सावधानी के साथ क्यों नहीं चलते?’ कहारों ने उत्तर दिया, ‘महाराज हम तो सावधानी के साथ चल रहे हैं, किंतु यह नया कहार हमारे चलने में विघ्न पैदा करता है। इसके पैर रह-रह कर डगमगा उठते हैं।’ राजा रहूगण ने जड़भरत को सावधान करते हुए कहा, ‘क्यों भाई, तुम ठीक से क्यों नहीं चलते? देखने में तो हट्टे-कट्टे मालूम होते हो। क्या पालकी लेकर ठीक से चला नहीं जाता? सावधानी से मेरी आज्ञा का पालन करो, नहीं तो दंड दूंगा।’ रहूगण का कथन सुनकर जड़भरत मुस्करा उठे। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, ‘आप शरीर को दंड दे सकते हैं, पर मुझे नहीं दे सकते, मैं शरीर नहीं आत्मा हूं। मैं दंड और पुरस्कार दोनों से परे हूं। दंड देने की तो बात ही क्या, आप तो मुझे छू भी नहीं सकते।

जड़भरत की ज्ञान भरी वाणी सुनकर रहूगण विस्मय की लहरों में डूब गए। उन्होंने आज्ञा देकर पालकी नीचे रखवा दी। वे पालकी से उतरकर जड़भरत के पैरों में गिर पड़े और कहा, ‘महात्मन, मुझे क्षमा कीजिए। कृपया बताइए आप कौन हैं? कहीं आप वे कपिल मुनि ही तो नहीं हैं जिनके पास मैं आत्मज्ञान की शिक्षा लेने जा रहा था?’ जड़भरत ने उत्तर दिया, ‘राजन! मैं न तो कपिल मुनि हूं और न कोई ॠषि हूं। मैं पूर्वजन्म में एक राजा था। मेरा नाम भरत था। मैंने भगवान श्रीहरि के प्रेम और भक्ति में घर-द्वार छोड़ दिया था। मैं हरिहर क्षेत्र में जाकर रहने लगा था। किंतु एक मृग शिशु के मोह में फंसकर मैं भगवान को भी भूल गया। मृगशिशु का ध्यान करते हुए जब शरीर त्याग किया, तो मृग का शरीर प्राप्त हुआ। मृग का शरीर प्राप्त होने पर भी भगवान की अनुकंपा से मेरा पूर्व-जन्म का ज्ञान बना रहा। मैं यह सोचकर बड़ा दुखी हुआ कि मैंने कितनी अज्ञानता की थी! एक मृगी के बच्चे के मोह में फंसकर मैंने भगवान श्रीहरि को भुला दिया था। राजन, जब मैंने मृग शरीर का त्याग किया, तो मुझे यह ब्राह्मण शरीर प्राप्त हुआ। ब्राह्मण का शरीर प्राप्त होने पर भी मेरा पूर्व-जन्म का ज्ञान बना रहा। मैं यह सोचकर कि मेरा यह जन्म व्यर्थ न चला जाए, अपने को छिपाए हूं। मैं दिन-रात परमात्मारूपी आत्मा में लीन रहता हूं, मुझे शरीर का ध्यान बिलकुल नहीं रहता। राजन, इस जगत में न कोई राजा है। न प्रजा, न कोई अमीर है, न कोई ग़रीब, न कोई कृषकाय है, न कोई स्थूलकाय, न कोई मनुष्य है, न कोई पशु। सब आत्मा ही आत्मा हैं। ब्रह्म ही ब्रह्म हैं। ‘राजन, मनुष्य को ब्रह्म की प्राप्ति के लिए ही प्रयत्न करना चाहिए। यही मानव-जीवन की सार्थकता है। यही श्रेष्ठ ज्ञान है, और यही श्रेष्ठ धर्म है।’


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


रहूगण जड़भरत से अमृत ज्ञान पाकर तृप्त हो गए। उन्होंने जड़भरत से निवेदन किया, ‘महात्मन! मुझे अपने चरणों में रहने दीजिए, अपना शिष्य बना लीजिए।’ जड़भरत ने उत्तर दिया, ‘राजन जो मैं हूं, वही आप हैं। न कोई गुरु है, न कोई शिष्य। सब आत्मा है, ब्रह्म हैं।’ जड़भरत जब तक संसार में रहे, अपने आचरण और व्यवहार से अपने ज्ञान को प्रकट करते रहे। जब अंतिम समय आया, तो चिरनिद्रा में सो गए, ब्रह्म में समा गए। यह सारा जगत ब्रह्म से निकला है और ब्रह्म में ही समा जाता है। ब्रह्म की इस लीला को जो समझ पाता है, उसी को जगत में सुख और शांति प्राप्त होती है।।

*हरिओम् तत्सत् *

आखिर क्यों दी जाती है बादाम भिगोकर खाने की सलाह…!!

आपके घर के बड़े बुज़ुर्गों ने कभी न कभी आपको ये बात ज़रूर बताई होगी, कि बादाम भिगोकर खाने से बहुत फायदे होते हैं। हालांकि, शायद ही आपको इसके फायदे विस्तार से बताए गए हों। इसलिए हम आपके लिए लाए हैं ऐसे 6 कारण जिनकी वजह से भीगे हुए बादाम खाने से आपके पूरे शरीर को फायदा पहुंचेगा। लेकिन उससे पहले हम आपको बताएंगे भीगे बादाम में ऐसा क्या ख़ास होता है।

भीगे बादाम क्‍यों बेहतर हैं?

बादाम अपने असीम स्‍वास्‍थ्‍य लाभों के लिए जाना जाता है। और सबसे ज्‍यादा यह याद्दाश्‍त को बढ़ने में मदद के लिए जाना जाता है। बादाम आवश्‍यक विटामिन और मिनरल जैसे विटामिन ई, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम और ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होता है। लेकिन इन सभी पोषक तत्‍वों को अवशोषित करने के लिए, बादाम को खाने से पहले रात भर पानी में भिगोना चाहिए। ऐसा इसलिए क्‍योंकि बादाम के भूरे रंग के छिलके में टनीन होता है जो पोषक तत्‍वों के अवशोषण को रोकता है। एक बाद बादाम को पानी में भिगोने से छिलका आसानी से उतर जाता है और नट्स को पोषक तत्‍वों को रिहा करने की अनुमति देता है। भीगा हुआ बादाम पाचन में भी मदद करता है। यह लाइपेज नामक एंजाइम की विज्ञप्ति करता है जो वसा के पाचन के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा भीगे हुए बादाम आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अन्‍य कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है…!!


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


1.वजन घटाने में मददगार

बादाम वजन घटाने में भी मददगार होते हैं। इसमें मोनोअनसेचुरेटेड फैट आपकी भूख को रोकने और पूरा महसूस करने में मदद करता है। भीगा हुआ बादाम एंटीऑक्‍सीडेंट का भी अच्‍छा स्रोत हैं। यह मुक्‍त कणों के नुकसान से बचाकर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को रोकता है। भीगे बादाम में विटामिन B17 और फोलिक एसिड कैंसर से लड़ने और जन्‍म दोष को दूर करने के लिए महत्‍वपूर्ण होता हैं।

2.दिल को स्वस्थ रखें

जर्नल ऑफ न्‍यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्‍ययन के अनुसार, बादाम एक बहुत ही शक्तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट एजेंट हैं, जो एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल के ऑक्‍सीकरण को रोकने में मदद करता है। बादाम के ये गुण दिल को स्‍वस्‍थ रखने और पूरे हृदय प्रणाली को नुकसान और ऑक्सीडेटिव स्‍ट्रेस से बचाने में मदद करता है। अगर आप दिल की बीमारी के किसी भी रूप से पीड़ि‍त हैं तो स्‍वस्‍थ रहने के लिए अपने आहार में भीगे हुए बादाम को शामिल करें।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


3.हाई ब्‍लड प्रेशर को नियंत्रित करें

बादाम ब्‍लड प्रेशर के लिए भी अच्‍छे होते हैं। जर्नल फ्री रेडिकल रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने पाया कि बादाम का सेवन करने से ब्‍लड में अल्‍फा टोकोफेरॉल की मात्रा बढ़ जाती है, जो किसी के भी रक्‍तचाप को बनाये रखने के लिए महत्‍वपूर्ण होता है। अध्‍ययन से यह भी पता चला कि नियमित रूप से बादाम खाने से एक व्‍यक्ति का ब्‍लड प्रेशर नीचे लाया जाता है। और यह 30 से 70 वर्ष की उम्र के बीच के पुरुषों में विशेष रूप से प्रभावी था…!!

4.गर्भस्थ शिशु के विकास में मदद –

भीगे हुए बादाम में फॉलिक एसिड काफी होता है, ये पोषक तत्व गर्भ के शिशु के मस्तिष्क और न्यूरोलॉजिकल सिस्टम के विकास में मददगार साबित होता है। इसके अलावा, जब बादाम को भिगा दिया जाता है तो उन्हें खाना आसान हो जाता है, गर्भवती महिलाओं की कमज़ोर पाचन क्रिया के लिए ये खाना अच्छा होता है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


5.पाचन क्रिया बनाएं बेहतर –

भीगे हुए बादाम पाचन क्रिया को मज़बूत और स्वस्थ बनाता है। जर्नल ऑफ फूड साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन में ये पाया गया कि भीगे कच्चे बादाम खाने से पेट जल्दी साफ होता है और प्रोटीन पचाना आसान हो जाता है। बादाम का छिलका निकल जाने से उसके छिलते में मौजूद एंजाइम अलग हो जाते हैं और इस वजह से फैट तोड़ने में आसानी होती है। ऐसे में पाचन क्रिया और पोषक तत्वों का अवशोषण आसान हो जाता है।

6.बैड’ कॉलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण –

उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या हमारे देश में सबसे आम बीमारियों में से एक होती जा रही है। उच्च कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग और दिल की धमनियों में रुकावट समेत कई प्रकार के रोगों का एक बड़ा कारण है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए बादाम आपकी मदद कर सकता है। बादाम शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाने में ‘खराब’ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में बहुत मदद करता है।

रात में पानी में भिगोकर सुबह छिलका उतार कर खाना से पढ़ने वाले बच्चों के लिए तो यह बहुत ही फायदेमंद सिद्ध होता हैं। बादाम खाना खाने के बाद शुगर और इंसुलिन का लेवल बढ़ने से रोकता है। जिससे डायबिटीज से बचा जा सकता है। तो फिर किस बात की देरी है, रोज सुबह भीगे बादाम खाकर आप भी अपने शरीर को पोषण से भरपूर करे..!!


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

श्रद्धा और समर्पण

एक गाय घास चरने के लिए एक जंगल में चली गई। शाम ढलने के करीब थी।
उसने देखा कि एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव बढ़ रहा है।
वह डर के मारे इधर-उधर भागने लगी।
वह बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा। दौड़ते हुए गाय को सामने एक तालाब दिखाई दिया। घबराई हुई गाय उस तालाब के अंदर घुस गई।
वह बाघ भी उसका पीछा करते हुए तालाब के अंदर घुस गया।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


तब उन्होंने देखा कि वह तालाब बहुत गहरा नहीं था। उसमें पानी कम था और वह कीचड़ से भरा हुआ था।
उन दोनों के बीच की दूरी काफी कम हुई थी। लेकिन अब वह कुछ नहीं कर पा रहे थे।
वह गाय उस कीचड़ के अंदर धीरे-धीरे धंसने लगी।
वह बाघ भी उसके पास होते हुए भी उसे पकड़ नहीं सका।
वह भी धीरे-धीरे कीचड़ के अंदर धंसने लगा।

दोनों भी करीब करीब गले तक उस कीचड़ के अंदर फंस गए।
दोनों हिल भी नहीं पा रहे थे।
गाय के करीब होने के बावजूद वह बाघ उसे पकड़ नहीं पा रहा था।

थोड़ी देर बाद गाय ने उस बाघ से पूछा, क्या तुम्हारा कोई गुरु या मालिक है?

बाघ ने गुर्राते हुए कहा, मैं तो जंगल का राजा हूं। मेरा कोई मालिक नहीं। मैं खुद ही जंगल का मालिक हूं।

गाय ने कहा, लेकिन तुम्हारे उस शक्ति का यहां पर क्या उपयोग है?

उस बाघ ने कहा, तुम भी तो फंस गई हो और मरने के करीब हो। तुम्हारी भी तो हालत मेरे जैसी है।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


गाय ने मुस्कुराते हुए कहा, बिलकुल नहीं। मेरा मालिक जब शाम को घर आएगा और मुझे वहां पर नहीं पाएगा तो वह ढूंढ़ते हुए यहां जरूर आएगा और मुझे इस कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले जाएगा। तुम्हें कौन ले जाएगा?

थोड़ी ही देर में सच में ही एक आदमी वहां पर आया और गाय को कीचड़ से निकालकर अपने घर ले गया। जाते समय गाय और उसका मालिक दोनों एक दूसरे की तरफ कृतज्ञता पूर्वक देख रहे थे।
वे चाहते हुए भी उस बाघ को कीचड़ से नहीं निकाल सकते थे क्योंकि उनकी जान के लिए वह खतरा था।

गाय समर्पित हृदय का प्रतीक है।
बाघ अहंकारी मन है
और
मालिक सद्गुरु का प्रतीक है।
कीचड़ यह संसार है।
और
यह संघर्ष अस्तित्व की लड़ाई है।
किसी पर निर्भर नहीं होना अच्छी बात है लेकिन

आपको किसी मित्र, किसी गुरु, किसी सहयोगी की हमेशा ही जरूरत होती है।

keshav

अहंकार की वजह से व्यक्ति मान-सम्मान प्राप्त नहीं कर पाता है, इस बुराई से बचें

एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा रोज सुबह साधु-संतों को धन का दान देता था। एक दिन राजा के महल में प्रसिद्ध संत आए। राजा बहुत खुश हुआ, उसने संत से कहा कि गुरुदेव मैं आपकी कोई इच्छा पूरी करना चाहता हूं, आप बताएं मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं?

संत ने कहा कि महाराज आप स्वयं अपनी इच्छा के अनुसार मुझे दान दे सकते हैं। आप जो दान देंगे, वह मैं स्वीकार करूंगा।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


राजा ने कहा कि गुरुजी मैं अपना पूरा राज्य आपको समर्पित करता हूं।

संत ने कहा कि राजन् ये राज्य आपका नहीं, बल्कि आपकी प्रजा का है। इसे आप दान में नहीं दे सकते हैं।

राजा ने कहा कि ये महल ले लीजिए। संत ने जवाब दिया कि राजन् ये महल राज्य का राजकाज चलाने के लिए है। ये भी प्रजा का ही है।

इसके बाद ने बहुत सोचा और कहा कि गुरुदेव मैं अपना ये शरीर आपको समर्पित करता हूं। मैं आजीवन आपकी सेवा करूंगा।

संत ने कहा कि राजन्, इस शरीर पर भी आपका हक नहीं है। ये शरीर आपकी पत्नी और आपके बच्चों का है। आप इसे दान में नहीं दे सकते हैं।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


अब राजा परेशान हो गया कि संत को दान में क्या दूं? राजा ने संत से ही पूछा कि गुरुदेव आप ही बताएं मैं आपको क्या दूं?

संत बोले कि राजन् आप मुझे अपना अहंकार दान करें। राजा के घमंड बहुत बुराई है। इसका त्याग करें।

कथा की सीख

अहंकार एक ऐसी बुराई है, इसकी वजह से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान नहीं मिल पाता है। इसीलिए अहंकार से बचना चाहिए।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

दुनिया में हर चीज की कोई-न-कोई कीमत है, लेकिन एक चीज ऐसी है जो सबसे अमूल्य है

किसी देश में एक राजा था। उसे तरह-तरह की प्रतियोगिताएं करवाने का शौक था। राज्य के लोग भी उन प्रतियोगिताओं में खुलकर हिस्सा लेते हैं। राजा विजेताओं को ईनाम भी देता था। इससे वहांके लोगों में हमेशा उत्साह बना रहता था।

एक बार राजा ने एक खूबसूरत बगीचा बनवाया और उसमें अनेक तरह की मूल्यवान चीजें रखवाई। राजा ने ऐलान किया कि जो भी व्यक्ति इस बगीचे से सबसे कीमती चीज ढूंढ कर लाएगा, उसे और भी कई तरह के ईनाम दिए जाएंगे।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


इस प्रतियोगिता के बारे में जानकर लोग बहुत खुश हुए। प्रतियोगिता वाला दिन आया, सभी लोग बगीचे में जाने लगे और कीमत रत्न आदि चीजें लेकर बाहर आने लगे। कोई सोना लेकर आया तो कोई चांदी। किसी के हाथ आभूषण आ गए तो किसी के हाथ हीरे।

keshav

सबसे अंत में एक संत वहां आए। वे भी बगीचे में गए और काफी दूर तक घूमने के बाद जब बाहर निकले तो उनके हाथ में कुछ भी नहीं था। वे राजा के पास गए और बोले- मैं इस बगीचे से सबसे कीमती चीज ले आया हूं। राजा ने कहा- लेकिन महाराज, आपके हाथ में कुछ भी नहीं है।

संत ने कहा- राजन, मैं संतोष लाया हूं। राजा ने पूछा- तुम्हारा संतोष क्या सबसे मूल्यवान है? संत ने कहा- हां महाराज, बगीचे में रखी हर चीज का कोई-न-कोई मूल्य अवश्य है, लेकिन संतोष तो अमूल्य है।
इसे पाने के बाद और कुछ पाने की इच्छा ही नहीं होती। राजा संत की बात समझ गए और उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त कर लिया।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/



जिस व्यक्ति के जीवन में संतोष है, उसके सामने दुनिया की कीमती चीजें भी बेकार होती है। जिसके जीवन में संतोष है, वास्तव में वही खुश है क्योंकि इच्छाओं की पूर्ति तो कभी संभव ही नहीं है।

हर व्यक्ति जीवन में शांति चाहता है, लेकिन इसके लिए कुछ करना नहीं चाहता

किसी नगर में एक विद्वान संत रहते थे। लोग उनके पास अपनी समस्याएं लेकर आते और समाधान पाकर खुश हो जाते। एक दिन एक सेठ संत के पास आकर बोला- मेरे पास किसी चीज की कमी नहीं है फिर भी मेरा मन अशांत रहता है। कृपया बताएं कि मैं क्या करूं?

यह सुनते ही संत उठे और चल पड़े। सेठ भी उसके पीछे-पीछे पहुंच गया। आश्रम के एक खाली कोने में जाकर संत ने आग जलाई और धीरे-धीरे उसमें एक-एक लकड़ी डालने लगे। हर लकड़ी के साथ आग की लौ और तेज होती जा रहा थी। कुछ देर बाद संत वापस अपनी जगह पर आकर बैठ गए।

अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/

keshav
अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/

सेठ भी संत के पास आकर दोबारा बैठ गया। बहुत देर तक जब संत कुछ नहीं बोले तो सेठ ने उनसे कहा कि- महात्मा, मैं आपके उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा हूं। साधु मुस्कुरा कर बोले- इतनी देर से मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर ही तो दे रहा था। लेकिन शायद तुम्हें समझ नहीं आया। अब मैं तुम्हें विस्तारपूर्वक बताता हूं।

संत ने कहा- हर मनुष्य के अंदर एक आग होती है। अगर तुम उसमें काम, क्रोध, लोभ, मोह और मद की लकड़ियां डालोगे तो जीवन में कभी शांति नहीं पा सकोगे। जब तक तुम अशांति फैलाने वाले इन तत्वों को आग में डालना बंद नहीं करोगे तब तक तुम्हारा मन शांत नहीं होगा। संत की बात सुनकर सेठ को अपनी समस्या का समाधान मिल चुका था।

अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/

हर व्यक्ति अपने जीवन में शांति चाहता है, लेकिन इसके लिए कुछ करना नहीं चाहता। जीवन में शांति के लिए मन की अवस्थाओं पर काबू रखना जरूरी है। अगर आपके मन में काम, क्रोध, लोभ और मोह जैसी भावनाएं हैं तो आपको शांति कभी नहीं मिलेगी। मन में संतुष्टि का भाव होने पर ही जीवन में शांति संभव है।

कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट रूककर सोच लेना

एक युवक ने विवाह के दो साल बाद परदेस जाकर व्यापार करने की इच्छा पिता से कही । पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती पत्नी को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार करने चला गया । परदेश में मेहनत से बहुत धन कमाया और वह धनी सेठ बन गया ।

सत्रह वर्ष धन कमाने में बीत गए तो सन्तुष्टि हुई और वापस घर लौटने की इच्छा हुई । पत्नी को पत्र लिखकर आने की सूचना दी और जहाज में बैठ गया । उसे जहाज में एक व्यक्ति मिला जो दुखी मन से बैठा था । सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया कि इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नही है । मैं यहाँ ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर
कोई लेने को तैयार नहीं है ।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


सेठ ने सोचा ‘इस देश में मैने बहुत धन कमाया है, और यह मेरी कर्मभूमि है, इसका मान रखना चाहिए !’ उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई । उस व्यक्ति ने कहा- मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राएं है ।

सेठ को सौदा तो महंगा लग रहा था.. लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए 500 स्वर्ण मुद्राएं दे दी । व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया- 

कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट रूककर सोच लेना । 

सेठ ने सूत्र अपनी किताब में लिख लिया । कई दिनों की यात्रा के बाद रात्रि के समय सेठ अपने नगर को पहुँचा ।उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूँ तो क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे पत्नी के पास पहुँच कर उसे आश्चर्य उपहार दूँ । घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया तो वहाँ का नजारा देखकर उसके पांवों के नीचे की जमीन खिसक गई ।


70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off


पलंग पर उसकी पत्नी के पास एक युवक सोया हुआ था । अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि मैं परदेस में भी इसकी चिंता करता रहा और ये यहां अन्य पुरुष के साथ है । दोनों को जिन्दा नही छोड़ूगाँ । क्रोध में तलवार निकाल ली ।
वार करने ही जा रहा था कि उतने में ही उसे 500 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान सूत्र याद आया- कि कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट सोच लेना ।

सोचने के लिए रूका । तलवार पीछे खींची तो एक बर्तन से टकरा गई । बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई ।
जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी वह ख़ुश हो गई और बोली- आपके बिना जीवन सूना सूना था ।
इन्तजार में इतने वर्ष कैसे निकाले यह मैं ही जानती हूँ । सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को देखकर कुपित था ।
पत्नी ने युवक को उठाने के लिए कहा- बेटा जाग । तेरे पिता आए हैं । युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम
करने झुका माथे की पगड़ी गिर गई । उसके लम्बे बाल बिखर गए । सेठ की पत्नी ने कहा- स्वामी ये आपकी बेटी है ।
पिता के बिना इसके मान को कोई आंच न आए इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान ही पालन पोषण और संस्कार दिए हैं । 


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


यह सुनकर सेठ की आँखों से अश्रुधारा बह निकली । पत्नी और बेटी को गले लगाकर सोचने लगा कि यदि आज मैने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता तो जल्दबाजी में कितना अनर्थ हो जाता । मेरे ही हाथों मेरा निर्दोष परिवार खत्म हो जाता । ज्ञान का यह सूत्र उस दिन तो मुझे महंगा लग रहा था लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो 500 स्वर्ण मुद्राएं बहुत कम हैं ।

‘ज्ञान तो अनमोल है ‘

इस कहानी का सार यह है कि जीवन के दो मिनट जो दुःखों से बचाकर सुख की बरसात कर सकते हैं । वे हैं – ‘क्रोध के दो मिनट’ इस कहानी को शेयर जरूर करें क्योंकि आपका एक शेयर किसी व्यक्ति को उसके क्रोध पर अंकुश  रखने के लिए प्रेरित कर सकता है ।

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

एक मादा हिरण गर्भवती थी, जब वह बच्चे को जन्म दे रही थी तब एक शिकारी धनुष पर बाण चढ़ाकर करना चाहता था उसका शिकार, थोड़ी ही दूर शेर भी खड़ा था, वह भी हिरण पर हमला करने वाला था, इसके बाद क्या हुआ?

जीवन में जब बुरा समय आता है और हम कुछ कर नहीं पाते हैं, तब भगवान पर भरोसा रखना चाहिए

एक पुरानी लोक कथा के अनुसार जंगल में एक मादा हिरण गर्भवती थी। जंगल में कई खतरनाक जानवर थे। ऐसे में हिरण इस बात के लिए परेशान थी कि वह खुद को और अपने बच्चों को सुरक्षित कैसे रखेगी। जंगल में बहुत खोजने के बाद उसे कुछ झाड़ियां मिल गईं, उनके पीछे वह छिप गई और प्रसव के समय का इंतजार करने लगी।

एक रात हिरण के पेट में तेज दर्द होने लगा। उसी समय तेज बारिश शुरू हो गई, तेज हवा चल रही थी। बारिश रुकी तो आसमान से एक पेड़ पर बिजली गिरी और आग लग गई। हिरण ने देखा कि झाड़ियों के पीछे से एक शिकारी उसे मारने के लिए धनुष पर बाण चढ़ाकर खड़ा है, लेकिन वह भागने में असमर्थ थी, क्योंकि उसका पेट दर्द कर रहा था।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


हिरण ने जैसे-तैसे थोड़ा आगे बढ़ने की कोशिश की तो उसने देखा कि एक शेर उस पर हमला करने के लिए तैयार खड़ा है। अब हिरण को समझ नहीं आ रहा था कि जंगल में आग, शिकारी और शेर से वह कैसे बचेगी?

उसने मन शांत किया और भगवान का ध्यान करने लगी। भगवान पर भरोसा रखते हुए उसने बच्चे को जन्म दे दिया। उसी समय शिकारी पर बिजली गिरी और उसके हाथ से बाण छूट गया, बाण शेर को जाकर लगा। तेज बारिश शुरू हो गई, जिससे जंगल की आग भी बुझ गई। इस तरह हिरण और उसका बच्चा सुरक्षित हो गए। ये करिश्मा देखकर वह हिरण हैरान थी।

कथा की सीख

इस कथा की सीख यह है कि जब हमारे जीवन में बुरा समय आता है और हम कुछ कर नहीं पाते हैं, तब भी हमें भगवान पर भरोसा रखना चाहिए। भगवान अपने भक्तों को हर परेशानी से बचा सकते हैं। बुरे समय में मानसिक संतुलन बिगड़ने न दें, धैर्य बनाए रखें और अपना कर्म ईमानदारी से करें। परिणाम भगवान पर छोड़ देना चाहिए।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

◆श्रेष्ठता की परीक्षा◆

“नहीं, नहीं, विरोचन। श्रेष्ठता का आधार वह तप नहीं जो व्यक्ति को मात्र सिद्धियाँ और सामर्थ्य प्रदान करे। ऐसा तप तो शक्ति-संचय का साधन मात्र है। श्रेष्ठ तपस्वी तो वह है जो अपने लिये कुछ चाहे बिना समाज के शोषित, उत्पीड़ित, दलित और असहाय जनों को निरन्तर ऊपर उठाने के लिये परिश्रम किया करता है। इस दृष्टि से महर्षि कण्व की तुलना राजर्षि विश्वामित्र नहीं कर सकते। कण्व की सर्वोच्च प्रतिष्ठा इसलिये है कि वह समाज और संस्कृति, व्यष्टि और समष्टि के उत्थान के लिये निरंतर घुलते रहते हैं।” इन्द्र ने विनोद भाव से विरोचन की बात का प्रतिवाद किया।

पर विरोचन अपनी बात पर दृढ़ थे। उनका कहना था- तपस्वियों में तो श्रेष्ठ विश्वामित्र ही हैं। उन दिनों विश्वामित्र शिवालिक-शिखर पर सविकल्प समाधि अवस्था में थे और कण्व वहाँ से कुछ दूर आश्रम-जीवन ज्ञापन कर रहे थे। कण्व के आश्रम में बालकों का ही शिक्षण नहीं बालिकाओं को भी समानान्तर आध्यात्मिक, धार्मिक एवं साधनात्मक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता था।

विरोचन ने फिर वही व्यंग्य करते हुए कहा….
“भगवान् आपको तो स्पर्धा का भय है किन्तु आप विश्वास रखिये विश्वामित्र त्यागी सर्व प्रथम है तपस्वी बाद में। उन्हें इन्द्रासन का कोई लोभ नहीं, तप तो वह आत्म-कल्याण के लिये कर रहे हैं। उन्होंने न झुकने वाली सिद्धियाँ अर्जित की हैं। उन सिद्धियों का लाभ तो समाज को भी दिया जा सकता है।“

इन्द्र ने पुनः अपना तर्क प्रस्तुत किया…
“विश्वामित्र की सिद्धियों को मैं जानता हूँ विरोचन! किन्तु सिद्धियाँ प्राप्त कर लेने के बाद यह आवश्यक नहीं कि वह व्यक्ति उनका उपयोग लोक-कल्याण में करे। शक्ति में अहंभाव का जो दोष है वह सेवा में नहीं इसलिये सेवा को मैं शक्ति से श्रेष्ठ मानता हूँ इसीलिये कण्व की विश्वामित्र से बड़ा मानता हूँ।“

बात आगे बढ़ती किन्तु महारानी शची के आ जाने से विवाद रुक गया। रुका नहीं बल्कि एक मोड़ ले लिया।

 


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


शची ने हँसते हुए कहा….
“अनुचित क्या है? क्यों न इस बात की हाथों-हाथ परीक्षा कर ली जाये।“

बात निश्चित हो गई। कण्व और विश्वामित्र की परीक्षा होगी, यह बात कानों-कान सारी इन्द्रपुरी में पहुँच गई। लोग उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करने लगे देखें सिद्धि की विजय होती है या सेवा की।

निशादेवी ने पहला पाँव रखा। दीप जले, देव-आरती से उनका स्वागत किया गया। दिव्य-ज्योतियों से सारा इन्द्रपुर जगमग-जगमग करने लगा। ऐसे समय इन्द्रदेव ने अनुचर को बुलाकर रुपसी अप्सरा मेनका को उपस्थित करने की आज्ञा दी। अविलम्ब आज्ञा का पालन किया गया। थोड़ी ही देर में मेनका वहाँ आ गई। इन्द्र ने उसे सारी बातें समझा दीं। वह रात इस तरह इन्द्रपुर में अनेक प्रकार की मनोभावों में ही बीती।

सबेरा हुआ। भगवती उषा का साम्राज्य ढलने लगा। भुवन भास्कर देव प्राची में अपनी दिव्य सभा के साथ उगने लगे। भगवती गायत्री के आराधना का यह सर्वोत्कृष्ट समय होता है। तपस्वी विश्वामित्र आसन, बंध और प्राणायाम समाप्त कर जप के लिये बैठे थे। उनके हृदय में वैराग्य की धारा अहर्निश बहा करती थी। जप और ध्यान में कोई कष्ट नहीं होता था। बैठते-बैठते चित्त भगवान् सविता के भर्ग से आच्छादित हो गया। एक प्राण भगवती गायत्री और राजर्षि विश्वामित्र। दिव्य तेज फूट रहा था उनकी मुखाकृति से। पक्षी और वन्य जन्तु भी उनकी साधना देख मुग्ध हो जाते थे।

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

उनकी यह गहन शान्ति और स्थिरता देखकर पक्षियों को कलरव करने का साहस न होता। जन्तु चराचर नहीं करते थे, उन्हें भय था कहीं ध्यान न टूट जाये और तपस्वी के कोप का भाजन बनना पड़े। सिंह तब दहाड़ना भूल जाते वे दिन के तृतीय प्रहर में ही दहाड़ते और वह भी विश्वामित्र की प्रसन्नता बढ़ाने के लिये क्योंकि वह उस समय वन-विहार के लिये आश्रम छोड़ चुके होते थे।

किन्तु आज उस स्तब्धता को तोड़ने को साहस किया किसी अबला ने। अबला नहीं अप्सरा। मेनका। इन्द्रपुर जिसकी छवि पर दीपक की लौ पर शलभ की भाँति जल जाने के लिये तैयार रहता था। आज उसने अप्रतिम शृंगार कर विश्वामित्र के आश्रम में प्रवेश किया था। पायल की मधुर झंकार से वहाँ का प्राण-पूत वातावरण भी सिहर उठा। लौध्र पुष्प की सुगन्ध सारे आश्रम में छा गई। जहाँ अब तक शान्ति थी, साधना थी वहाँ देखते-देखते मादकता, वैभव और विलास खेलने लगा।

दण्ड और कमण्डलु ऋषि ने एक ओर रख दिये। कस्तूरी मृग जिस तरह बहेलिये की संगीत-ध्वनि से मोहित होकर कालातीत होने के लिये चल पड़ता है। सर्प जिस तरह वेणु का नाद सुनकर लहराने लगता है। उसी प्रकार महर्षि विश्वामित्र ने अपना सर्वस्व उस रुपसी अप्सरा के अञ्चल में न्यौछावर कर दिया। सारे भारतवर्ष में कोलाहल मच गया कि विश्वामित्र का तप भंग हो गया।

एक दिन, दो दिन, सप्ताह, पक्ष और मास बीतते गये और उनके साथ ही विश्वामित्र का तप और तेज भी स्खलित होता गया। विश्वामित्र का अर्जित तप काम के दो कौड़ी दाम बिक गया। और जब तप के साथ उनकी शांति उनका यश और वैभव भी नष्ट हो गया तब उन्हें पता चला कि भूल नहीं अपराध हो गया। विश्वामित्र प्रायश्चित की अग्नि में जलने लगे।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


क्रोधोच्छ्दासित विश्वामित्र ने मेनका को दंड देने का निश्चय किया परंतु प्रातःकाल होने तक मेनका आश्रम से जा चुकी थी, इतने दिन की योग-साधना का परिणाम एक कन्या के रूप में छोड़ कर। विश्वामित्र ने बिलखती आत्मजा के पास भी मेनका को नहीं देखा तो उनकी देह क्रोध से जलने लगी पर अब हो ही क्या सकता? मेनका इन्द्रपुरी जा चुकी थी।

रोती-बिलखती कन्या को देखकर भी विश्वामित्र को दया नहीं आई। पाप उन्होंने किया था पश्चाताप भी उन्हें ही करना चाहिये था पर उनकी आँखों में तो प्रतिशोध छाया हुआ था। ऐसे समय मनुष्य को इतना विवेक कहाँ रहता है कि वह यह सोचे कि मनुष्य अपनी भूलें सुधार भी सकता है। और नहीं तो अपनी सन्तान, अपने आगे आने वाली पीढ़ी के मार्गदर्शन के लिये तथ्य और सत्य को उजागर ही रख सकता है। विश्वामित्र को आत्म-कल्याण की चिन्ता थी इसलिये उन्हें इतनी भी दया नहीं आई कि वह बालिका को उठाकर उसके लिये दूध और जल की व्यवस्था करते। बालिका को वही बिलखता छोड़कर वे वहाँ से चले गये।

मध्याह्न वेला। ऋषि कण्व लकड़ियाँ काटकर लौट रहे थे। मार्ग में विश्वामित्र का आश्रम पड़ता था। बालिका के रोने का स्वर सुनकर कण्व ने निर्जन आश्रम में प्रवेश किया। आश्रम सूना पड़ा था। अकेली बालिका दोनों हाथों के अंगूठे मुँह में चूसती हुई भूख को धोखा देने का असफल प्रयत्न कर रही थी।

कण्व ने भोली बालिका को देखा, स्थिति का अनुमान करते ही उनकी आंखें छलक उठीं। उन्होंने बालिका को उठाया, चूमा और प्यार किया और गले लगाकर अपने आश्रम की ओर चल पड़े। पीछे-पीछे उनके सब शिष्य चल रहे थे।

इन्द्रदेव ने विरोचन से पूछा….
“तात बोलो न। जिस व्यक्ति के हृदय में पाप करने वाले के प्रति कोई दुर्भाव नहीं, बल्कि पाप से उत्पीड़ित के लिये इतना गहन प्यार की उसकी सेवा माता की तरह करने को तैयार हैं वह कण्व श्रेष्ठ हैं या विश्वामित्र?”

विरोचन आगे कुछ न बोल सके। उन्होंने लज्जावश अपना सिर नीचे झुका लिया।

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

एक सेठ बहुत दयालु थे, वे सभी को पैसा उधार देते थे, पैसा देते समय वे सभी से एक ही सवाल पूछते- कर्ज कब चुकाओगे, इस जन्म में या अगले जन्म में? कुछ लोग कहते हम पैसा अगले जन्म में चुकाएंगे

जब हम किसी के साथ बुरा करते हैं तो हमारे साथ भी बुरा होने की संभावना बढ़ जाती है

एक सेठ जी बहुत दयालु थे। उनके पास जो भी व्यक्ति उधार मांगने आता, वे उसे मना नहीं करते थे। सेठ जी उधार मांगने वाले से एक ही बात पूछते कि- तुम उधार कब लौटाओगे, इस जन्म में या अगले जन्म में? ईमानदार लोग इसी जन्म में कर्ज चुकाने का कहते और बेईमान अगले जन्म में।

बेईमान लोग सेठ को मूर्ख समझते थे। सोचते थे कैसा बेवकूफ आदमी है, अगले जन्म में भी कोई पैसे लौटाता है भला। एक बार एक चोर सेठ से उधार मांगने पहुंचा। सेठ ने उससे भी वही सवाल पूछा- उधार कब चुकाओगे इस जन्म में ये अगले में?

चोर ने कहा- अगले जन्म में। सेठ ने अपनी तिजोरी से पैसा निकालकर उसे दे दिया। चोर ने देखा कि सेठ की तिजोरी में बहुत माल है। चोर ने सेठ के घर चोरी करने की योजना बनाई। रात को जब सब सो रहे थे, चोर सेठ के घर में घुस आया।


अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


जब चोर भैसों के तबेले में छिपकर सही समय का इंतजार कर रहा था, तभी उसके कानों में भैसों की आवाज आई। दो भैंसे आपस में बात रही थी। एक भैंस ने दूसरी से पूछा- क्या तुम आज ही यहां आई हो?

दूसरी भैंस ने जवाब दिया- हां, मैंने पिछले जन्म में सेठ से कर्ज लिया था, उसे ही उतारने आई हूं। तुम यहां कब से हो?

पहली भैंस ने जवाब दिया- मुझे यहां तीन साल हो गए हैं। मैंने सेठ जी से कर्ज लिया था यह कहकर कि अगले जन्म में लौटाऊँगी। सेठ से उधार लेने के बाद मेरी मृत्यु हो गई तो मैं भैंस बन गई और सेठ के तबेले में चली आयी। अब दूध देकर उसका कर्ज़ उतार रही हूं। जब तक कर्ज की रकम पूरी चुकता नहीं हो जाती, तब तक मुझे यहीं रहना होगा।
चोर ने जब दोनों भैसों की बात सुनी तो उसके होश उड़ गए। चोर समझ गया कि उधार तो चुकाना ही पड़ता है, चाहे इस जन्म में ये फिर अगले जन्म में। अगले ही दिन चोर ने सेठ को उसकी रकम लौटा दी और चोरी छोड़ने का फैसला लिया।

 

अपने बाल गोपाल कान्हा जी के लिए सुन्दर ड्रेस खरीदें: https://www.instagram.com/keshav_creations/


 

लाइफ मैनेजमेंट
जब हम किसी के साथ बुरा करते हैं तो ये कभी नहीं सोचते कि इसका हमारे आने वाले जीवन पर क्या असर हो सकता है। छोटी-छोटी गलतियां जब बड़ा रूप ले लेती हैं तो जीवन दुभर हो जाता है और उस समय हम सोचते हैं कि आखिर हमने किसा का क्या बिगाड़ा। ऐसा समय आने से पहले ही दूसरों के साथ बुरा करना छोड़ दीजिए।

जो ठाकुर जी को याद करते हैं ठाकुर जी भी उनको याद करते हैं रोते हैं उनके लिए

एक व्यक्ति हर रोज मंगला दर्शन अपने नजदीकी मंदिर में करता है और फिर अपने नित्य जीवन कार्य में लग जाता है। कहीं वर्ष तक यह नियम होता रहा।

एक दिन ऐसे ही वह मंदिर पहुँचा तो मंदिर के श्री प्रभु के द्वार बंध पाये। वह आकुल व्याकुल हो गया। अरे ऐसा कैसे हो सकता है?

उसके हिर्दय को खेद पहुंचा। वह नजदीकी ऐक जगह पर बैठ गया। उनकी आँखों से आँसू बहने लगे, और आंतरिक पुकार उठी।

” हे बांके बिहारी जी , हे गिर्वरधारी जी।
जाए छुपे हो कहाँ, हमरी बारी जी…।।”

बहते आंसू और दिल की बैचेनी ने उन्हें तडपता कर दिया। पूरे तन में विरह की आग जल उठी।

इतने में कहीं से पुकार आयी ओ तुने कहाँ लगायी इती देर अरे ओ बांवरिया! बांवरिया! बांवरिया मेरे प्रिय प्यारा!

वह आसपास देखने लगा, कौन पुकारता है? पर न कोई आस और न कोई पास था। वह इधर उधर देखने लगा, पर न कोई था। वह बैचेन हो कर बेहोश हो गया।

काफी देर हुई, उनके पैर को जल की एक धारा छूने लगी, और वह होश में आ गया। वह सोचने लगा यह जल आया कहां से?

धीरे धीरे उठ कर वह जल के स्त्रोत को ढूंढने लगा तो देखा कि वह स्त्रोत श्री प्रभु के द्वार से आता है।
इतने में फिर से आवाज आई

ओ तुने क्युं लगायी इती देर अरे ओ बांवरिया!

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

वह सोच में पड गया! यह क्या! यह कौन पुकारता है? यहाँ न कोई है? तो यह पुकार कैसी?

वह फूट फूट कर रोने लगा।
कहने लगा – प्रभु! ओ प्रभु! और फिर से बेहोश हो गया।

बेहोशी में उन्होंने श्री ठाकुर जी के दर्शन पाये और उनकी रूप माधुरी को निहारकर आनंद पाने लगा। उनके चेहरे की आभा तेज होने लगी।

इतने में मंदिर में आरती का शंख बजा।आये हूऐ दर्शनार्थी ने उन्हें जगाया।

उन्होंने श्री ठाकुर जी के जो दर्शन मंदिर में पाये। ओहहह! वहीं दर्शन थे जो उन्हें बेहोशी में हुए थे।

इतने में उनकी नजर श्रीप्रभु के नयनों पर पहुंची, और वह स्थिर हो गया। श्रीप्रभु के नयनों में आंसू! ओहहह! वह अति गहराई में जा पहुँचा।।।।

ओहहह! जो जल मुझे स्पर्श किया था वह श्रीप्रभु के अश्रु! ….. नहीं नहीं! मुझसे यह क्या हो गया? श्रीप्रभु को कष्ट! वह बहुत रोया और बार बार क्षमा माँगने लगा।

श्रीप्रभु ने मुस्कराते दर्शन से कहा, तुने कयुं करदी देर? अरे अब पल की भी न करना देर ओ मेरे बांवरिया!

” देखो प्रभु अगर हम मंदिर जाके भी एक पत्थर की मूर्ति को प्रणाम कर आयें या पंडित जी को मोटी धनराशी दे आयें उससे प्रभु प्रसन्न नहीं होंगे। मेरे ठाकुर तो सम्बन्ध मानने से प्रसन्न होते हैं।

जैसे कर्मा बाई ने माना , जैसे धन्ना जाट ने माना…”

भाव के भूखे हैं भगवान्…….

।। भाव्ग्राही भगवान् की जय ।।
70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

मन की शांति

एक राजा था जिसे पेटिंग्स से बहुत प्यार था। एक बार उसने घोषणा की कि जो कोई भी उसे एक ऐसी पेंटिंग बना कर देगा जो शांति को दर्शाती हो तो वह उसे मुंह माँगा इनाम देगा।

फैसले के दिन एक से बढ़ कर एक चित्रकार इनाम जीतने की लालच में अपनी-अपनी पेंटिंग्स लेकर राजा के महल पहुंचे।

राजा ने एक-एक करके सभी पेंटिंग्स देखीं और उनमें से दो को अलग रखवा दिया।अब इन्ही दोनों में से एक को इनाम के लिए चुना जाना था।

पहली पेंटिंग एक अति सुन्दर शांत झील की थी। उस झील का पानी इतना साफ़ था कि उसके अन्दर की सतह तक नज़र आ रही थी और उसके आस-पास मौजूद हिमखंडों की छवि उस पर ऐसे उभर रही थी मानो कोई दर्पण रखा हो। ऊपर की ओर नीला आसमान था जिसमें रुई के गोलों के सामान सफ़ेद बादल तैर रहे थे।

जो कोई भी इस पेटिंग को देखता उसको यही लगता कि शांति को दर्शाने के लिए इससे अच्छी पेंटिंग हो ही नहीं सकती।

दूसरी पेंटिंग में भी पहाड़ थे, पर वे बिलकुल रूखे, बेजान , वीरान थे और इन पहाड़ों के ऊपर घने गरजते बादल थे जिनमे बिजलियाँ चमक रही थीं…घनघोर वर्षा होने से नदी उफान पर थी… तेज हवाओं से पेड़ हिल रहे थे… और पहाड़ी के एक ओर स्थित झरने ने रौद्र रूप धारण कर रखा था।

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

जो कोई भी इस पेटिंग को देखता यही सोचता कि भला इसका “शांति” से क्या लेना देना… इसमें तो बस अशांति ही अशांति है।

सभी आश्वस्त थे कि पहली पेंटिंग बनाने वाले चित्रकार को ही इनाम मिलेगा। तभी राजा अपने सिंहासन से उठे और ऐलान किया कि दूसरी पेंटिंग बनाने वाले चित्रकार को वह मुंह माँगा इनाम देंगे।
हर कोई आश्चर्य में था।

पहले चित्रकार से रहा नहीं गया, वह बोला, “लेकिन महाराज उस पेटिंग में ऐसा क्या है जो आपने उसे इनाम देने का फैसला लिया… जबकि हर कोई यही कह रहा है कि मेरी पेंटिंग ही शांति को दर्शाने के लिए सर्वश्रेष्ठ है?”
“आओ मेरे साथ!”, राजा ने पहले चित्रकार को अपने साथ चलने के लिए कहा।

दूसरी पेंटिंग के समक्ष पहुँच कर राजा बोले, “झरने के बायीं ओर हवा से एक तरह झुके इस वृक्ष को देखो…देखो इसकी डाली पर बने इस घोसले को देखो… देखो कैसे एक चिड़िया इतनी कोमलता से, इतने शांत भाव व प्रेम से पूर्ण होकर अपने बच्चों को भोजन करा रही है…”

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

फिर राजा ने वहां उपस्थित सभी लोगों को समझाया-_शांत होने का मतलब ये नही है कि आप ऐसे स्थिति में हों जहाँ कोई शोर नहीं हो…कोई समस्या नहीं हो… जहाँ कड़ी मेहनत नहीं हो… जहाँ आपकी परीक्षा नहीं हो… शांत होने का सही अर्थ है कि आप हर तरह की अव्यवस्था, अशांति, अराजकता के बीच हों और फिर भी आप शांत रहें, अपने काम पर केन्द्रित रहें… अपने लक्ष्य की ओर अग्रसरित रहें।”

अब सभी समझ चुके थे कि दूसरी पेंटिंग को राजा ने क्यों चुना है

हर कोई अपनी जिंदगी में शांति चाहता है। पर अक्सर हम “शांति” को कोई बाहरी वस्तु समझ लेते हैं, और उसे बाहरी दुनिया में, पहाड़ों, झीलों में ढूंढते हैं। जबकि शांति पूरी तरह से हमारे अन्दर की चीज है, और हकीकत यही है कि तमाम दुःख-दर्दों, तकलीफों और दिक्कतों के बीच भी शांत रहना ही असल में शांत होना है🙏🏻🙏🏻🙏🏻

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

अमरत्व का ज्ञान

एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से ऐसे गूढ़ ज्ञान देने का अनुरोध किया जो संसार में किसी भी जीव को प्राप्त न हो. वह अमरत्व का रहस्य प्रभु से सुनना चाहती थीं.
.
अमरत्व का रहस्य किसी कुपात्र के हाथ न लग जाए इस चिंता में पड़कर महादेव पार्वती जी को लेकर एक निर्जन प्रदेश में गए.
.
उन्होंने एक गुफा चुनी और उस गुफा का मुख अच्छी तरह से बंद कर दिया. फिर महादेव ने देवी को कथा सुनानी शुरू की. पार्वती जी थोड़ी देर तक तो आनंद लेकर कथा सुनती रहीं.
.
जैसे किसी कथा-कहानी के बीच में हुंकारी भरी जाती है उसी तरह देवी काफी समय तक हुंकारी भरती रहीं लेकिन जल्द ही उन्हें नींद आने लगी.
.
उस गुफा में तोते यानी शुक का एक घोंसला भी था. घोसले में अंडे से एक तोते के बच्चे का जन्म हुआ. वह तोता भी शिव जी की कथा सुन रहा था.
.
महादेव की कथा सुनने से उसमें दिव्य शक्तियां आ गईं. जब तोते ने देखा कि माता सो रही हैं. कहीं महादेव कथा सुनाना न बंद कर दें इसलिए वह पार्वती की जगह हुंकारी भरने लगा.

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off
.
महादेव कथा सुनाते रहे. लेकिन शीघ्र ही महादेव को पता चल गया कि पार्वती के स्थान पर कोई औऱ हुंकारी भर रहा है. वह क्रोधित होकर शुक को मारने के लिए उठे.
.
शुक वहां से निकलकर भागा. वह व्यास जी के आश्रम में पहुंचा. व्यास जी की पत्नी ने उसी समय जम्हाई ली और शुक सूक्ष्म रूप धारण कर उनके मुख में प्रवेश कर गया.
.
महादेव ने जब उसे व्यास की शरण में देखा तो मारने का विचार त्याग दिया. शुक व्यास की पत्नी के गर्भस्थ शिशु हो गए. गर्भ में ही इन्हें वेद, उपनिषद, दर्शन और पुराण आदि का सम्यक ज्ञान हो प्राप्त था.
.
शुक ने सांसारिकता देख ली थी इस लिए वह माया के पृथ्वी लोक की प्रभाव में आना नहीं चाहते थे इसलिए ऋषि पत्नी के गर्भ से बारह वर्ष तक नहीं निकले.
.
व्यास जी ने शिशु से बाहर आने को कहा लेकिन वह यह कहकर मना करता रहा कि संसार तो मोह-माया है मुझे उसमें नहीं पड़ना. ऋषि पत्नी गर्भ की पीड़ा से मरणासन्न हो गईं.
.
भगवान श्री कृष्ण को इस बात का ज्ञान हुआ. वह स्वयं वहां आए और उन्होंने शुक को आश्वासन दिया कि बाहर निकलने पर तुम्हारे ऊपर माया का प्रभाव नहीं पड़ेगा.

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off
.
श्री कृष्ण से मिले वरदान के बाद ही शुक ने गर्भ से निकल कर जन्म लिया. जन्म लेते ही शुक ने श्री कृष्ण और अपने पिता-माता को प्रणाम किया और तपस्या के लिये जंगल चले गए.
.
व्यास जी उनके पीछे-पीछे ‘पुत्र !, पुत्र कह कर पुकारते रहे, किन्तु शुक ने उस पर कोई ध्यान न दिया. व्यास जी चाहते थे कि शुक श्रीमद्भागवत का ज्ञान प्राप्त करें.
.
किन्तु शुक तो कभी पिता की ओर आते ही न थे. व्यास जी ने एक युक्ति की. उन्होंने श्री कृष्ण लीला का एक श्लोक बनाया और उसका आधा भाग शिष्यों को रटा कर उधर भेज दिया जिधर शुक ध्यान लगाते थे.
.
एक दिन शुकदेव जी ने भी वह श्लोक सुना. वह श्री कृष्ण लीला के आकर्षण में खींचे सीधे अपने पिता के आश्रम तक चले आए.
.
पिता व्यास जी से ने उन्हें श्रीमद्भागवत के अठारह हज़ार श्लोकों का विधि वत ज्ञान दिया. शुकदेव ने इसी भागवत का ज्ञान राजा परीक्षित को दिया, जिस के दिव्य प्रभाव से परीक्षित ने मृत्यु के भय को जीत लिया.
~~~~~~~~
(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड

सीधी सूंड वाले गणेश भगवान दुर्लभ हैं। इनकी एकतरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है।

अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा लाने से पूर्व या घर में स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि श्री गणेश की कौन सी सूंड होनी… चाइये ?

क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि भगवान गणेश की तस्वीरों और मूर्तियों में उनकी सूंड दाई या कुछ में बाई ओर होती है। सीधी सूंड वाले गणेश भगवान दुर्लभ हैं। इनकी एकतरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है।

भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप के भी कई भेद हैं। कुछ मुर्तियों में गणेशजी की सूंड को बाई को घुमा हुआ दर्शाया जाता है तो कुछ में दाई ओर। गणेश जी की सभी मूर्तियां सीधी या उत्तर की आेर सूंड वाली होती हैं। मान्यता है कि गणेश जी की मूर्त जब भी दक्षिण की आेर मुड़ी हुई बनाई जाती है तो वह टूट जाती है। कहा जाता है कि यदि संयोगवश आपको दक्षिणावर्ती मूर्त मिल जाए और उसकी विधिवत उपासना की जाए तो अभिष्ट फल मिलते हैं। गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का और दाईं में सूर्य का प्रभाव माना गया है।

प्राय: गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाआें से दिखती है। जब सूंड दाईं आेर घूमी होती है तो इसे पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित माना गया है। एेसी प्रतिमा का पूजन विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है।

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

वहीं बाईं आेर मुड़ी सूंड वाली मूर्त को इड़ा नाड़ी व चंद्र प्रभावित माना गया है। एेसी मूर्त की पूजा स्थायी कार्यों के लिए की जाती है। जैसे शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय, उन्नति, संतान सुख, विवाह, सृजन कार्य और पारिवारिक खुशहाली।

सीधी सूंड वाली मूर्त का सुषुम्रा स्वर माना जाता है और इनकी आराधना रिद्धि-सिद्धि, कुण्डलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। संत समाज एेसी मूर्त की ही आराधना करता है। सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं आेर सूंड वाली मूर्त है इसीलिए इस मंदिर की आस्था और आय आज शिखर पर है।

कुछ विद्वानों का मानना है कि दाई ओर घुमी सूंड के गणेशजी शुभ होते हैं तो कुछ का मानना है कि बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ फल प्रदान करते हैं। हालांकि कुछ विद्वान दोनों ही प्रकार की सूंड वाले गणेशजी का अलग-अलग महत्व बताते हैं।

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

यदि गणेशजी की स्थापना घर में करनी हो तो दाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ होते हैं। दाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं। ऎसी मान्यता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो जाता है। किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं जाते समय यदि इनके दर्शन करें तो वह कार्य सफल होता है व शुभ फल प्रदान करता है।इससे घर में पॉजीटिव एनर्जी रहती है व वास्तु दोषों का नाश होता है।

घर के मुख्य द्वार पर भी गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर लगाना शुभ होता है। यहां बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करना चाहिए। बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी विघ्नविनाशक कहलाते हैं। इन्हें घर में मुख्य द्वार पर लगाने के पीछे तर्क है कि जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी हमारे साथ आ जाती है। घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्वविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं रूक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती।

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

भगवान को आप से क्या चाहिए…

शबरी की जाति कौन सी ऊंची थी, सुदामा के पास धन कहा था, कुब्जा का रूप सुंदर कहा था, ध्रुव तब कौन सा प्रसिद्ध था

शबरी की जाति कौन सी ऊंची थी, सुदामा के पास धन कहा था, कुब्जा का रूप सुंदर कहा था, ध्रुव तब कौन सा प्रसिद्ध था, अनेक उदाहरण है ऐसे कहने का अर्थ है कि भगवान न तो आप की जाति देखते है, न ही आपकी बाह्य सुंदरता देखते हैं, न ही आप के धन से उन्हे कुछ लेना देना है, न ही आपके यश से वे प्रभावित होंगे अपितु वे दयालु प्रभु तो केवल आपके शुभ-कर्मो, आप के हदय मे उनके प्रति भाव और भक्ति ही देखेंगे वे आपके बाहरी आडंबरो और प्रपंचो के अनुसार नहीं, बल्कि आपकी भीतरी शुद्धता -पवित्रता-निस्छलता और निर्मलता के आधार पर ही कृपा करते है

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

सत्संग की महिमा

जय श्री राधे कृष्ण

एक बार देवर्षि नारद भगवान विष्णु के पास गए और प्रणाम करते हुए बोले, “भगवान मुझे सत्संग की महिमा सुनाइये।” भगवान मुस्कराते हुए बोले, नारद! तुम यहां से आगे जाओ, वहां इमली के पेड़ पर एक रंगीन प्राणी मिलेगा। वह सत्संग की महिमा जानता है, वही तुम्हें भी समझाएगा भी।

नारद जी खुशी-खुशी इमली के पेड़ के पास गए और गिरगिट से बातें करने लगे। उन्होंने गिरगिट से सत्संग की महिमा के बारे में पूछा। सवाल सुनते ही वह गिरगिट पेड़ से नीचे गिर गया और छटपटाते हुए प्राण छोड़ दिए। नारदजी आश्चर्यचकित होकर लौट आए और भगवान को सारा वृत्तांत सुनाया।

भगवान ने मुस्कराते हुए कहा, इस बार तुम नगर के उस धनवान के घर जाओ और वहां जो तोता पिंजरे में दिखेगा, उसी से सत्संग की महिमा पूछ लेना। नारदजी क्षण भर में वहां पहुंच गए और तोते से सत्संग का महत्व पूछा। थोड़ी देर बाद ही तोते की आंखें बंद हो गईं और उसके भी प्राण पखेरू उड़ गए। इस बार तो नारद जी भी घबरा गए और दौड़े-दौड़े भगवान कृष्ण के पास पहुंचे।

नारद जी कहा, भगवान यह क्या लीला है। क्या सत्संग का नाम सुनकर मरना ही सत्संग की महिमा है?” भगवान हंसते हुए बोले, यह बात भी तुमको जल्द ही समझ आ जाएगी। इस बार तुम नगर के राजा के महल में जाओ और उसके नवजात पुत्र से अपना प्रश्न पूछो।”

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off

नारदजी तो थरथर कांपने लगे और बोले, अभी तक तो पक्षी ही अपने प्राण छोड़ रहे थे। इस बार अगर वह नवजात राजपुत्र मर गया तो राजा मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा।” भगवान ने नारदजी को अभयदान दिया। नारदजी दिल मुट्ठी में रखकर राजमहल में आए। वहां उनका बड़ा सत्कार किया गया। अब तक राजा को कोई संतान नहीं थी। अतः पुत्र के जन्म पर बड़े आनन्दोल्लास से उत्सव मनाया जा रहा था।

नारदजी ने डरते-डरते राजा से पुत्र के बारे में पूछा। नारदजी को राजपुत्र के पास ले जाया गया। पसीने से तर होते हुए, मन-ही-मन श्रीहरि का नाम लेते हुए नारदजी ने राजपुत्र से सत्संग की महिमा के बारे में प्रश्न किया तो वह नवजात शिशु हंस पड़ा और बोलाः “महाराज! चंदन को अपनी सुगंध और अमृत को अपने माधुर्य का पता नहीं होता। ऐसे ही आप अपनी महिमा नहीं जानते, इसलिए मुझसे पूछ रहे हैं।

वास्तव में आप ही के क्षणमात्र के संग से मैं गिरगिट की योनि से मुक्त हो गया और आप ही के दर्शनमात्र से तोते की क्षुद्र योनि से मुक्त होकर इस मनुष्य जन्म को पा सका। आपके सान्निध्यमात्र से मेरी कितनी सारी योनियां कट गईं और मैं सीधे मानव-तन में ही नहीं पहुंचा अपीतू राजपुत्र भी बना। यह सत्संग का ही अदभुत प्रभाव है। बालक बोला- हे ऋषिवर, अब मुझे आशीर्वाद दें कि मैं मनुष्य जन्म के परम लक्ष्य को पा लूं।

नारदजी ने खुशी-खुशी आशीर्वाद दिया और भगवान श्री हरि के पास जाकर सब कुछ बता दिया। भगवान ने कहा, सचमुच, सत्संग की बड़ी महिमा है। संत का सही गौरव या तो संत जानते हैं या उनके सच्चे प्रेमी भक्त!

💓💚जय श्री कृष्णा💚💓

70% तक की छूट – सुन्दर व बढ़िया स्कूल बैग यहां से खरीदें Buy School Bags online Upto 70% Off